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Thursday 17 July 2014

Budget for Statue of Unity

We are thankful to Prime Minister shree MODI ji and his Govt to allot 200 crores rupees for making world's tallest statue of Sardar Patel -- Iron Man .
     We also demand for samadhi sthal of Sardar Patel in Delhi near Yamuna river for which Nehru denied .

PATEL INDIA MISSION

कुर्मिक्षत्रिय महासंघ  एक संस्था " पटेल इंडिया मिशन " का निर्माण करने जा रहा है  । इसमें सरदार पटेल पर आस्था रखने वालों को सदस्यता दी जायेगी  और इसका आरम्भ 15 अगस्त 2014 से किया जायेगा  । सरदार पटेल के निर्वाण दिवस पर दिल्ली में एक विशाल सभा की जायेगी जिसमें यमुना किनारे 200 एकड़ में  उनके समाधि स्थल की माँग की जायेगी । कार्यक्रम में आप आमंत्रित हैं ।
                                                         63, NITI KHAND 3rd , Indirapuram ,Ghaziabad 

Thursday 19 June 2014

एक शेर ------

एक शेर ------
आइये स्वागत करें हम बादलों का इस तरह ,
आँसू ख़ुशी के उनकी आँखों ,झराझर झरने लगें ।


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नेपाल और नेपाल

नेपाल और नेपाल
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आर्यावर्त , भारत , हिन्द , हिन्दुस्तान या इंडिया कुछ भी नाम लें परन्तु इस भूभाग से अधिक नेपाल में भारतीय संस्कृति और संस्कृत का अधिक विकास हुआ जब तक नेपाल चीन और पाकिस्तान की हस्तक्षेप की जद में न आ गया ।
नेपाल में ऐसा होने के कारण हैं जिनमें सबसे बड़ा आर्थिक है । चीन, पाकिस्तान ने जहाँ स्पष्ट रूप से नेपाल को मदद पहुँचाई वहीं यहाँ के युवकों और सत्ता विरोधी तत्वों सेन केन प्रकारेण लाभ पहुँचाना भी उद्देश्य रहा ।भारत ने गंभीरता से नहीं लिया ।
एक मात्र हिन्दू राष्ट्र की उपेक्षा भारतीय मानसिकता रही है ।हम हर चीज़ को स्वत: मान लेते रहे अपने पक्ष में ।हमने उनकी सज्जनता , सीधेपन पर तब तक चुटकुले बनाना बन्द नहीं किये जब तक वे हमसे स्थाई रूप से नाराज़ नहीं हो गये । नेपाल की विशेषता को भारत उसकी कमज़ोरी मानता रहा, यही हमारी और हमारी विदेश नीति की असफलता है ।
नेपाल का साम्यवादियो के हाथों जाना पुनःभारत विरोधी घटनाक्रम हुआ ,परन्तु हम नहीं चेतें ।तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने नेपाल पर ध्यान देना अधिक उचित नहीं समझा । आज चीन का प्रभाव वहाँ सर्वाधिक है जिसे भारत की नई सरकार को संतुलित करना होगा । ।भूटान के बाद मोदी जी को अपनी प्राथमिकता वाला राष्ट्र नेपाल को बनान होगा ।
राज कुमार सचान होरी
वरिष्ठ साहित्यकार , राष्ट्रीय अध्यक्ष ---बदलता भारत
सम्पादक -- पटेल टाइम्स
Horibadaltabharat.blogspot.com ,PatelTimes .blogspot.com


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Tuesday 17 June 2014

Fwd: बदलता भारत



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From:           बदलता भारत{INDIA CHANGES} <noreply@blogger.com>
Date: 31 May 2014 6:20:15 pm IST
To: horirajkumar@gmail.com
Subject: बदलता भारत

