परिवार जो नगरों में बस गए
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समाज के वे परिवार जो कस्बों , नगरों में शिफ्ट हो गए और जिनके परिवारों में खेती को देखने वाला कोई नहीं है ,उन्होंने अपने खेतों को या तो आधे /तिहाई पर दे रखा है या वार्षिक किराये पर उठा देते हैं जिसे रेंट /ठेका /बल्कठ कहते हैं , इन्हें खेती से अपेक्षित लाभ नहीं होता है .उनके लिए सुझाव है कि खेतों में सुरक्षा बाड़ लगा कर टीक [सागौन] लगा दें तीन ,तीन मीटर पर . समय समय पर पानी , खाद की व्यवस्था भी करते रहें . एक अवधि के पश्चात एक बहुत बड़ी पूँजी आपके हाथ होगी जो लाखों से करोणों तक हो सकती है
आईये कुछ तो सोचें . आपका भला है .
राज कुमार सचान 'होरी'
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समाज के वे परिवार जो कस्बों , नगरों में शिफ्ट हो गए और जिनके परिवारों में खेती को देखने वाला कोई नहीं है ,उन्होंने अपने खेतों को या तो आधे /तिहाई पर दे रखा है या वार्षिक किराये पर उठा देते हैं जिसे रेंट /ठेका /बल्कठ कहते हैं , इन्हें खेती से अपेक्षित लाभ नहीं होता है .उनके लिए सुझाव है कि खेतों में सुरक्षा बाड़ लगा कर टीक [सागौन] लगा दें तीन ,तीन मीटर पर . समय समय पर पानी , खाद की व्यवस्था भी करते रहें . एक अवधि के पश्चात एक बहुत बड़ी पूँजी आपके हाथ होगी जो लाखों से करोणों तक हो सकती है
आईये कुछ तो सोचें . आपका भला है .
राज कुमार सचान 'होरी'
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