[ कुछ और शेर ]
हम कभी अपने बड़ों के साथ चल सकते नहीं ,
नाम बस सरदार या फिर हम शिवा रटते रहें |
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रास्ते हैं ढूंढ़ते अपने स्वयं भी जो यहाँ ,
'कुर्मी' बताते गर्व से वे भी अनेकों रास्ते |
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मित्र ने पूछा कभी दुनिया चली पर तुम नहीं ,
'कूर्मि' मैं भी हंस पड़ा बोला की कुर्मी पूत हूँ |
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क्यों छिपाए फिर रहें क्या कुर्मी होना पाप है ,
'कुर्मी' तुम्हारा जन्म कुर्मी जाति पर अभिशाप है |
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आओ हम कुर्मी चलें अब तो शिवा की राह पर ,
'कुर्मी' उनका नाम ह म अब तो डुबोना छोड़ दें |
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देश का इतना बड़ा इक वर्ग पिछड़ा जा रहा ,
'कुर्मी' आओ कुछ उठाने की तो अब कशरत करें |
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'कूर्मि' तुम छप्पर कभी भी छ न पाए आज तक ,
अब तो तिनके भी हंसें कुर्मी तुम्हारे नाम पर |
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"कूर्मि"
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