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Tuesday, 10 September 2013

Meeting of OBC'S in Ravindralaya Lucknow

There is a huge meeting in lucknow on 14sept 2013 at RAVINDRALAYA  of OBC'S . EX HOME MINISTER shree jhadapiya and Rashtriya Adhyaksha BADALTA BHARAT  shree Raj Kumar Sachan Hori will be present at function 

Monday, 5 August 2013

ओउम् नम:शिवाय

ओउम् नम:शिवाय
(शिव रात्रि पर )
यह शिव रात्रि तुम्हारे जीवन, की घुप रात्रि मिटा दे ।
सुख सम्पत्ति प्रवेश करे गृह ,दुख दारिद्रय मिटा दे ।।
शिव त्रिनेत्रधारी हर कर हर दुख भव पार करे ,
दे सतयुग तुझको ,तेरा हर कलियुग पूर्ण घटा दे ।।
हर हर बम बम शिव शिव कह कह बोलें नम: शिवाय ।।
ओउम् नम: शिवाय । ओउम् नम: शिवाय ।।



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Friday, 26 July 2013

" ज़रूरी बहस "

" ज़रूरी बहस "
रफ्तार न्यूज़ चैनेल पर प्रत्येक रविवार और गुरुवार
रात्रि 9 बजे से 9.40 बजे तक ।
आपके लिये , हमारे लिये और सबसे अधिक सम्पूर्ण राष्ट्र के लिये ज़रूरी विषयों पर सार्थक बहस-- "ज़रूरी बहस "
बहस का संचालन करेंगे प्रसिद्ध कवि , लेखक , प्रखर वक्ता और समाजसेवी --राज कुमार सचान" होरी"

"अपनी बात "
राज कुमार सचान "होरी"के साथ
रफ्तार न्यूज़ चैनल पर ही ठीक ज़रूरी बहस के तुरन्त बाद
रात्रि 9.40 बजे से 10 बजे तक --प्रत्येक रविवार और गुरुवार
इसमें हम साक्षात्कार करेंगे महत्वपूर्ण व्यक्तियों का जिनकी उपलब्धियों से आप ले सकते हैं प्रेरणा ।
विशेष -- इन दोनो कार्यक्रमों में आप भाग भी ले सकते हैं --- महत्वपूर्ण दर्शक , वक्ता या साक्षात्कार व्यक्तित्व के रूप में ।
आप अपना विज्ञापन भी दे सकते हैं ।
सम्पर्क----
09350990139 (Rajput ), 08938841199(Hori), 08800228509(Rohit ), 09910906545(Tyagi), 09810162266(Vikash)
Emails - indiachanges2012@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com , horiindiachanges@gmail.com


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Friday, 21 June 2013

ब्राह्मण बनें ; वैश्य बनें

ब्राह्मण बनें ; वैश्य बनें
(BE BRAHMIN ,BE VAISHYA)
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स्वजातीय बन्धुओ !
आप जानते ही हैं कि भारतवर्ष में आर्यों के समय से ही वर्ण व्यवस्था प्रचलित है ,जिसके अन्तर्गत अनेक कारणों से लगातार जातियाँ बनती रहीं । अधिकांश जातियाँ क्षत्रिय वर्ण से बनी जो कृषि कार्यों में लगी थीं और धीरे धीरे वर्ण व्यवस्था कमज़ोर होने और जाति व्यवस्था मज़बूत होने से वे कालान्तर में केवल जातिगत पहचान में सिमट कर रह गईं और क्षत्रिय वर्ण की पहचान से दूर हो गईं । इन्हीं में से आपकी कूर्मि ,कूर्मिक्षत्रिय ,कुनबी और इनके अन्तर्गत आने वाली जातियाँ आती हैं । कृषि पेशे में लगी होने के कारण ये जातियाँ दौड़ में पिछड़ती गईं और १९४७ के पश्चात पिछड़ी जातियों की श्रेणी में आ गयीं ।
आपकी जाति इसका सटीक उदाहरण है । आप लोग और आपके पूर्वज सदियों से यही सिद्ध करने में लगे हैं कि हम क्षत्रिय हैं । हीनता की भावना इतनी बैठ गई कि समाज की सारी ऊर्जा , ताकत इसी में लग गयी कि हम क्षत्रिय हैं यह सिद्ध करें । मेरे अध्ययन के अनुसार अपने समाज की यह सोच ही तर्कसंगत नहीं थी ।मेरा कहना है कि आपके समाज की उत्पत्ति ब्राह्मण से नहीं हुयी , इस विचार से सभी सहमत भी हैं । आप वैश्य वर्ण से भी नहीं उत्पन्न हुये ,इससे भी सब सहमत हैं । अब बात रह गयी क्षत्रिय और शूद्र वर्णों की । अपने समाज में दो वर्ग हैं ़़़़़ एक जो शूद्रों से उत्पत्ति मानते हैं और दूसरे जो क्षत्रिय वर्ण से मानते हैं । समाजशास्त्रीय विवेचन में और ऐतिहासिक आधार पर आपकी क्षत्रिय वर्ण से उत्पत्ति ही ठहरती है जैसा कि अपने समाज के भी अधिकांश विद्वानों का मत है ।असल में शूद्र से उत्पत्ति का तर्क ,तर्क पर कम आधारित है और हठ पर अधिक ।
अपने समग्र इतिहास के आधार पर जब आप क्षत्रिय वर्ण से उत्पन्न होते हैं तो आप क्षत्रिय हैं फिर अनावश्यक ऊर्जा खर्च करने का क्या तुक कि आप इसी में लगे रहें कि आप क्षत्रिय हैं , सिद्ध करें । जो सिद्ध है उसी को क्या सिद्ध करना । आप तो क्षत्रिय हैं ही । शंका नहीं । हाँ , अगर अपने को क्षत्रिय सिद्ध करने में लगे रहे तो दूसरों को भी लगेगा कि आप क्षत्रिय नहीं हैं ।इसलिये आप लिखें कुछ भी ,आप हैं क्षत्रिय ,समाजशास्त्रीय और ऐतिहासिक दोनों आधार पर ।
अब मैं जो कह रहा हूं उसे ध्यान से सुनिये , अगर मुझसे सहमत हों तो फिर ये विचार मेरे न रह कर आपके हो गये और इन्हें आगे बढ़ाइए । आप क्षत्रिय हैं परन्तु यह सत्य है कि आप ब्राह्मण नहीं हैं तो क्यों न आप ऐसे कर्म करिये जिससे आप ब्राह्मण की श्रेणी में आ जायें । जो कर्म ब्राह्मणों के लिये बताये गये हैं वे ही करिये । ब्राह्मण बनिये ।अनेक उदाहरण हैं जो थे तो क्षत्रिय पर कर्म से ब्राह्मण बन गये, आप को किसने रोका है आप भी ब्राह्मण बन सकते हैं , तो आइये राज कुमार सचान होरी के साथ आप ब्राह्मणत्व को प्राप्त हों , ब्राह्मण बनें ।
आज के आर्थिक युग में धन दौलत , रुपया पैसा बहुत आवश्यक है । व्यवसाय का युग है ।जो व्यक्ति या राष्ट्र व्यवसायी होता है वही आगे बढ़ता है , अमेरिका , चीन, जापान और यूरोपीय देशों के उदाहरण सामने हैं । इसलिये आइये हमारे साथ हम आप व्यवसायी बनें , वैश्य बनें ।
अब आपके समक्ष रास्ता बिल्कुल स्पष्ट है --क्षत्रिय आप हैं ही बनना है तो सिर्फ़ ब्राह्मण और वैश्य । आइये प्रतिज्ञा करें मेरे साथ कि हम ब्राह्मण बनेंगे , वैश्य बनेंगे ।
राज कुमार सचान "होरी"
राष्ट्रीय अध्यक्ष -- कूर्मिक्षत्रिय महासंघ
प्रधान संपादक - पटेल टाइम्स
http/ horionline.blogspot.com , kurmikshatriyamahaasangh.blogspot.com , pateltimes.blogspot.com
Email- rajkumarsachanhori@gmail.com
07599155999



