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Monday 1 August 2011

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Date: Mon, 01 AUG 2011 11:51:09 +0530
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To: horisardarpatel@gmail.com

और जहाँ तक प्रश्न है, संगठन के नामकरण का तो कुर्मी होने के नाते बताता
चलूँ कि कुर्मी समाज ही वह समाज है इस धरा का जिसनेँ सब कुछ तो शायद सीखा
भी हो या दम्भ भरे किन्तु संगठित होनेँ के नाम पर सदा से ही यह
निरुत्तर रहा है । और मैँ यदि यह भी कह दूँ कि यह मानव जगत् मेँ ही नहीँ
बल्कि सम्पूर्ण जीव जगत् का एकमात्र अलग -थलग रहने का कीर्तिमान स्थापित
कर चुका है तो शायद यह अतिशंयोक्ति ना होगा। इस लिये वर्तमान युग मेँ
सर्वाधिक आवश्यकता यह है सबसे पहले इस समाज को संगठित किया जाये ।एक
प्रमुख कारण यह भी है इस समाज के लोग देश के बहुत बड़े भू -भाग मेँ
बहुसँख्यक रुप से पाये जाते हैँ ऐसे मेँ इनका इस प्रकार से अलग रहना
राष्ट्र के लिये भी किसी प्रकार से हितकर नहीँ है चुँकि राष्ट्र के लिये
प्रत्येक ब्यक्ति इक कड़ी की भाँति होता है।
"जय पटेल"
सत्येन्द्र पटेल (फते0)

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