From: Dharmendra Gangwar <jnvdharmendra@gmail.com>
Date: 2011/11/23
Subject: कविता
To: horisardarpatel@gmail.com
कोई लगी भली...
जब वो मुड़ी...
खिली सी कली..
रह गई खड़ीं...
कोई लगी भली...
कोई लगी भली...
मंद बयार बही...
"सब" सही सही...
क्यों रही रही...
कोई लगी भली...
कोई लगी भली...
अधखुली सी फली...
महके खुली-खुली...
चांदनी भी जली...
कोई लगी भली...
कोई लगी भली...
साँसे रुकी-रुकी...
नज़रें झुकी-झुकी...
वो कैसे मिली???
कोई लगी भली...
कोई लगी भली...
मन रुके नहीं...
जाये कहीं-कहीं...
बांछे खिली-खिली...
कोई लगी भली...
कोई लगी भली...
आशाएं भरी-भरी...
मौजें उड़ी-उड़ी...
बातें खरी-खरी...
कोई लगी भली...
कोई लगी भली...
कलम चल पड़ी...
नज़र उड़ चली...
कोई लगी भली...
कोई लगी भली...
---- धर्मेन्द्र गंगवार
Dharmendra Singh
T.G.T. (Hindi)
Jawahar Navodaya Vidyalaya, Devarhalli
Channagiri- Tq
Davanagere- Dist
(Karnatka) 577213
Mobile- 8088762856
9027554524
--
Dharmendra Singh
T.G.T. (Hindi)
JNV Davanagere (Karnatka)
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