बदलता भारत{INDIA CHANGES}

बदलता भारत


बौद्धिक प्रकोष्ठ

Posted: 31 May 2014 03:56 AM PDT

बौद्धिक प्रकोष्ठ
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भूमिका
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देश में बहुसंख्यक वर्ग कैसे पिछड़ा वर्ग और दलित की श्रेणी में आ गया ?? क्या उत्तर है ? या हम पूछें कि देश की इतनी भारी जनसंख्या लगभग 80% से 90% तक दौड़ में पिछड़ कैसे गयी और स्वतन्त्रता के इतने वर्षों बाद भी पिछड़ी और दलित है ??!! इनके अनेक उत्तर आप देते चले आये हैं और देते रहेंगे । समग्र उत्तरों में 99% केवल इसके लिये अगड़ों को उत्तरदायी मानने के होंगे और पिछड़ोंतथा दलितों द्वारा पानी पी पी कर अगड़ों को कोसने से सम्बन्धित होंगे । मैं नहीं कहता कि दोषी और उत्तरदायी लोगों को बेनकाब न किया जाय । करिये अवश्य करिये । ग़लत नीतियों का विरोध हमेशा होना ही चाहिये । समानता की माँग आवश्यक है ।
आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में दो वर्ग सदा से रहे हैं ----एक --शोषक वर्ग और द्वितीय --शोषित वर्ग । प्रकृति का दस्तूर है कि शोषक सदा अपनी सत्ता को बढ़ता है और शोषित लगातार उसका विरोध करता है और ताजीवन छटपटाता है । इसके लिये शोषित हमेशा एक होने की बात करता है ,एकता के कार्यक्रम और आन्दोलन चलाता है । पर गंभीर चिन्तन की आवश्यकता है कि क्यों लगातार शोषित वर्गों को वह सफलता नहीं मिलती जिसकी उसे अपेक्षा रही है ? क्यों आज भी इन वर्गों की उन्नति के आँकड़े भयावह हैं ?? फिर हम ऊपर वालों को दोष देने बैठ जायेंगे और यही हम सदियों से करते आये हैं । कभी हम एकलव्य , कभी शम्बूक की कथायें सुनायेंगे । कभी सरदार पटेल जैसे अनेक नाम लेंगे जो अन्याय का शिकार हुये । हम मानते हैं यह सब सही है । इस देश में जातिप्रथा इतनी जबरदस्त है कि हर जाति अपने लिये जीती है और अपनों का समर्थन करती है । यह सत्य नहीं है कि ऐसा सिर्फ़ अगड़ी जातियाँ करती हैं बल्कि पिछड़े और दलित भी अवसर मिलने पर यही करते हैं ।
पिछड़ों और दलितों के इतने संगठन हैं कि आप गिन नहीं पायेंगे । आखिर उनको समुचित परिणाम क्यों नहीं मिलता ?? आइये इसको समझने के लिये हम एक उदाहरण लें ----एक व्यक्ति है उसे टीबी (तपेदिक) है । पहले तो बीमारी का निदान आवश्यक है diagnosis होना चाहिये । इन समाजों में अनेक डा. ऐसे हैं जिन्हें बीमारी का पता ही नहीं और तुर्रा यह कि वे समाज के बहुत बड़े डाक्टर हैं । बीमारी कुछ और इलाज कुछ । बीमारी ठीक कैसे होगी ? दूसरी संख्या उन लोंगो की है जो बीमारी तो जान गये हैं पर बजाय समुचित इलाज करने के बीमारी के लिये दूसरों को दोष देते हैं, बतायेंगे किन किन के कारण बीमारी हुई ? दूसरों का कितना दोष है ? बैक्टीरिया का कितना दोष है ? किस्सा यह कि उनका समय इन्हीं विरोधों और चिन्ताओं में चला जाता है --बीमार और बीमार होता जाता है । मरीज़ को समय से जो दवाइयाँ मिलनी चाहिये वे नहीं मिल पातीं और वह लगातार मरणासन्न होता जाता है ।
मेरा मानना है कि मरीज़ का समुचित इलाज होना चाहिये जो कारगर भी हो । टीबी की समयबद्ध दवायें चलें और मरीज़ का पोषण किया जाय , उसे पौष्टिक भोजन दिया जाय तो निश्चित ही वह एक दिन चंगा हो जायेगा ।आइये हम मर्ज को पहले पहचानें फिर उसका इलाज करंे । टीबी है तो टीबी का इलाज , कैंसर है तो कैंसर का इलाज ।
आयें , विचारें हम पहले अपने को बीमार मानें । बीमारों को एकत्रित कर कभी सफलता नहीं मिलेगी चाहे आप बहुसंख्यक हों , हैं तो आप बीमार ही और वह भी सदियों से ।आप की बीमारी वास्तव में है क्या ?? सत्ता की भागीदारी के लिये पहले तो हृष्ट पुष्ट बनना पड़ेगा । आप से ही पूछता हूं -कमज़ोरों की सेना बनायी जाय भले ही वह भारी संख्या में हो फिर भी वह पराजित हो जायेगी और लगातार पराजित होती रहेगी । जैसा कि हम देखते रहे हैं ।हम पिछडे़ हैं यह बीमारी है , दलित हैं हैं - यह बीमारी है । यहाँ मैं एक बात और स्पष्ट कर दूं कि आर्थिक पिछड़ेपन से अधिक बौद्धिक , मानसिक पिछड़ापन है । आरक्षण का उपाय संविधान में किया गया पर उससे आंशिक सफलता ही मिली । शैक्षिक और बौद्धिक पिछड़ेपन के कारण आज भी पद खाली के खाली रह जाते हैं । हम कुछ हद तक शिक्षित होते हैं पर बौद्धिक नहीं होते , कुछ अपवाद छोड़ कर ।
