न हम पहले ही सुधरे थे , न कोई अब इरादा है ,
भला करना तुम्ही भगवन ,कि अब कुर्मी का क्या होगा ?
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यह पता हम को नहीं , कि हम मुह क्यों चुराते हैं ,
'कुर्मी' क्या कुर्मी कहो ...कच्छप की कुंडली पाली ?
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क्षत्रिय हम बनते तो हैं पर लड़ न पाते आज हम ,
'कूर्मि' हम बस रक्त रंजित , बिन लड़े होते रहे |
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मैं ही नेता और बस मैं ही समर्थक स्वयं का ,
'कूर्मि' यह ही कुर्मियों का राजनीतिक मन्त्र है |
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कभी तो साथ मिल कर के , कि छप्पर छा लिया होता ,
कूर्मि सदियों से युहीं , छप्पर बिना रहते रहे |
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सब कहें अपनी यहाँ , सुनते नहीं फिर और की ,
'कूर्मि' इस कुर्मीपने से , हम रसातल आ गए |
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'कूर्मि'
2 comments:
sahi kaha Apne Abhi bhi samay hai jagruk ho jayen accha hoga Aapke is abhiyan ke liye aapka dhanyawad
yeh sabhi vacahn bilkul satya hai.kurmiyon ki durdasah ke liye kurmi khud jimmedaar hai.
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