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Tuesday, 18 June 2013

बदलता भारत

बदलता भारत
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धर्म निरपेक्षता शब्द का अर्थ हमारे नेताओं को इतना ही पता है कि जो और जब उन्हे सुविधाजनक लगे वही धर्मनिरपेक्ष है । कश्मीर में इसका अर्थ बाकी देश से कुछ जुदा है । वहाँ अल्प संख्यकों में सिख , ईसाई , जैन , सनातनी आते हैं परन्तु उनको क्या अल्पसंख्यकों वाली सुविधायें वहाँ प्राप्त हैं?
असल में कोई भी राजनीति धर्म सापेक्षता की होनी ही नहीं चाहिये । धर्म के आधार पर न तो किसी का विरोध और न तो किसी का समर्थन -- यह सिद्धान्त होना चाहिये । लेकिन वोटों के लिये जाति , धर्म के जितने दुरुपयोग किये जा रहे हैं उतने शायद अन्य के नहीं । यह दुख:द है कि फिर अगर देश का क्षरण हुआ तो उसकी जड़ में ये दोनों ही होंगे ।
आइये चेतें , लोकतंत्र को , देश को जिन्दा रखने के लिये घटिया नेतागीरी और सिद्धान्तहीन स्वार्थों से बाज आयें ।राष्ट्र को क्षरण से बचायें ।
India Changes ( बदलता भारत )


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Sunday, 9 June 2013

आत्म कथ्य

आत्म कथ्य
-----------------------------राज कुमार सचान होरी -राष्ट्रीय संयोजक बदलता भारत(India Changes)
भय कहाँ मुझको कभी , असिधार में चलता हूं मैं ,
तुम किनारों से चलो ,मझधार में चलता हूं मैं ।
माँ शारदे ने है दिया अधिकार मुझको लेखनी का ,
"होरी" बना ,नित दर्द के संसार में चलता हूं मैं ।।



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Saturday, 8 June 2013

जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम की माँग पर कैंडिल मार्च में ग़ाज़ियाबाद में अड़ंगा

जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम की माँग पर कैंडिल मार्च में ग़ाज़ियाबाद में अड़ंगा
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ग़ाज़ियाबाद ज़िला प्रशासन ने 8 जून को ,कैंडिल मार्च की अनुमति नहीं दी । 144 धारा लागू । राष्ट्र हित में "बदलता भारत "द्वारा संसद से जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम बनाने के लिये जगह जगह कैंडिल मार्च के आयोजन किये जा रहे है , परन्तु ग़ाज़ियाबाद में अत्यन्त क्षुब्ध करने का क़दम प्रशासन ने उठाया और हज़ारों कार्यकर्ताओं , पदाधिकारियों , संभ्रांत नागरिकों को ठेस पहुचाते हुये पता नहीं क्या सोच कर अनुमति नहीं दी । कैंडिल मार्च का नेत्रत्व स्वयं राष्ट्रीय संयोजक श्री राज कुमार सचान होरी कर रहे थे जो स्वयं भी ग़ाज़ियाबाद में अपर ज़िला मजिस्ट्रेट सहित महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं । एक आपात बैठक आहूत कर प्रशासन को चेतावनी देते हुये आज का शान्तिपूर्ण मार्च दुखी मन से स्थगित किया गया । शीघ्र ही पुनः बड़े पैमाने पर मार्च का आयोजन किया जायेगा और अगर तब भी प्रशासन ने मार्च में बाधा पहुँचायी तो बदलता भारत शान्तिपूर्वक तरीके अपनाता हुआ कैंडिल मार्च करेगा और आवश्यक होने पर सारे पदाधिकारी, कार्यकर्ता ,अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ राष्ट्र हित में जेल भी जायेंगे ।
क़ानून की माँग के साथ साथ जनता में परिवार नियोजन को बढ़ावा देने का कार्यक्रम संगठन चलाता है जिस पर रोक तानाशाही और गैरकानूनी है । बदलता भारत (India Changes) पूरे देश का ध्यान इस ओर आकर्षित कर रहा है और राष्ट्र हित में आप सबसे सहयोग की आशा भी करता है ।ग़ाज़ियाबाद के कार्यक्रम में श्री शीतला शंकर विजय मिश्र राष्ट्रीय प्रवक्ता , श्री गजय सिंह त्यागी प्रदेश उपाध्यक्ष , श्री एस पी गुप्ता सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी, श्री अशोक श्रीवास्तव, श्री सत्य प्रकाश शर्मा प्रवक्ता ,श्री कुलदीप राजपूत मीडिया प्रभारी , रोहित राज सचान एडवोकेट सहित हज़ारों लोग उपस्थित रहे ।


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Wednesday, 5 June 2013

कैंडिल मार्च क्यों ???