मैं फिर कुछ प्रश्न करता हूं --इन वर्गों में कितने लेखक हैं ? कितने पत्रकार हैं? कितने कवि हैं? कितने कहानीकार ? कितने उपन्यासकार? कितने कलाकार ? कितने गायक? कितने धर्माचार्य ? या मैं दूसरी तरह से पूछूं कितने चाणक्य ? कितने वशिष्ठ ? कितने बुद्ध ? कितने दयानन्द ? कितने विवेकानन्द? या पूछूं मन्दिरों में आपके कितने पुजारी हैं? कितने शादी विवाह और अन्य धार्मिक कार्य कराने वाले?
क्या आपके परिवारों , आपके संगठनों ने इन क्षेत्रों में भागीदारी के कार्यक्रम चलाये ? चलाये तो कितने पत्रकार, लेखक , कवि आदि आदि पैदा किये? आप कहेंगे ये पैदा नहीं किये जाते , ये जन्मजात होते हैं । मान भी लें तो क्या आपने और आपके संगठनों ने वातावरण दिया कि जिससे इन क्षेत्रों में प्रतिभा निखरती ? होता यह आया है कि इन क्षेत्रों में आपके बीच कोई काम करता है तो उसे कभी सम्मान नहीं देंगे बढ़ावा देना तो दूर । आप बाल्मीकि का उत्तराधिकारी नहीं पैदा कर पाये । अम्बेडकर ने कहा शिक्षित बनो --हमने उनकी मूर्तियाँ लगा दीं और मस्त हो गये अपने में । पहले भी हम यह कर चुके हैं --बुद्ध की शिक्षा मानने के बजाय बना दी उनकी भी मूर्तियाँ जो मूर्ति पूजा के ही विरोधी थे ।
हम क्या करें?? व्यक्ति के रूप में आप अपने परिवार , सगे सम्बन्धियों में चिन्हित करें जिन्हें थोड़ी भी रुचि हो इन क्षेत्रों में । संगठनों के रूप में अपने अपने समाजों में चिन्हित करें उन लोगों को जो या तो रुचि रखते हों या कुछ काम कर रहे हों , फिर उन्हें बढ़ावा दें और उनको आर्थिक सहायता दें ताकि उनके कृतित्व का प्रकाशन हो सके ।
एक परिकल्पना दूँगा --आप की आबादी मान लें 100 करोड़ है तो अगर एक प्रतिशत यानी एक करोड़ लेखक , कवि हो जायें और वे एक साल में एक किताब भी अपने मनचाहे विषय पर लिखें तो हर वर्ष एक करोड़ किताबें !! और निश्चित वे आपके साथ न्याय करेंगी । पाँच वर्षों में पाँच करोड़ पुस्तकें तो देश में बौद्धिक क्रांति ले आयेंगी । इन में से कुछ लाख पत्रकार हों तो सम्भव है आपके साथ कोई अन्याय कर सके । कुछ लाख धर्माचार्य हों, कलाकार हों तो कौन सी क्रांति हो जायेगी कभी सोचा है ?
विश्व गवाह है ----बौद्धिक क्रान्तियों के बाद ही राजनैतिक क्रांतियां होती हैं । अगर ऐसा हुआ तो राजनैतिक भागीदारी को कौन रोक पायेगा ? फिर सत्ता तो आपके पास ही रहेगी बौद्धिक भी और राजनैतिक भी । लेकिन फिर स्मरण करा दूं बौद्धिक सत्ता चाभी है राजनैतिक सत्ता पाने के लिये । दूर क्यों जायें दक्षिण भारत में यह बहुत पहले हो चुका है -- रामास्वामी नायकरों और ज्योति फुलों द्वारा । अम्बेडकर भी बाद में राजनैतिक थे पहले थे लेखक , विचारक 14 पुस्तकों के लेखक । तभी उनका लोहा गांधी , पटेल ,नेहरू सब मानते थे । वे इन्हीं गुणों और विशेषताओं के कारण संविधान की ड्राफ्ट कमेटी के अध्यक्ष बनाये गये । उनकी योग्यता को राष्ट्र ने नमन किया । आइये हम कुछ कार्यक्रम चलायें और एक क्रांति के संवाहक बनें ।
मुख्य कार्यक्रम --------
१--संगठनों में विभिन्न बौद्धिक और कला के क्षेत्रों में कार्य करने वालों या रुचि रखने वालों को चिन्हित करें ।प्रथक प्रथक नाम पतों के साथ अभिलेख बनायें ।
२-- सम्मेलनों और कार्यक्रमों में उन्हें सम्मानित करें ।
३-- उनकी कला के विकास के लिये और उनकी रचित पुस्तकों के प्रकाशन के लिये उन्हे आर्थिक सहयोग दें --समाज के धनी व्यक्ति आगे आयें ।
४-- लगातार --साप्ताहिक , मासिक समीक्षा करें कि इन क्षेत्रों में कितनी प्रगति हुई ।
५-- पत्र पत्रिकाओं की संख्या बढ़ायें और उन्हे लेखकीय , आर्थिक सहयोग दें ।
६-- रचनाकारों को पुस्तकें लिखने के लक्ष्य दें और उनके प्रकाशन की व्यवस्था करायें ।
७--रचनाकारों के प्रथक से भी संगठन बनायें और उनके सम्मेलन करें ।
राज कुमार सचान "होरी"- अध्यक्ष - बौद्धिक प्रकोष्ठ
राष्ट्रीय अध्यक्ष -बदलता भारत
www.badaltabharat.com , horibadaltabharat.blogspot.com , Facebook.com/Rajkumarsachanhori
Email rajkumarsachanhori@gmail.com , horirajkumarsachan@gmail.com


