आज कल फेस बुक की धूम है| कुर्मी ,सचान तथा अन्य कई ग्रुप हैं | जोश
की सीमा नहीं |लगता है सन्देश आदान प्रदान से समाज विकसित हो जायेगा | कुछ को छोड़ कर शेष अपनी और अपने समाज की उर्जा का अपव्यय करते हैं |समाज राजनीति में पिछड़ा है , कितने लोग राजनीति में
जा रहे हैं ? समाज saahitya में पिछड़ा है , कितने लोग साहित्यकार बनने की प्रक्रिया में हैं? समाज मीडिया में पिछड़ा है , कितने लोग उधर जा रहे हैं ?
कोई योजना पर चर्चा नहीं |ठोस कार्य नहीं | मिल कर कार्य न करने की पुरानी आदत |अब यह पिछडापन दूर हो तो कैसे ?
यही तो होता आया है | कोई एक दुसरे का नेतृत्व मानने को तैयार नहीं |
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