दोहे बसे विदेश ......
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[१] घर से दूर जहाँ रहें , कहलाये परदेश |
'होरी' घर देते रहें, भांति , भांति सन्देश ||
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[2] बहुत दूर तुम जा बसे, देश हुआ परदेश|
'होरी' स्मृति में मगर , बसा वही परिवेश ||
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राज कुमार सचान 'होरी'
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