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Fwd: Raj Kumar Sachan Hori BJP leader and Rashtriya Adhyaksha BADALTA BHARAT with Anupriya Patel MP Mirzapur and General Secretary Apnadal .

Posted: 30 May 2014 10:34 PM PDT



---------- Forwarded message ----------
From: Raj Kumar Sachan HORI <rajkumarsachanhori@gmail.com>
Date: Wednesday, May 28, 2014
Subject: PH
To: Rajkumar sachan <horirajkumar@gmail.com>



Kuldeep Singh Rajput is still waiting for you to join Twitter...

Posted: 30 May 2014 04:29 PM PDT

 
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Accept invitation
 
     

Political awareness

राजनैतिक जागरूकता के लिये गोष्ठियों का आयोजन ।

अधिक सेअधिक राजनीति करें । सत्ता के बिना पिछड़े ।

Sunday 15 June 2014

राजनीति में नीति किधर? मैं ढूँढ रहा हूं युग युग मे

राजनीति में नीति किधर? मैं ढूँढ रहा हूं युग युग में ।
सतयुग ढूँढा, ढूंढा त्रेता ,ढूँढा द्वापर कलियुग में ।।
---------------------------------------------
हरिश्चंद्र का राजपाट भी , राजनीति ने छीना था ,
और मंथरा राजनीति ने , राम राज क्या कीन्हा था ?
बालि और रावण वध में भी नीति ,अनीति कहाँ तक थीं?
अग्निपरीक्षित हो कर भी क्या , सीता को विष पीना था ??

क्या सतयुग ,क्या त्रेता में भी राजनीति थी पग पग में ?
राजनीति में नीति किधर ? मैं ढूँढ रहा हूँ युग युग में ।।
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
द्वापर का तो अंश अंश भी राजनीति में पगा हुआ ।
कथा महाभारत में बोलो भ्रात भ्रात क्या सगा हुआ ?
विदुर नीति या नीति युधिष्ठिर क्या केवल आदर्श न थी,
क्या आदर्श? नहीं दिखता है , राजनीति से ठगा हुआ ?


कृष्ण काल में राजनीति ही व्याप्त हुई थी नग नग में
राजनीति में नीति किधर ? मैं ढूँढ रहा हूँ युग युग में ।
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान होरी









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बौद्ध भिक्षु के साथ सिक्किम

Farmers only


KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH: Father's Day

KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH: Father's Day: फादर्स डे या कोई भी डे मनाइये  आशय यही कि कम से कम एक दिन तो स्मरण करिये ,परन्तु माँ और पिता तो एक दिनी स्मरण के खिलौने नहीं । आपके इस दुनि...

Father's Day

फादर्स डे या कोई भी डे मनाइये  आशय यही कि कम से कम एक दिन तो स्मरण करिये ,परन्तु माँ और पिता तो एक दिनी स्मरण के खिलौने नहीं । आपके इस दुनियाँ में आने के पूर्व से ही आपके जीवन में उनका योगदान आरम्भ हो जाता है जो उनके स्वर्गवासी होने के बाद तक भी रहता है प्रेरणा और आदर्श के रूप में ।
         भारतीय संस्कृति में तीन ऋण बताये गये हैं जो प्रत्येक व्यक्ति पर रहते हैं ़़़ ---उनमें से एक है पितृ ऋण जो संस्कृत में माँ और पिता दोनों के लिये एक साथ प्रयुक्त होता है । यह पाश्चात्य संस्कृति ही है जो माँ और पिता को प्रथक करना सिखाती है , दोनों के अलग अलग दिन ----फादर्स डे और मदर्स डे ।
हमारे यहाँ प्रत्येक दिन माता ,पिता के चरण छूने का उल्लेख है , आशीर्वाद लेने का कथन है । एक बार देवताओं में बहस हुई कि किसी भी अनुष्ठान के पूर्व किस देवता की पूजा की जाय ? मंगल कार्य आरम्भ करने के पूर्व किसकी वन्दना की जाय ?  तय हुआ कि जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड की पहले परिक्रमा करके निर्धारित स्थान पर आ जाय वही देवता प्रथम आराध्य होगा । सब देवता दौड़ पड़े अपने अपने वाहनों में । गणेश जी का वाहन मूषक ( चूहा) था , उन्होंने वहीं विराजमान अपने माता पिता शंकर पार्वती की परिक्रमा की और बैठ गये । जब सभी देवता ब्रह्माँड की परिक्रमा कर लौटे तो देखा गणेश वहीं हैं । सब ख़ुश थे सोच रहे थे गणेश तो हार कर बैठे हैं ।
         निर्णय हुआ कि गणेश प्रथम आराध्य होंगे ,उन्हीं की वन्दना से सभी कार्य आरम्भ होंगे क्योंकि जो माता पिता की परिक्रमा करता है वही श्रेष्ठ है ।
      यह एक कथानक है पर है एक संदेश ,हर युग के लिये । 
मैंने अपने ढंग से पिता को स्मृति में रखने के लिये , पितृ ऋण चुकाने के लिये अपना उप नाम ( तकल्लुस) पिता के नाम से लिया "होरी"  --उनका नाम था --- श्री होरी लाल । जो आज नहीं हैं पर उनका नाम है । मुझे जानने वाले ८०%" होरी" नाम से ही जानते हैं  ।
मेरे विचार से यही है फादर्स डे मनाने का सच्चा तरीक़ा ,मदर्स डे मनाने का तरीक़ा ।

Wednesday 9 April 2014

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Friday 28 March 2014

Raj Kumar Sachan Hori

भाजपा मुख्यालय उ.प्र. में प्रभारी के साथ राजकुमार सचान "होरी" दिनांक २७ मार्च ।

Wednesday 26 March 2014

आम आदमी की कुंडलिया ---

आम आदमी की कुंडलिया ---
::::::::::::::::::::::::
आम आदमी नाम रख , फिरते हैं कुछ खास ।
उल्टी पुल्टी चाल से , तोड़ रहे विश्वास ।।
तोड़ रहे विश्वास , सदा परनिन्दा करते ,
संविधान से ऊपर खुद को सदा समझते ।।
लगातार ये बना रहे , माहौल मातमी ।
"होरी" बेहद शर्मिन्दा अब आम आदमी ।।
------------------------------------
राज कुमार सचान "होरी"
www.badaltabharat.com , horionline.blogspot.com





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Sunday 23 March 2014

मैं भी झेलूं , तू भी झेल

मैं भी झेलूं , तू भी झेल
---------------------
१--लूले अन्धे सत्ताकामी , मैं भी झेलूं ,तू भी झेल ।
प्रजातन्त्र के ये आसामी, मैं भी झेलूं तू भी झेल ।।
२--जब शासन में दु:शासन ,गान्धारी आँखों में पट्टी,
तब तब शकुनी कौड़ी कानी, मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
३--गान्धी गान्धी मुख से बोलें सत्य अहिंसा खाकर,
बापू के सुन्दर अनुगामी ,मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
४-- जब सत्ता वेश्या बना दी गई होगा क्या ,
सत्ता की औलाद हरामी , मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
५--कहता था मत विष घोलो यूँ हृदयों में ,
अब खून बह रहा जैसे पानी ,मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
६-- कश्मीर जलेगा , राष्ट्र जलेगा इसी तरह ,
भ्राता हो जब पाकिस्तानी ,मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
७--तन मन तार तार होता है होरी का फिर "होरी"
गोदानों की यही कहानी ,मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
८-- खण्ड राष्ट्र फिर खण्डित होने का भय "होरी"
दिल्ली जब जब बनी जनानी ,मैं भी झेलूं तू भी झेल ।

