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Tuesday 18 October 2011

KURMI, KISAN KA VIKAS

कुर्मी और अन्य कृषक समाजों की आर्थिक उन्नति ....
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आज भी कुर्मी समाज  की ९९% जनसँख्या ग्रामों  में रहती है और खेती करती है |खेती में किसानों  से पूछिए लागत अधिक आय कम |गेहूं और धान उत्पादक की हालत तो अत्यधिक बेहाल है | गांवों का तो विकास हुआ है पर किसानों का नहीं , किसान दिन प्रतिदिन और गरीब होता जा रहा है |आज गेहूं की लागत प्रति  कुंतल १८०० रूपये आती है और सरकारी मूल्य ११२०+५० मात्र प्रति कुंतल | इसी प्रकार धान की स्थिति है |दोनों मुख्या फसलों में जबरदस्त घाटा| किसान ...मुख्यतः कुर्मी गरीब तो होगा ही |
                                      महा संघ किसानों .कुर्मियों और राष्ट्र की उन्नति के लिए शासन के अनुसार लाभदायक खेती के लिए आन्दोलन चला रहा है | किसानों को चाहिए की वे मात्र परिवार की आवश्यकताओं  के लिए ही गेहूं और धान बोयें  ,शेष में सब्जियों , फूलों ,औषधीय पौधों ,आदि लाभदायक खेती करें |अपनी मेड़ों में सागौन और उकिलिप्तास के पेड़ लगायें | सागौन का एक पेड़ आज की कीमतों  में २० वर्षों में ३० से ४० हजार रूपये तक हो जाता है | यानि १०० पेड़ लगभग ३० से ४० लाख तक ....और १००० पेड़ ३ से ४ करोड़ रूपये तक |इस आय की कल्पना किसान की कई पीढियां मिलकर भी नहीं कर सकतीं | उकिलिप्तास का भी एक पेड़ ५ से ६ साल में २ से ३ हजार तक हो जाता है | मेड़ों में इन दोनों पेड़ों को मिक्स कर लगाना चाहिए |
                                    खेती में लाभदायी उत्पादन के साथ किसानों को पास के कस्बों में व्यापारों की ओर भी ध्यान देना चाहिए , परिवार के कम से कम एक सदस्य को नगरीय रोजगार जो विशेष कर कृषि से सम्बंधित हो करना चाहिए | इन सबसे आर्थिक विकास होगा और जब ८०% आबादी खुशहाल होगी तो देश खुशहाल होगा |
                                   कुर्मियों की आबादी आज भी गांवों में है , १% से भी कम नगरों में है | शहरीकरण न होने से भी यह समाज पिछड़ा है ....आर्थिक और राजनीतिक दोनों रूप से |
                                                                                             महा संघ का नारा है ........." सत्ता और साहित्य में भागीदारी "  इसके लिए भी शहरीकरण जरूरी है , राजनीतिकरण जरूरी है |समाज में जो युवक आगे नहीं बढ़ पाते और नौकरी नहीं पाते वे ही अच्छे नेता बन सकते हैं ,समाज के काम आ सकते हैं | हमें उन्हें आगे बढ़ाना होगा , भर्त्सना करने की आदत छोडनी होगी |वे ही शिवा जी और सरदार पटेल के रास्तों में चल सकते हैं | महा संघ उन सबको सपोर्ट करता है|
                साहित्य में भागीदारी से सदियों से ब्राह्मन समाज सबसे आगे रहा है ...आईये अधिक से अधिक पत्रकार साहित्यकार ...कवि और लेखक बनें |
                                                    सर्वांगीन विकास के लिए हम आप के साथ हैं  | 

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