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Thursday, 11 August 2011

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From: <919984708227@mms1.live.vodafone.in>
Date: 2011/8/10
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To: horisardarpatel@gmail.com


।2।आगे--
आप भगवान जो ठहरे आपके अनगिनत भक्त हैँ आप पूजे जाते है ।प्रमुख बात यहाँ आपकी जाति की बहुलता भी है।ऐसे मेँ आप न लड़ेगेँ तो कौन लड़ेगा चुनाव?सारे समीकरण हैँ आपके पक्ष मेँ।कृष्ण को बहुत दुःख हुआ उन्होने सोचा कि क्योँ न इस सम्बन्ध मेँ बुद्विजीवी लोगोँ से राय ली जाय तो वह विश्वविघालय पहुँच गये वहाँ पर वो राजनीतिक विभाग के प्रमुख से मिलकर अपनी वेदना कह सुनायी और बोले कि आप ही बताओ कि भला मैँ क्या किसी जाति विशेष का हूँ क्या?इस पर प्रोफेसर साहब बोले कि मैनेँ जितना भी ज्ञानार्जन किया उससे इसी नतीजे पर पहुँचा हूँ कि मैँ कायस्थ हूँ।और चुनाव मेँ भी मुझे इसी बात का ख्याल भी रखना है।भक्त होने के नाते मैँ बस इतना ही कह सकता हूँ कि आपको अपनी जाति पर विशेष ध्यान देना चाहिये फिर आपकी मर्जी ।उधर यह चुनावी चर्चा आम हो गयी थी। सभी राजनीतिक दलोँ के लोगोँ ने कृष्ण की जीवनी अध्ययन हेतु विशेषज्ञोँ की राय लेना शुरु कर दियेँ और जब पता लगा कि -बचपन मेँ ही माखन चुराते थे,यहाँ तक की गोपियोँ के वस्त्र चुराना ,उन्हे छेड़ना आदि अश्लील हरकतेँ इनके लिये रोजमर्रा की बातेँ थीँ। और इनका डब्लू वाला मामला ?---


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