राज कुमार सचान "होरी"
www.badaltabharat.com ,horionline.blogspot.com
Email- rajkumarsachanhori@gmail.com


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Monday 17 March 2014

चुनाव में किसान /एक भावी आन्दोलन

चुनाव में किसान /एक भावी आन्दोलन
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पूरे देश में चुनाव का माहौल है , देश की सरकार जो बननी है । सबसे ज्यादा मतदाता किसान हैं लगभग 70% परन्तु हर बार उनका वोट तो लिया जाता है पर उनकी फसलों का वाजिब मूल्य नहीं दिया जाता । लागत मूल्य फसलों का बढ़ते रहने से किसान को आमदनी न के बराबर होती है , खर्च चलाना दूभर । किसान पूरे देश में आत्म हत्या करते हैं जो मात्र एक ख़बर भी नहीं बन पाती है । मैं स्वयं किसान हूँ और उत्तर प्रदेश प्रशासन में 34 वर्षों की सेवा भी की है साथ ही पूरे देश में किसानों के मध्य गया हूँ , अच्छी तरह जानता हूँ कि किसानों को गेहूं, धान आदि पारम्परिक खेती बन्द करनी पड़ेगी अपने स्वयं और परिवार को बचाने के लिये । वानिकी , औद्यानिक और मछली पालन जैसे क्षेत्रों में जाना होगा भले ही देश में खाद्यान का उत्पादन अत्यन्त कम हो जाय । अगली सरकार क्या फसलों के मूल्य वास्तविक लागत से अधिक निश्चित करेगी ??? अभी से किसानों और किसान संगठनों को विभिन्न दलों से आश्वासन लेना होगा ।
मैं लगातार किसानों से अपील करता रहा हूँ कि वे अपनी कृषि भूमि का कम से कम 20% बेच कर अपने गाँव के पास के कस्बे में उससे एक प्लाट ले लें जो कुछ ही वर्षों में उसको बहुत बड़ी कीमत देगा जो उसकी कुल भूमि की कीमत से भी अधिक होगी । गाँव में रहने के बजाय पास के कस्बे में रह कर अपनी खेती भी देखे और बच्चों को शहर में पढ़ाये , लिखाये । शहर में उसे खेती के अलावा भी कोई धन्धा अवश्य मिल जायेगा जो उसकी ग़रीबी और भुखमरी दूर करेगा ।
इसके लिये यथाशीघ्र मेरे द्वारा एक राष्ट्र व्यापी आन्दोलन आरम्भ किया जायेगा , जिसकी कार्य योजना तैयार की जा रही है ।आप स्वयं किसान हैं या किसान परिवार से हैं तो आपका सक्रिय सहयोग चाहिये ।
आपका साथी---
राज कुमार सचान "होरी"
www.badaltabharat.com , horibadaltabharat.blogspot.com ,
Facebook.com/RajKumarSachanHori
horirajkumarsachan@gmail.com


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Saturday 15 March 2014

कुंडलियां

कुंडलियां
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१--उधर विदेशी हाथ है , इधर देश का हाथ ।
आम आदमी पार्टी , लिये दोउ का हाथ ।।
लिये दोउ का साथ , फिर रहा कजरू लाला ।
झूठ , झूठ फिर झूठ , बोलता मुफलर वाला ।।
घोर अराजक , पलटू , झूठा महा जुगाड़ू़ ।
कजरू लेकर फिरे हाथ में गंदा झाड़ू ।।
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२-- बात ,बात में बोले जो औरों को काला ।
थूक थूक कर चाटे फिर , वह कजरू लाला ।।
आम आदमी नाम रख लिया , अपने दल का ।
सदा सहारा लेते , कजरू पल पल छल का ।।
चोर चोर सब चोर आप चिल्लाते रहते ।









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Friday 14 March 2014

Fwd: [Patel India Mission] एक समय हिन्दू समाज में इस धरती के ब्राम्हण देवता...



