Total Pageviews

Friday, 5 August 2011

Fwd:

कवि सत्येन्द्र  पटेल  की रचनाएँ पढ़ें  

---------- Forwarded message ----------
From: <919984708227@mms1.live.vodafone.in>
Date: 2011/8/4
Subject:
To: horisardarpatel@gmail.com


 स
 -1-
कूर्मि-कूर्मि रटते रहे ,
स्वाभिमान घटाकर, आज तक ।
हल,खेत,हँसिया ,खुद भी अकेला ,
बन गयी पहचान तक ।।
     ।2।
क्षत्रिय से कायर हुआ ,
कुछ और कारण थे नही ।
अहंकार मे फंसा हुआ ,
स्व शक्ति को, समझा नही ।।
  ।3।
बन गये यदि, कुछ अगर ,
बदला पहले ,नेम सर ।
सिँह बने औ हुये निहाल,
ऐसा भी  कुर्मी का हाल ।।
  ।4।
अपनोँ को नीँचा दिखलाकर ,
गैरोँ का ये काम बनाते ।
उम्र तमाम गुजारेँ ऐसे ,
अपनोँ को ही ठुकराते ।
।5।
बरस तीस ,गुजरे हैँ ऐसे,
क्या करुँ?एक होँ  कैसे ?
'होरी' को सुधि रही सदा,
अच्छी लगती यही अदा।
।6।
अब तो एकजुट हो जाओ,
मत करो कुठाराघात ।
ऐसा कुछ कर जाओ ,
जो बन जाये सौगात ।
।7।
सौगात प्रेम की हो ऐसी,
 बन जाये एक मिशाल।
पटेल,शिवा की रुह कहे,
जियो हजारोँ साल ।
।8।
अब ऐसा भी करना होगा,
क्षत्रिय बन मरना होगा।
कठिन राह ,काँटोँ मे भी,
साथ संग चलना होगा ।
।9।
महासंघ इक अवसर सबका,
सबको गले लगाने का ।
पिछड़े हुये स्वराष्ट्र,   समाज को ,
विश्वपटल मेँ लाने का ।
।10।
जब जागो तभी सबेरा,
वक्त है अब, जग जाने का।
यह भी अधिक जरुरी है,
मत काम करो पछताने
का ।
.......सत्येन्द्र पटेल (फते॰)

No comments: