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Thursday, 11 August 2011

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From: <919984708227@mms1.live.vodafone.in>
Date: 2011/8/10
Subject:
To: horisardarpatel@gmail.com


1-
आज राष्ट्र आतंकवाद भृष्टाचार,महगाँयी,जातिवाद ,क्षेत्रवाद,राजनीतिक
महत्वाकांक्षाओँ के चलते
परिवार वाद के गिरफ्त मेँ आ चुका है।नेताओँ की नीत और नियत पर पर हजारोँ प्रश्न चिन्ह लगे हुये है।सभी केवल अपने फायदे के लिये बयान बाजी कर रहेँ है।पूरे देश
मेँ आपात काल की स्थिति बनती जा रही है। उपरोक्त मुद्दोँ के बाबत सरकारेँ दमन कारी नीति मेँ उतर आई हैँ आम आदमी रोटी के लिये मोहताज होता जा रहा है।मजदूर बेबस,किसान आत्मदाह के लिये मजबूर हो रहा है।आवाम की रक्षा के लिये जो भी आगे आ रहा है उसी को षडयंन्त्र के साथ आवाज को दफ़न करने की नीति पर तथाकथित कटनीतिज्ञ भी उतर आयेँ हैँ फिर चाहे रामदेव होँ या अन्ना हजारे वर्तमान राजनीत पर हरिशंकर परसाई का एक ब्यंग याद आ रहा है ।तीन दशक पूर्व का लिखा ब्यंग आज भी कितना प्रासंगिक है।
वह यूँ कि-"एक बार भगवान कृष्ण ने अपनी इच्छा जाहिर की ,कि वह भी राजनीत मेँ आना चाहते हैँ और इस देश को सत्य अहिँसा के मार्ग पर चलाते हुये प्रगति के मार्ग मेँ अग्रसारित करना चाहतेँ हैँ।यह बात सुनकर उनके बिहारी राजनीतिक भक्त ने अनमन भाव से कहा ?क्योँ नहीँ आप नहीँ लड़ेगेँ तो कौन लड़ेगा आखिर---

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