---------- Forwarded message ----------
From: Ved Prakash Patel <notification+zrdpivdzdrrf@facebookmail.com>
Date: Sunday, March 9, 2014
Subject: [Patel India Mission] एक समय हिन्दू समाज में इस धरती के ब्राम्हण देवता...
To: Patel India Mission <215646698642438@groups.facebook.com>


Ved Prakash Patel
Ved Prakash Patel 10:54pm Mar 9
एक समय हिन्दू समाज में इस धरती के ब्राम्हण देवता एवं मंदिरों में विराजमान कई तरह के देवी-देवताओं की चमत्कारी शक्तियों का बहुत बड़ा आतंक व्याप्त था। ब्राम्हण बात-बात पर श्राप देकर सर्वनाश कर देने की धमकी देते थे। अखाड़ों के तथाकथित साधू-महात्मा हाथी पर चढ़कर आते थे, घरों में घुसकर आँगन में अपना चमीटा गाड़कर कहते थे कि इतना लाओ तभी बाबा लोगों का चमीटा उखड़ेगा। ना देने पर श्राप देने की धमकी देते थे। उनके आतंक के खिलाफ राजा के यहाँ भी सुनवाई नहीं होती थी क्योंकि वह राजा भी उनसे डरे हुए होते थे।

लेकिन जब मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिरों को यहाँ तक कि अयोध्या के मंदिरों को भी तोड़कर मूर्तियों को रौंदना और पण्डे-पुजारियों को क़त्ल कर हवन-कुंडों में डालना शुरू किया, वही समय था जब हिन्दू समाज हिन्दू धर्म के खोखले आडम्बर को समझ जाता और अपनी धार्मिक सोंच को पुनर्परिभाषित कर लेता। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि बहुसंख्यक हिन्दू समाज दबा-कुचला और विवेकशून्य था। तथाकथित सवर्णों के लिए मौजूदा धार्मिक सोंच ही फायदेमंद था, उसी की वजह से उन्होंने समाज को अपना गुलाम बना रखा था।

शुरू- शुरू में हिंदुओं को जबर्दस्ती मुसलमान बनाया गया लेकिन बाद में खासकर अकबर एवं उसके बाद ज्यादातर धर्मांतरण हिंदुओं के हिन्दू धर्म से मोह भंग एवं मुस्लिम शासकों द्वारा धर्मांतरण को प्रोत्साहित करने के कारण हुए। इसी समय तुलसीदास, सूरदास आदि भक्तिकालीन कवियों ने हिन्दू मानसिकता को ईश्वर की भक्ति की तरफ यह कहकर मोड़ने का प्रयास किया कि जब-जब धर्म की हानि होती है और पाप अपनी चरम सीमा में पहुँचने लगता है, तब-तब ईश्वर अवतार लेकर दुष्टों का संहार करते हैं और अपने भक्तों का उद्धार करते हैं। खासकर तुलसीदास रचित रामचरित मानस की लेखन एवं शब्द शैली इतनी अच्छी है कि बस लोगों को भा गयी। इन सब ने मिलकर हिंदुओं में एक आशा का संचार किया। लेकिन फिर भी हिंदुओं की बर्बादी का असल कारण वर्ण-जाति भेद, उंच-नीच, छुआ-छूत, अंध-भक्ति, अंध-विश्वास आदि को न सिर्फ बनाये रखा गया बल्कि उन्हें भरपूर पोषित किया गया।

बीमारी का सही इलाज न होने के कारण बीमारी बढ़ती चली गयी। अब ईसाई धर्म के आगमन से लोग मुस्लिम धर्म के साथ-साथ ईसाई धर्म में भी धर्मान्तरित होने लगे। ऐसा कैसे सम्भव हो सकता है कि हिन्दू समाज के अभिजात्य वर्ग ( वह अभिजात्य वर्ग जिसे बहुसंख्यक हिन्दू समाज ने अपना माई-बाप समझा,स्वयं भूखे-नंगे रहकर उन्हें अपना सर्वश्व अर्पित किया ) को बीमारी की असली वजह एवं उसका इलाज मालुम न रहा हो ? लेकिन सुविधाभोगी इस वर्ग नें सिर्फ अपने स्वार्थ/ सुविधा को बनाये रखने के लिए हिन्दू समाज को खोखले आडम्बरों से, भेद-भाव से मुक्त कर उसकी सोंच को समता मूलक और सामयिक बनाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं किया।

आज जबकि सारी दुनिया ईश्वर को निराकार समझती है। प्राचीन हिन्दू मत भी यही है कि " एको अहम द्वितीयो नास्ति " , फिर भी हिन्दू धर्म के ठेकेदार सैकड़ों तरह के देवी-देवताओं को नचा-कुदाकार लोगों को भरमाने और अपना पेट पालने में लगे हुए हैं। वह हिन्दू धर्म के वास्तविक स्वरुप को जिससे कि दुनिया के अन्य धर्म-मतों ने शिक्षा ग्रहण किया ; समाज में स्थापित नहीं होने देना चाहते हैं भले ही यह विलुप्त ही क्यों न हो जाय।

