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Friday 21 June 2013

ब्राह्मण बनें ; वैश्य बनें

ब्राह्मण बनें ; वैश्य बनें
(BE BRAHMIN ,BE VAISHYA)
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स्वजातीय बन्धुओ !
आप जानते ही हैं कि भारतवर्ष में आर्यों के समय से ही वर्ण व्यवस्था प्रचलित है ,जिसके अन्तर्गत अनेक कारणों से लगातार जातियाँ बनती रहीं । अधिकांश जातियाँ क्षत्रिय वर्ण से बनी जो कृषि कार्यों में लगी थीं और धीरे धीरे वर्ण व्यवस्था कमज़ोर होने और जाति व्यवस्था मज़बूत होने से वे कालान्तर में केवल जातिगत पहचान में सिमट कर रह गईं और क्षत्रिय वर्ण की पहचान से दूर हो गईं । इन्हीं में से आपकी कूर्मि ,कूर्मिक्षत्रिय ,कुनबी और इनके अन्तर्गत आने वाली जातियाँ आती हैं । कृषि पेशे में लगी होने के कारण ये जातियाँ दौड़ में पिछड़ती गईं और १९४७ के पश्चात पिछड़ी जातियों की श्रेणी में आ गयीं ।
आपकी जाति इसका सटीक उदाहरण है । आप लोग और आपके पूर्वज सदियों से यही सिद्ध करने में लगे हैं कि हम क्षत्रिय हैं । हीनता की भावना इतनी बैठ गई कि समाज की सारी ऊर्जा , ताकत इसी में लग गयी कि हम क्षत्रिय हैं यह सिद्ध करें । मेरे अध्ययन के अनुसार अपने समाज की यह सोच ही तर्कसंगत नहीं थी ।मेरा कहना है कि आपके समाज की उत्पत्ति ब्राह्मण से नहीं हुयी , इस विचार से सभी सहमत भी हैं । आप वैश्य वर्ण से भी नहीं उत्पन्न हुये ,इससे भी सब सहमत हैं । अब बात रह गयी क्षत्रिय और शूद्र वर्णों की । अपने समाज में दो वर्ग हैं ़़़़़ एक जो शूद्रों से उत्पत्ति मानते हैं और दूसरे जो क्षत्रिय वर्ण से मानते हैं । समाजशास्त्रीय विवेचन में और ऐतिहासिक आधार पर आपकी क्षत्रिय वर्ण से उत्पत्ति ही ठहरती है जैसा कि अपने समाज के भी अधिकांश विद्वानों का मत है ।असल में शूद्र से उत्पत्ति का तर्क ,तर्क पर कम आधारित है और हठ पर अधिक ।
अपने समग्र इतिहास के आधार पर जब आप क्षत्रिय वर्ण से उत्पन्न होते हैं तो आप क्षत्रिय हैं फिर अनावश्यक ऊर्जा खर्च करने का क्या तुक कि आप इसी में लगे रहें कि आप क्षत्रिय हैं , सिद्ध करें । जो सिद्ध है उसी को क्या सिद्ध करना । आप तो क्षत्रिय हैं ही । शंका नहीं । हाँ , अगर अपने को क्षत्रिय सिद्ध करने में लगे रहे तो दूसरों को भी लगेगा कि आप क्षत्रिय नहीं हैं ।इसलिये आप लिखें कुछ भी ,आप हैं क्षत्रिय ,समाजशास्त्रीय और ऐतिहासिक दोनों आधार पर ।
अब मैं जो कह रहा हूं उसे ध्यान से सुनिये , अगर मुझसे सहमत हों तो फिर ये विचार मेरे न रह कर आपके हो गये और इन्हें आगे बढ़ाइए । आप क्षत्रिय हैं परन्तु यह सत्य है कि आप ब्राह्मण नहीं हैं तो क्यों न आप ऐसे कर्म करिये जिससे आप ब्राह्मण की श्रेणी में आ जायें । जो कर्म ब्राह्मणों के लिये बताये गये हैं वे ही करिये । ब्राह्मण बनिये ।अनेक उदाहरण हैं जो थे तो क्षत्रिय पर कर्म से ब्राह्मण बन गये, आप को किसने रोका है आप भी ब्राह्मण बन सकते हैं , तो आइये राज कुमार सचान होरी के साथ आप ब्राह्मणत्व को प्राप्त हों , ब्राह्मण बनें ।
आज के आर्थिक युग में धन दौलत , रुपया पैसा बहुत आवश्यक है । व्यवसाय का युग है ।जो व्यक्ति या राष्ट्र व्यवसायी होता है वही आगे बढ़ता है , अमेरिका , चीन, जापान और यूरोपीय देशों के उदाहरण सामने हैं । इसलिये आइये हमारे साथ हम आप व्यवसायी बनें , वैश्य बनें ।
अब आपके समक्ष रास्ता बिल्कुल स्पष्ट है --क्षत्रिय आप हैं ही बनना है तो सिर्फ़ ब्राह्मण और वैश्य । आइये प्रतिज्ञा करें मेरे साथ कि हम ब्राह्मण बनेंगे , वैश्य बनेंगे ।
राज कुमार सचान "होरी"
राष्ट्रीय अध्यक्ष -- कूर्मिक्षत्रिय महासंघ
प्रधान संपादक - पटेल टाइम्स
http/ horionline.blogspot.com , kurmikshatriyamahaasangh.blogspot.com , pateltimes.blogspot.com
Email- rajkumarsachanhori@gmail.com
07599155999



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