यदि आप हिंदुत्व को बचाते हुए अन्यों को इसकी तरफ आकर्षित करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए निम्न कदम उठाने होंगे -
१- सैकड़ों देवी-देवताओं को नकार कर निराकार, निर्गुण, सर्व-व्यापी परम ब्रम्ह परमात्मा की उपस्थिति को अपने अंदर और बाहर सम्पूर्ण चराचर जगत में महसूस करते हुए पूजा-पाठ के स्थान पर सिर्फ समाज सेवा को ही एकमात्र धर्म समझना होगा।
२- अंतरजातीय विवाह के माध्यम से जितनी जल्दी हो सके जन्म आधारित जाति-व्यवस्था को त्यागकर प्राचीन कर्म-आधारित जाति-व्यवस्था अपनानी होगी।
३- अपना निजी स्वार्थ छोड़कर सामाजिक सौहार्द्र एवं सहयोग का ऐसा वातावरण तैयार करना होगा कि अपनों को जाने से रोका जा सके एवं औरों को आकर्षित किया जा सके।

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Thursday 6 March 2014

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From: Kapil Sharma <kapilzsharma09@gmail.com>
Date: 6 March 2014 2:16:02 PM GMT+05:30
To: "horirajkumar@gmail.com" <horirajkumar@gmail.com>
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Sunday 2 March 2014

सत्ता परिवर्तन के लिये ।

उन्हें सौंपे जो साकार करें सपना सरदार पटेल का , सशक्त भारत का । ऐसा एक ही है ....... मोदी

Thursday 27 February 2014

राम तेरे नाम

राम तेरे नाम
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(१)
राम एक आराध्य थाम गतिमय होना ।
रोम रोम में राम बीज प्रतिपल बोना ।।
जीवन स्वर्णिम होगा रे मन धीरज रख ,
राम नाम जप ,मनवा ;प्रातः शाम ।।
००००००००००००००००००००००००००००००
(२)
आश और विश्वास स्वयं में राम सिखाता ।
अन्धकार में पथ प्रकाश का राम दिखाता ।।
चलता रह बस ,चलता रह रे मन अविचल,
निष्काम भाव मन करता रह तू काम ।। राम नाम जप----
००००००००००००००००००००००००००००००००
(३)
कितने आये गये नाम ले तेरा बस ।
अपना भी तो कुछ पल का है डेरा बस ।।
बस तुम जाना नाम अमर कर इस उस जग,
निश्चिंत भाव से जाना फिर उस धाम ।। राम नाम जप ----
००००००००००००००००००००००००००००००००००
(४)
आना जाना नाट्य मन्च के दृश्य मनोहर ।
अपने अपने पाठ पूर्ण कर जाते उस घर ।।
बिना मोह भ्रम रे मन ,जीवन यापन कर ,
"होरी" जाना कह कह कह हे राम !! राम नाम जप ---
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान "होरी"
कवि, साहित्यकार ,वक्ता
राष्ट्रीय संयोजक ----India changes( बदलता भारत )
email - rajkumarsachanhori@gmail.com , horiindiachanges@gmail.com , www.indiachanges.com ,http// horibadaltabharat.blogspot.com http//pateltimes.blogspot.com
राम नवमी के अवसर पर प्रकाशन हेतु प्रेषित ।
राज कुमार सचान "होरी"




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Sunday 16 February 2014

DOHE MODI KE

                          दोहे मोदी के
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1--मोदी जैसा चाहिये , कुशल प्रशासक आज ।
     जो पटेल सा बन करे , राष्ट्र जनों का काज ।।
2--लौह शक्ति सा हो अटल ,हो पटेल का दूत ।
     मोदी भारत भूमि का , सच्चा , सुदृढ़ सपूत ।।
3--आज राष्ट्र को चाहिये , एक कुशल सरदार ।
     जो सरदार पटेल का , निभा सके किरदार ।।
4--मोदी और पटेल की , बी  जे  पी की  राह ।
     कुशल प्रशासक चाहिये, आज देश की चाह ।।
5--सशक्त राष्ट्र के वास्ते , लौह पुरुष की राह ।
     मोदी जी अब सज रहे , अजी वाह भइ वाह ।।
                                    राज कुमार सचान "होरी"
                                    9958788699 , 07599155999

Saturday 15 February 2014

Iron Statue of Sardar Patel

देश के समस्त पटेल भाइयों को दुनिया की सबसे विशाल मूर्ति निर्माण में बढ़ चढ़ कर भाग लेना चाहिये । मोदी जी का समस्त समाज और राष्ट्र इसके लिये उनका आभारी है ।