कैंडिल मार्च क्यों ???
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भाइयों एवं बहनों,
देश में जनसंख्या विष्फोटक स्थिति पर पहुँच चुकी है जो आज देश की सारी प्रगति को दीमक की तरह चाट रही है ।इसी बढ़ती जनसंख्या के कारण आज शहरों में चलना दूभर है , चारों ओर जाम ही जाम । अगर हम अभी नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब सारे शहर केवल भीड़भाड़ वाले मेलों में तब्दील हो जायेंगे और हम एक स्थान से दूसरे स्थान तक मेलों की भाँति केवल पैदल ही पहुँच पायेंगे ।
जनसंख्या नियंत्रण के लिये जागरूकता कार्यक्रम सरकारों द्वारा चलाये जाते रहे लेकिन आंकडे़ सामने हैं । कभी गंभीरता से चिन्तन करिये तो पायेंगे ,राष्ट्र के भविष्य के लिये यक्ष प्रश्न खड़ी करती है जनसंख्या । जिस देश की अधिसंख्य आबादी कुपोषण से ग्रस्त, अशिक्षित , बेरोजगार ,ग़रीब हो उस देश से आशा भी क्या की जा सकती है ?
हमारी जनसंख्या का घनत्व ग़रीबी के मध्य सर्वाधिक है । ग़रीबी और आबादी एक दूसरे के पूरक हैं , अन्योन्याश्रित हैं । देश की युवा फौज का 80% अंश ग़रीब परिवारों से है जो स्वयं साधन हीन है ,वे देश के विकास में कितनी भागीदारी निभायेंगे ? जनसंख्यावृद्धि धर्म , सम्प्रदाय , जाति से जोड़ कर देखना एक गंभीर भूल है , समस्या से मुँह मोड़ना है । ग़रीबों की स्थितियां ही ऐसी होती हैं कि उन्हीं के बीच जनसंख्या तेज़ी से फलती फूलती है ।
ग्रामीण क्षेत्रों की बढ़ती जनसंख्या पलायन कर शहरों में आ बसती है ।इनमें से अधिकांश स्लम या झुग्गी झोपड़ी में रहती है । नगर दिन पर दिन विष्फोटक स्थिति में पहुँच रहे हैं ।
एक बात यहाँ गंभीरता से समझनी होगी ----- नेताओं, राजनीतिक दलों और धनाड्यों को जनसंख्या बढ़ने से लाभ है -----एक को भारी संख्या में मतदाता मिलते हैं तो दूसरे को मिलते हैं उपभोक्ता और सस्ते श्रमिक । इसलिये राष्ट्र को अपूरणीय क्षति पहुँचाने वाली इस समस्या से हमें ही जूझना होगा । जागरूकता पैदा करने के साथ साथ हमें आन्दोलन चलाने होंगे ---- एक सक्षम क़ानून के लिये । हिन्दू , मुस्लिम , सिख ,ईसाई आदि सभी को कंधे से कंधा मिला कर । चीन का उदाहरण हमारे सामने है । ग़रीब के हित में और राष्ट्र के हित में इस देश को एक न एक दिन "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम "बनाना होगा और देश को अपूरणीय क्षति से बचाना होगा ।
हम कैंडिल मार्च से देश का ध्यान खींचना चाहते हैं और देश की संसद से माँग करते हैं कि शीघ्र ही इस आशय का बिल संसद में लाये और समुचित प्रावधानों के साथ उसे शीघ्र पारित करे ।आइये ,भारत बदलना चाहता है -- समय की माँग है -- बस हम खुले मन से साथ दें ।
बदलता भारत( INDIA CHANGES ) की अनेक माँगे हैं जिनके लिये हम संघर्षरत हैं और उनमें से एक है ---- जनसंख्या नियंत्रण के लिये सक्षम क़ानून की माँग । क़ानून जो सबके लिये समान हो ,कोई दबाव नहीं , जोरजबरदस्ती नहीं --बस एक क़ानून हम सबके लिये ।
आइये जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बनवाने के लिये 8 जून 2013 को हम मिल कर कैंडिल मार्च निकाल कर जन जागृति पैदा करे़ और संसद तक अपनी बात पहुंचायें ।
''जनसंख्या के सैलाब में बह न जायें हम कहीं ,
क़ानून की पतवार अब , हाथ में ले लीजिये ।
'होरी' अभी भी है समय कुछ चेतिये,उठ बैठिये ,
डूबने से पूर्व ,जिन्दा कौ़म हैं , कुछ कीजिये ।।'' आपका साथी
राज कुमार सचान 'होरी'
राष्ट्रीय संयोजक
दिनांक --25 मई 2013 INDIA CHANGES (बदलता भारत )
Facebook.com/pages/ India changes , Facebook.com/ group/ India changes , www.indiachanges.com , indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , horibadaltabharat.blogspot.com
Emails ---indiachanges2012@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com
Delhi office --- 182/3 गुरु कृपा एपार्टममेंट , ग्राउंड फ्लोर , महरौली ,नई दिल्ली -30 ,, ग़ाज़ियाबाद कार्यालय --63 NITI KHAND 3rd ,Indirapuram Gzb


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Monday, 3 June 2013

तुम्हारी ऐसी तैसी

तुम्हारी ऐसी तैसी
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१--कहो जी मन में बैठा चोर, तुम्हारी ऐसी तैसी ।
और फिर खुद ही करते शोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।।
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२--कंठी माला तिलक जोगिया वस्त्र धरे,
अन्तस् पापी घट घनघोर ,तुम्हारी ऐसी तैसी ।
----------------------------------------
३---देख और घनघोर घटायें ,क्यों पाँव कांपते ,
और फिर नाचो बन कर मोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
--------------------------------------------
४--वाक्य बनाते गिरगिट से करते शब्दों के खेल ,
कवि तुम खुद ही भाव विभोर ,तुम्हारी ऐसी तैसी ।
------------------------------------------
५--बार बार सुन चुके तुम्हारी यह कविता तुमसे ,
अमां फिर करते हो बोर ,तुम्हारी ऐसी तैसी ।
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६--पतंग उड़ा आकाश दिखाना शगल तुम्हारा,
काटते छुप छुप कर खुद डोर,तुम्हारी ऐसी तैसी ।।
-------------------------------------------
७--कठपुतली से मंदिर मस्जिद गिरजाघर गुरुद्वारे,
ओट से खुदी नचाते डोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
-------------------------------------------
८--तुम सबने चूसा था उसको जब तक वह था जीवित,
अब कफ़न बाँट की होड़ , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
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९--दिल्ली रानी राज कर रही देश धंस रहा दलदल में ,
बिल्ली सी बनी चटोर , तुम्हारी ऐसी तैसी ।
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१०--माना तुम हो बड़े आदमी पूछ तुम्हारी ,
"होरी" आदत से पर ढोर, तुम्हारी ऐसी तैसी ।
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान "होरी"
विशेष --- 1991 में लिखी मेरी यह ग़ज़ल काव्यमंचों की मेरी पहचान बनी थी ।कभी दरबार हाल ,राजभवन , लखनऊ में तहलका मचाया था । फेसबुकीय मित्रों को समर्पित ---तुम्हारी ऐसी तैसी , इस निवेदन के साथ कि इसमें कही गई कोई भी बात आपके लिये नहीं परन्तु यदि कोई भी बात आप पर सत्य बैठे तो यह महज़ संयोग होगा ,"तुम्हारी ऐसी तैसी " नहीं ।



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Sunday, 2 June 2013

क्रिकेट छोड़ो --देश बचाओ ----एक मुहिम

क्रिकेट छोड़ो --देश बचाओ ----एक मुहिम
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राज कुमार सचान 'होरी' --राष्ट्रीय अध्यक्ष --बदलता भारत ( India Changes )
आपको सर्वप्रथम इंग्लैंड के इतिहास की ओर ले चलता हूं जिसके लिये कहा जाता था कि उसके राज्य में सूर्य नहीं डूबता था । था भी सत्य क्योंकि उसका राज्य सम्पूर्ण विश्व में फैला हुआ था । जब अंग्रेज चरम उत्कर्ष पर थे तभी उन्होने क्रिकेट खेल का आविष्कार किया और ब्रिटेन में " मेरिलबोन क्रिकेट क्लब " (M.C.C) की स्थापना की । यह विस्तृत शोध का विषय है एक ओर क्रिकेट का उत्थान होता रहा दूसरी ओर अंग्रेजों की सत्ता का पतन ।अंग्रेज कौ़म क्रिकेट खेलने में व्यस्त हो गई और धीरे धीरे वह राज करने के तरीके भूल गई । आलम यह कि क्रिकेट के उच्चतम स्तर तक पहुचते पहुँचते अंग्रेज निम्न स्तर पर आ गये और अंग्रेजों का सूरज सदा सदा के लिये डूब गया । अब हमारी बारी है ।
क्रिकेट और जुयें( gambling ) में समानतायें इस कदर हैं कि आप इसे खेल नहीं अपितु एक जुआं ही कह सकते हैं ।जुयें( gambling ) में कर्म , ज्ञान से अधिक स्थान भाग्य का होता है । अनिश्चितता के इस खेल को खेल जुयें का तो कहा जा सकता है game या sport नहींं । तभी fixing का बादशाह ही क्रिकेट है क्योंकि क्रिकेट स्वयं gambling है । पूरा का पूरा देश जुयें में लग गया कोई खेलने में तो कोई देखने में । अब इससे ईश्वर ही बचा सकता है ।
खेलों के मुकाबले जुयें में मनोरंजन अधिक होता है यह सर्वमान्य तथ्य है तभी क्रिकेट में अन्य खेलों के मुकाबले मनोरंजन का खजाना खुला रहता है । काम धन्धा छोड़ पूरा देश उसी में व्यस्त ०००विद्यार्थी अध्यापक, दुकानदार खरीददार , मज़दूर मालिक , नेता जनता --- पूरा देश आकंठ डूबा ।
सर्वे करिये देश के प्रत्येक नागरिक के कितने काम के घंटे वर्ष भर में क्रिकेट में स्वाहा होते हैं । पूरे देश को कितनी क्षति होती है ?? भारत जैसे विकासशील देश में समय की यह बरबादी हमें ग़रीब बनाने के लिये काफ़ी है ।
हम इंग्लैंड और अंग्रेजों के इतिहास से अगर सबक न ले सके तो हमें डूबने से कोई बचा न सकेगा हमारा भगवान भी नहीं ।जब इंग्लैंड जैसा देश जिसके राज्य में सूरज नहीं डूबता था एक कोने में सिमट कर रह गया , पूरी तरह बिखर गया तब हमारी क्या बिसात ? हम तो वैसे ही कमज़ोर हैं , हम क्रिकेट के धक्के को कतई बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे ।
आइये "क्रिकेट छोड़ें -देश बचायें --एक मुहिम " में हमारा साथ दें । भारत को एक संभावित मुसीबत से उबारें ।। देशप्रेमी , राष्ट्रभक्त साथियों ! आयें भारत बचायें ।।
बदलता भारत(India Changes) आपके साथ ।।
राज कुमार सचान "होरी"
राष्ट्रीय अध्यक्ष --बदलता भारत
www.indiachanges.com , indiachanges2012.blogspot.com , indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , Facebook / pages / India changes


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दोहे जीवन समर के

दोहे जीवन समर के

१---जीवन भर रहते रहे , अपने ही घर द्वार ।
पर अपनो के संग ही , खड़ी रही दीवार ।।
२---जीवन तो जीती रही , जी न सकी पर संास ।
होरी फलती फूलती , बगिया रही उदास ।।
३----एक विटप से जा लिपट , गयी शिखर के पार ।
खड़ा रहा तन कर तना ,इसी लिये इस पार ।।
४----भौंरे !तुझ संग खेलते , फूली फली अगाध ।
मम हिय पर जाना नहीं ,जीता रहा प्रमाद ।।
५-----रेखा तो तिर्यक सरल ,बिन्दु सदा इक रूप ।
दोनो के सम्बन्ध पर , नाचे विद्वत् भूप ।।
६----नारी नर के पास है , नर नारी के पास ।
होरी फिर भी दूरियाँ ,यही प्रकृति संत्रास ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान "होरी "




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Monday, 27 May 2013

Join the site

Your blog has crossed 10thousand mark of page viewers  and 64 followers . It is read all over world. Pl become followers of your reputed site. Pl ask your friends also .

लेख और कवितायें आमंत्रित

इस ब्लाग के पृष्ठ दृष्टा ( page viewers ) 10330 से अधिक हो चुके हैं । सभी को बधाई । आप लेख ,कवितायें , विचार और समाचार प्रकाशन के लिये भेजें । kurmikshatriyamahaasangh.kkms@blogger.com सबसे अच्छे लेख और कविता को पुरस्कृत किया 

Friday, 24 May 2013

कैंडिल मार्च क्यों ???

कैंडिल मार्च क्यों ???
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भाइयों एवं बहनों,
देश में जनसंख्या विष्फोटक स्थिति पर पहुँच चुकी है जो आज देश की सारी प्रगति को दीमक की तरह चाट रही है ।इसी बढ़ती जनसंख्या के कारण आज शहरों में चलना दूर है , चारों ओर जाम ही जाम । अगर हम अभी नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब सारे शहर केवल भीड़भाड़ वाले मेलों में तब्दील हो जायेंगे और हम एक स्थान से दूसरे स्थान तक मेलों की भाँति केवल पैदल ही पहुँच पायेंगे ।
जनसंख्या नियंत्रण के लिये जागरूकता कार्यक्रम सरकारों द्वारा चलाये जाते रहे लेकिन आंकडे़ सामने हैं । कभी गंभीरता से चिन्तन करिये तो राष्ट्र के भविष्य के लिये यक्ष प्रश्न खड़ी करती है जनसंख्या । जिस देश की अधिसंख्य आबादी कुपोषण से ग्रस्त, अशिक्षित , बेरोजगार ,ग़रीब हो उस देश से आशा भी क्या की जा सकती है ?
हमारी जनसंख्या का घनत्व ग़रीबी के मध्य सर्वाधिक है । ग़रीबी और आबादी एक दूसरे के पूरक हैं , अन्योन्याश्रित हैं । देश की युवा फौज का 80% अंश ग़रीब परिवारों से है जो स्वयं साधन हीन है ,वे देश के विकास में कितनी भागीदारी निभायेंगे ? जनसंख्यावृद्धि धर्म , सम्प्रदाय , जाति से जोड़ कर देखना एक गंभीर भूल है , समस्या से मुँह मोड़ना है । ग़रीबों की स्थितियां ही ऐसी होती हैं कि उन्हीं के बीच जनसंख्या तेज़ी से फलती फूलती है ।
एक बात यहाँ गंभीरता से समझनी होगी ----- नेताओं, राजनीतिक दलों और धनाड्यों को जनसंख्या बढ़ने से लाभ है -----एक को भारी संख्या में मतदाता मिलते हैं तो दूसरे को मिलते हैं उपभोक्ता और सस्ते श्रमिक । इसलिये राष्ट्र को अपूरणीय क्षति पहुँचाने वाली इस समस्या से हमें ही जूझना होगा । जागरूकता पैदा करने के साथ साथ हमें आन्दोलन चलाने होंगे ---- एक सक्षम क़ानून के लिये । हिन्दू , मुस्लिम , सिख ,ईसाई आदि सभी को कंधे से कंधा मिला कर । चीन का उदाहरण हमारे सामने है । ग़रीब के हित में और राष्ट्र के हित में इस देश को एक न एक दिन "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम "बनाना होगा और देश को अपूरणीय क्षति से बचाना होगा ।
हम कैंडिल मार्च से देश का ध्यान खींचना चाहते हैं और देश की संसद से माँग करते हैं कि शीघ्र ही इस आशय का बिल संसद में लाये और समुचित प्रावधानों के साथ उसे शीघ्र पारित करे ।आइये ,भारत बदलना चाहता है -- समय की माँग है -- बस हम खुले मन से साथ दें ।
बदलता भारत( INDIA CHANGES ) की अनेक माँगे हैं जिनके लिये हम संघर्षरत हैं और उनमें से एक है ---- जनसंख्या नियंत्रण के लिये सक्षम क़ानून की माँग । क़ानून जो सबके लिये समान हो ,कोई दबाव नहीं , जोरजबरदस्ती नहीं --बस एक क़ानून हम सबके लिये ।
आइये जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बनवाने के लिये 8 जून 2013 को हम मिल कर कैंडिल मार्च निकाल कर जन जागृति पैदा करे़ और संसद तक अपनी बात पहुंचायें ।
''जनसंख्या के सैलाब में बह न जायें हम कहीं ,
क़ानून की पतवार अब , हाथ में ले लीजिये ।
'होरी' अभी भी है समय कुछ चेतिये,उठ बैठिये ,
डूबने से पूर्व ,जिन्दा कौ़म हैं , कुछ कीजिये ।।'' आपका साथी
राज कुमार सचान 'होरी'
राष्ट्रीय संयोजक
दिनांक --25 मई 2013 INDIA CHANGES (बदलता भारत )
Facebook.com/pages/ India changes , Facebook.com/ group/ India changes , www.indiachanges.com , indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , horibadaltabharat.blogspot.com
Emails ---indiachanges2012@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com
Delhi office --- 182/3 गुरु कृपा एपार्टममेंट , ग्राउंड फ्लोर , महरौली ,नई दिल्ली -30 ,, ग़ाज़ियाबाद कार्यालय --63 NITI KHAND 3rd ,Indirapuram Gzb


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Wednesday, 22 May 2013

एक दोहा सिर्फ़ आपके लिये ००००००००००

एक दोहा सिर्फ़ आपके लिये ००००००००००
माना तुमने पा लिया , निज कर से आकाश ।
लेकिन पा न सके उन्हें ,जो बैठे थे पास ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान होरी


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Tuesday, 21 May 2013

ग्राम सरकार और नगर सरकार

ग्राम सरकार और नगर सरकार
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(3) ग्राम सरकार और नगर सरकार ़़़़ 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संशोधन लागू कराना ।
भारत के जनमानस को ध्यान में रख अपनी जनता के सशक्तीकरण के लिये कभी देश की संसद ने बड़े उत्साह और राष्ट्र के प्रति पूर्ण निष्ठा की पवित्र भावना से गाँवों और नगरों को अपनी सरकार बनाने के लिये 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संसोधन करते हुये देश कीजनता को है अधिकार दिया। था ।
आज स्थिति यह हैै इतने महत्वपूर्ण संविधान संसोधन हम अभी तक सम्पूर्ण देश में लागू नहीं कर पाये हैं । जिन प्रदेशोंने इन्हें लागू किया है वहाँ के परिणाम बड़े अच्छे , उत्साहवर्धक रहे हैं । परन्तु कुछ प्रदेश इन्हें अपने अधिकारों में हनन समझकर लागू नहीं कर रहे हैं । जिन प्रदेशों में इन्हें लागू नहीं किया गया उनकी स्थिति विकास की दृष्टि से असन्तोषजनक बनी हुयी है ।
देश की आधी जनता ग़रीबी रेखा के नीचे है ,विकास की दौड़ में अत्यन्त पीछे ।जनता की नियम क़ानून बनानें और संसाधनों के विकास में कोई भागीदारी नहीं है ।जबकि उक्त संसोधनों के पीछे जनता जनार्दन को सशक्त बनाने की भावना थी ।
इंडिया चेंजेज़ ( INDIA CHANGES ) ने इस प्रकरण में देश की नब्ज जानने की कोशिश की हैै़़़़ ़़़देश। के समस्त प्रधान , पंचायतों के प्रतिनिधि , ग्रामीण जनता 73 वाँ संसोधन लागू कराना चाहती है । इसके लिये समय समय पर आंदोलन भी होते रहते हैं । इसी तरह 74 वाँ संसोधन नगर निकायों के जनता के प्रतिनिधि - पार्षद और महापौर तथा नगरीय जनता लागू कराना चाहती है ।
आइए जनभावनाओं के अनुरूप देश की समस्त जनता की भलाई के लिये बिना किसी और विलम्ब के उक्त दोनों संसोधनों को पूर्ण निष्ठा से लागू करें। हम यह भी माँग करते हैं कि संसद एक संसोधन के द्वारा इन्हें स्वैच्छिक के स्थान पर अनिवार्य कर दे। जनता के इतने महत्वपूर्ण अधिकार राज्य सरकारों के भरोसे न छोड़े जाँय ।
जनता के द्वारा जनता की सरकार के लिये भले ही देशव्यापी आंदोलन क्यों न छेड़ना पड़े ।
इंडिया चेंजेज़ ( INDIA CHANGES )(बदलता भारत )
www.indiachanges.com ,indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020blogspot.com ,horiindiachanges.blogspot.com , horibadaltabharat.blogspot.com ,Facebook.com/pages/India-changes ,
Eid -- indiachanges2012@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com


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ग्राम सरकार और नगर सरकार

ग्राम सरकार और नगर सरकार
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(3) ग्राम सरकार और नगर सरकार ़़़़ 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संशोधन लागू कराना ।
भारत के जनमानस को ध्यान में रख अपनी जनता के सशक्तीकरण के लिये कभी देश की संसद ने बड़े उत्साह और राष्ट्र के प्रति पूर्ण निष्ठा की पवित्र भावना से गाँवों और नगरों को अपनी सरकार बनाने के लिये 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संसोधन करते हुये देश कीजनता को है अधिकार दिया। था ।
आज स्थिति यह हैै इतने महत्वपूर्ण संविधान संसोधन हम अभी तक सम्पूर्ण देश में लागू नहीं कर पाये हैं । जिन प्रदेशोंने इन्हें लागू किया है वहाँ के परिणाम बड़े अच्छे , उत्साहवर्धक रहे हैं । परन्तु कुछ प्रदेश इन्हें अपने अधिकारों में हनन समझकर लागू नहीं कर रहे हैं । जिन प्रदेशों में इन्हें लागू नहीं किया गया उनकी स्थिति विकास की दृष्टि से असन्तोषजनक बनी हुयी है ।
देश की आधी जनता ग़रीबी रेखा के नीचे है ,विकास की दौड़ में अत्यन्त पीछे ।जनता की नियम क़ानून बनानें और संसाधनों के विकास में कोई भागीदारी नहीं है ।जबकि उक्त संसोधनों के पीछे जनता जनार्दन को सशक्त बनाने की भावना थी ।
इंडिया चेंजेज़ ( INDIA CHANGES ) ने इस प्रकरण में देश की नब्ज जानने की कोशिश की हैै़़़़ ़़़देश। के समस्त प्रधान , पंचायतों के प्रतिनिधि , ग्रामीण जनता 73 वाँ संसोधन लागू कराना चाहती है । इसके लिये समय समय पर आंदोलन भी होते रहते हैं । इसी तरह 74 वाँ संसोधन नगर निकायों के जनता के प्रतिनिधि - पार्षद और महापौर तथा नगरीय जनता लागू कराना चाहती है ।
आइए जनभावनाओं के अनुरूप देश की समस्त जनता की भलाई के लिये बिना किसी और विलम्ब के उक्त दोनों संसोधनों को पूर्ण निष्ठा से लागू करें। हम यह भी माँग करते हैं कि संसद एक संसोधन के द्वारा इन्हें स्वैच्छिक के स्थान पर अनिवार्य कर दे। जनता के इतने महत्वपूर्ण अधिकार राज्य सरकारों के भरोसे न छोड़े जाँय ।
जनता के द्वारा जनता की सरकार के लिये भले ही देशव्यापी आंदोलन क्यों न छेड़ना पड़े ।
इंडिया चेंजेज़ ( INDIA CHANGES )(बदलता भारत )
www.indiachanges.com ,indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020blogspot.com ,horiindiachanges.blogspot.com , horibadaltabharat.blogspot.com ,Facebook.com/pages/India-changes ,
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Monday, 20 May 2013

क्या आप रुचि रखते है़??

क्या आप रुचि रखते है़??
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
बदलता भारत (INDIA CHANGES ) विभिन्न क्षेत्रों में 8 जून को सायं 6pm से 9 pm तक एक कैंडिल मार्च का आयोजन कर रहा है । जो भी हमारी विचारधारा का है और समझता है कि जागरूकता के साथ साथ जनसंख्या नियंत्रण के लिये क़ानून बनाने की आवश्यकता है , और हमारी तरह वह भी मानता है कि जनसंख्या से सबसे अधिक पीड़ा ग़रीब को होती है ,अशिक्षा , कुपोषण ,बेरोजगारी ,अपराध से वह ग्रस्त हो जाता है , आइये हमारे साथ देश में जागरूकता लायें और संसद को कहें कि एक सक्षम क़ानून "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम " बनायें ।
जो भी जहाँ है प्रतीक स्वरूप कैंडिल मार्च में भाग ले ।जो व्यक्ति स्वयं कैंडिल मार्च का आयोजन करना चाहे हमें Facebook के माध्यम से बदलता भारत ( India changes) के पेज में अवगत कराये और हमारे मेल indiachanges2012@gmail.com अथवा indiachanges2013@mail.comपर सूचित करे ।
राज कुमार सचान होरी
राष्ट्रीय संयोजक - बदलता भारत ( India changes )


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Saturday, 18 May 2013

देश के राजनैतिक दलों , बुद्धिजीवियों से प्रश्न ???

देश के राजनैतिक दलों , बुद्धिजीवियों से प्रश्न ???
देश में विस्फोटक स्तर तक बढ़ रही जनसंख्या के नियंत्रण के लिये "बदलता भारत "( INDIA CHANGES ) संसद से "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम " बनाने की माँग करता है । आप राष्ट्रीय महत्व के इस बिन्दु का समर्थन करते हैं ? या विरोध ?
समर्थन के लिये लिखें ---हाँ । विरोध के लिये लिखें -नहीं ।
राज कुमार सचान 'होरी'
राष्ट्रीय संयोजक - बदलता भारत (INDIA CHANGES ) www.indiachanges.com ,horibadaltabharat.blogspot.com , horiindiachanges.blogspot.com , indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , facebook.com/pages/India changes , eid ----- indiachanges2012@gmail.com ,indiachanges2013@gmail.com



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Friday, 17 May 2013

देश के राजनैतिक दलों , बुद्धिजीवियों से प्रश्न ???

देश के राजनैतिक दलों , बुद्धिजीवियों से प्रश्न ???
देश में विस्फोटक स्तर तक बढ़ रही जनसंख्या के नियंत्रण के लिये "बदलता भारत "( INDIA CHANGES ) संसद से "जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम " बनाने की माँग करता है । आप राष्ट्रीय महत्व के इस बिन्दु का समर्थन करते हैं ? या विरोध ?
समर्थन के लिये लिखें ---हाँ । विरोध के लिये लिखें -नहीं ।
राज कुमार सचान 'होरी'
राष्ट्रीय संयोजक - बदलता भारत (INDIA CHANGES ) www.indiachanges.com ,horibadaltabharat.blogspot.com , horiindiachanges.blogspot.com , indiachanges2013.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , facebook.com/pages/India changes , eid ----- indiachanges2012@gmail.com ,indiachanges2013@gmail.com



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कैंडिल मार्च

कैंडिल मार्च
दिनांक 8 जून 2013 समय 6 सायं से आरम्भ ।
स्थान ------महर्षि बाल्मीकि मंदिर निकट मदर डेरी चौक सेक्टर --5 राजेंद्र नगर से सरदार पटेल पार्क मोहन नगर ।
माँग --- "जनसंख्या नियंत्रण क़ानून " को संसद द्वारा बनाया जाय ।
दिनांक 8 जून शनिवार को सायं 6 बजे से जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के बनाये जाने की माँग के समर्थन में एक कैंडिल मार्च महर्षि बाल्मीकि मंदिर , राजेन्द्र नगर से " बदलता भारत " (INDIA CHANGES ) संगठन द्वारा निकाला जायेगा । यह कैंडिल मार्च विभिन्न स्थानों से होता हुआ 8 बजे सायं पटेल पार्क , मोहन नगर चौराहा पहुँचेगा जहाँ पर इसका समापन होगा ।
आज देश जनसंख्या विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है ।जहाँ सौ वर्ष पहले 1901 में भारत की जनसंख्या ( पाकिस्तान और बांग्लादेश को सम्मिलित करते हुये ) 23 करोड़ 80 लाख मात्र थी वहीं 2011 की जनगणना के अनुसार केवल अपने देश की जनसंख्या 125 करोड़ से अधिक है । यह वृद्धि तब है जब परिवार नियोजन और परिवार कल्याण के कार्यक्रम जोर शोर से राज्य और केन्द्र की सरकारों द्वारा चलाये जाते रहे हैं । आज जनसंख्या में हम विश्व में दूसरे स्थान पर हैं और मात्र 8 वर्षों बाद 2021 में हमारा देश पहले स्थान पर पहुँच जायेगा ।
80 करोड़ ग़रीबों का यह देश विश्व में ग़रीबी में सर्वोच्च पाँच स्थानों पर है । कितना शर्मनाक है यह ? यह अन्योन्याश्रित सत्य है कि ग़रीबी से जनसंख्या बढ़ती है और जनसंख्या से ग़रीबी बढ़ती है । यह एक कटु और ऐतिहासिक तथा अर्थशास्त्रीय सत्य है कि जनसंख्या वृद्धि ग़रीबी और ग़रीबों को बढ़ाती है ।किसी भी परिवार और राष्ट्र के आर्थिक संसाधन तो अंकगणितीय अनुपात में बढ़ते हैं जबकि जनसंख्या बीजगणितीय अनुपात में । आज स्थिति यह है कि देश में बहुमुखी विकास के बावजूद ग़रीबी भयानक रूप से बढ़ी है ।
जनसंख्या में बढो़तरी अमीरों के लिये उतनी कष्टकारी नहीं जितनी ग़रीबों के लिये । बच्चे अधिक होने से कुपोषण , अशिक्षा , बीमारी , ग़रीबी , अपराध एक साथ बढ़ते हैं । यह एक भ्रांति है और मिथ्या तथ्य है कि अधिक बच्चे ग़रीब के लिये अधिक काम करने वाले पैदा करते हैं इसलिये उसकी आर्थिक स्थिति सुधरती है । दो हाथों के साथ एक पेट भी तो आता है और उन हाथों के पास कोई संसाधन भी नहीं होते हैं और मात्र मज़दूरी पर आश्रित हो जाने से ग़रीबी साथ नहीं छोड़ती ।अभाव में जीवन और ग़रीब , और अभिशप्त हो जाता है ।
बदलता भारत ने इस समस्या का सांगोपांग अध्ययन किया है और पाया है कि देश के ग़रीबों के हित में जनसंख्या नियंत्रण विशेष रूप से आवश्यक है ।ग़रीबी मिटाने के लिये जनसंख्या नियंत्रित होनी आवश्यक है और इसका नियंत्रण अब बिना क़ानून के नहीं हो सकता । बिना जोर जबरदस्ती और बल प्रयोग के समानरूप से सभी के लिये परिवार नियोजन का एक ही उपाय है इसकेलिये सर्वोच्च संस्था संसद द्वारा एक ऐसा विधान बनाया जाय जो बिना किसी विभेद के समस्त भारतीय नागरिकों पर लागू हो । क़ानून की धारायें सख्त हों और उनके उल्लंघन पर कड़े प्रावधान हों । चीन से इस संबंध में बहुत कुछ सीखा जा सकता है ।
जनसंख्या बढ़ने से अशिक्षा , ग़रीबी बढ़ने से अपराधों में वृद्धि होती है । माँग और आपूर्ति में भारी अन्तर से आर्थिक भ्रष्टाचार बढ़ता है । शहरों में चारों ओर जाम और रेलों और बसों में लम्बी लम्बी वेटिंग क्या है ? एक दिन ये सारे शहर मात्र पैदल चलने लायक ही बचेंगे । दिल्ली और अन्य नगरों में नारियों के प्रति अपराध और बलात्कार क्या हैं ? ग़रीबों ,अशिक्षितों की फौजें तैयार हो गयी है़ जो न तो क़ानून जानती हैं और उनके पास संस्कार सीखने का न तो अवसर है न सुविधायें । जनसंख्या नियंत्रण से इन क्षेत्रोंमे भी सुधार होगा निश्चित ही ।
सम्पूर्ण देश में समस्त समान विचारधारा के संगठनों के साथ मिल कर जगह जगह सभाओं , रैलियों के द्वारा जागरूकता पैदा करने का कार्य बदलता भारत करेगा और आवश्यकता पड़ने पर बड़ा आन्दोलन भी खड़ा करेगा जब तक समस्त समस्याओं की जड़ जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिये कोई सशक्त क़ानून न बन जाय । देश के समस्त तालों की चाभी " जनसंख्या नियंत्रण क़ानून " है । आइये इसके लिये , राष्ट्र के लिये और ग़रीबों के लिये वातावरण बनायें ।
8जून के कैंडिल मार्च का नेतृत्व श्री राज कुमार सचान 'होरी' करेंगे । इसका संयोजन बदलता भारत की ग़ाज़ियाबाद इकाई द्वारा किया जा रहा है ।श्री विकास चौधरी मंडलीय संयोजक और ग़ाज़ियाबाद प्रवक्ता श्री सूर्यप्रकाश शर्मा की देखरेख में आयोजन किया जा रहा है । राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री शीतला शंकर विजय मिश्र , प्रसिद्ध कवि पं सुरेश नीरव राष्ट्रीय प्रवक्ता , मीडिया प्रभारी श्री कुलदीप सिंह राजपूत , श्री कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी , श्री जी एस त्यागी , श्री रोहित राज सचान एडवोकेट तथा अन्य अनेक महत्वपूर्ण व्यक्तियों द्वारा भाग लिया जायेगा ।
आप समस्त से अनुरोध है कि इस मार्च में भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनायें ।
बदलता भारत (INDIA CHANGES )
Eid -indiachanges2012@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com
www.indiachanges.com , horiindiachanges.blogspot.com , horibadaltabharat.blogspot.com , indiachanges2020.blogspot.com , Facebook.com/pages/India-changes


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Tuesday, 14 May 2013

ओउम् नम: शिवाय

ओउम् नम: शिवाय
( होरी काव्य सागर )
(छन्द )-5
कभी ग़रीबी , कभी अशिक्षा , कभी धर्म की आड़ ।
जनसंख्या के हम नित नित , करते खड़े पहाड़ ।।
भगवान की देन हैं बच्चे कह पुनः शुरू हो जाते ।
बच्चे जनने की मशीन को निश दिन रहे चलाय ।।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।।


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Monday, 13 May 2013

ओउम् नम: शिवाय

ओउम् नम: शिवाय
(होरी काव्य सागर से )
( छन्द)-4
देश में बढ़ती जाती दिन दिन हिजड़ों की नव टोली ।
हाव भाव हम उनके सीखे ,सीख गये हैं बोली ।।
गंभीर समस्याओं के हल में बजा रहे हैं ताली ।
और उन्हीं की भाँति निकालें मुख से आय हाय ।।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।।
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान 'होरी'


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Saturday, 11 May 2013

ओउम् नम: शिवाय

ओउम् नम: शिवाय
( होरी काव्य सागर )
(छन्द )-3
कभी ग़रीबी , कभी अशिक्षा , कभी धर्म की आड़ ।
जनसंख्या के हम नित नित , करते खड़े पहाड़ ।।
भगवान की देन हैं बच्चे कह पुनः शुरू हो जाते ।
बच्चे जनने की मशीन को निश दिन रहे चलाय ।।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।।


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Friday, 10 May 2013

ओउम् नम: शिवाय

ओउम् नम: शिवाय
*******************************************************************
[ होरी काव्य सागर ]
(छन्द)--2
नेता जी का चेहरा भोला , नीयत टेढ़ी मेढ़ी ।
बार बार जनता को पेरा , जैसे गन्ना पेड़ी ।।
नोवा पैरों में डाला जो प्रजातन्त्र की बेड़ी ।
जीवन भर जनता को दूहा जइस दुधारू गाय ।।
ओउम् नम: शिवाय , ओउम् नम: शिवाय ।
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान होरी



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Tuesday, 7 May 2013

Fwd: बदलता भारत के दोहे



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Begin forwarded message:

From: Rajkumar sachan <horirajkumar@gmail.com>
Date: 27 April 2013 11:27:21 AM GMT+05:30
Subject: बदलता  भारत  के  दोहे

                       बदलता  भारत  के  दोहे
***********************************************
(१)परिवर्तन की लीजिये , सदा श्वंास प्रश्वांस ।
    बदलेगा भारत कभी, यही आश  विश्वास ।।
(२) भारत को बदलो ,उठो ,चलो हमारे साथ ।
     होरी बढ़ो , बढ़ो ,बढ़ो ,लिये हाथ में हाथ ।।
(३) जनसंख्या इस भाँति ,यदि, बढ़ी और श्रीमान ।
     मेले   से बन   जायेंगे , सारे  नगर  सचान ।।
(४) भारत में होगा कभी , जनसंख्या विस्फोट ।


Monday, 6 May 2013

मुक्तक -------

मुक्तक -------
०००००००००००००००००००००००००००००००००
१- ब्रह्म हूं मैं , जानता हूं ।
ब्रह्म तुम भी ,मानता हूं ।।
ब्रह्म ही है तत्व जो ,
अक्षर रहेगा, जानता हूं ।।
२- आइये हम साथ हों , भारत बदलने के लिये ,
आमजन के हेतु हम ,कुछ तो करें , कुछ भी करें ।
हाथ में ले हाथ , हम बढ़ते रहें , बढ़ते रहें ,
मोतियों से देश की होरी सदा झोली भरें ।।



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Saturday, 4 May 2013

5 अस्पृश्ता निवारण और सामाजिक समरसता

5 अस्पृश्ता निवारण और सामाजिक समरसता
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इस देश का ऐतिहासिक कटु सत्य है ़़़़जातियां और जातियाँ ।जातियों के अन्दर जातियाँ । जातियों के बाहर जातियाँ । इनमें कोयी ऊँचा तो कोयी नीचा । छुआछूत अभी तक जारी । विवाह ,भोजन में पृथक पृथक । यहाँ तक धर्म परिवर्तन के पश्चात भी जातियाँ विद्यमान हैं और उनमें छोटी बड़ी सभी ।
देश का बड़ा दुर्भाग्य है कि इन असंख्य जातियों के कारण अस्पृश्ता बनी हुयी है और सामाजिक समरसता अन्त्यन्त क्षीण है । कभी धर्म के कारण तो कभी जातियों के कारण समाज में एकता नहीं आ पाती , राष्ट्र वाद की भीषण कमी है ।
इस देश को जिसने भी जाना समझा उसने सबसे पहले अछूत (अस्पृश्य ) को गले लगाया ़़़़़गांधी को ही देख लीजिये हमेंशा अछूतोद्धार के लिये कार्य किया ।
आइए देश की इस घृणित कुरीति को हमेशा के लिये जड़ से उखाड़ फेंकने और जातियो के अन्तर को मिटाने के लिये हमारे साथ आयें । कंधा से कंधा मिलायें । इंडिया चेंजेज़ के साथ आयें । प्रत्येक शुबह की शुरुआत किसी अछूत समझे जाने वाले परिवार के घर प्रात:भोजन से करें, दोपहर एक मज़दूर के यहाँ भोजन और रात एक किसान के घर भोजन , यह हमारी पद्धति है समरसता की ।
अगर गाँव और शहर गंदे हों ,सफाई न हो तो वहाँ के रहने वाले कैसे स्वच्छ रहेंगे ? कैसे स्वस्थ रहेंगे ? पर आज भी स्थिति बनी हुई है कि सभी जगह भारी गंदगी है और सफाई करने वालों की भारी कमी । जनसंख्या के मानकों के अनुसार सफाई कर्मियों की शीघ्र भर्ती आवश्यक है वह भी केवल सफाईकर्मी परिवारों से, यह हमारी महत्वपूर्ण माँग है ।
हमारी माँग है, अंतर्जातीय विवाहों को बढ़ावा देना ।ऐसा करने वालों को सम्मानित करना ।
इंडिया चेंजे़ज़ ( INDIA CHANGES )
www.indiachanges.com , horiindiachanges.blogspot.com ,horibadaltabharat.blogspot.com
Eid -indiachanges2013@gmail.com



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दो दिवसीय उपवास ( अनशन ) ,धरनास्थल, दारुल सफा,लखनऊ

दो दिवसीय उपवास ( अनशन ) ,धरनास्थल, दारुल सफा,लखनऊ
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दिनांक एक मई को मज़दूर दिवस पर INDIA CHANGES (बदलता भारत ) तथा अर्जक साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय उपवास और धरना प्रदेश स्तर पर किया गया , जिसका नेतृत्व दोनो संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष ,प्रसिद्ध कवि , साहित्यकार , समाजसेवी एवं प्रखर वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने किया ।
चौदह सूत्री ज्ञापन धरना स्थल पर आकर अपर नगर मजिस्ट्रेट ने लिया ।इस अवसर पर भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया । मुख्य वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने संचालन करते हुये कहा कि बुद्धिजीवी को राजनीति में आना ही होगा अन्यथा देश में परिवर्तन नहीं होगा । अब भारत बदल रहा है , उसमें मौलिक परिवर्तन के लिये सृजन करना होगा । कलम उठाना होगा , देश की पिछड़ी जातियाँ लेखन से दूर होने के कारण और पिछड़ गईं ।दलित जातियों ने भी कोई लेखक , कवि पैदा करनें में संगठित प्रयास नहीं किये । दोनो ने उच्च जातियों से वैमनस्य का पाठ ही पढ़ा । बुद्ध , अम्बेडकर , लोहिया , राम स्वरूप वर्मा के बौद्धिक कार्यों को इनके ही अनुयायियों नें नहीं माना ।
होरी ने सम्बोधन में कहा कि आइये अब चाणक्य बनिये , वशिष्ठ बनिये । रानीतिक के साथ साथ साहित्यिक , धार्मिक सत्ता प्राप्त करना आवश्यक है ।अन्य वक्ताओं में इंडिया चेंजेज़ के प्रदेश संयोजक श्री हरिपाल सिंह , राष्ट्रीय अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री अखिलेश कटियार , प्रदेश अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री केदार सचान , श्री नत्थूलाल सचान कानपुर, श्री फूल चंद्र चौधरी , मीडिया प्रभारी बदलता भारत श्री रिज़वान चंचल , श्री जंग बहादुर पटेल बाराबंकी , सत्येंद्र पटेल फ़तेहपुर , जगदीश्वर पटेल लखनऊ ,श्री अशोक पटेल महाराजगंज , प्रियंका कटियार प्रदेश महिला अध्यक्ष शोषित समाज दल , राजेश सचान आदि मुख्य रहे ।
सम्पूर्ण देश में बदलता भारत के द्वारा लगातार अभियान चलाये जा रहे हैं । आप आयें ----
देश की माटी बुलाती है तुम्हें ,
आओ उठकर राष्ट्र ध्वज को थाम लो ।
धर्म और जातियों का भाव तज ,
प्यारों बेटो , भारत माँ का नाम लो । (होरी )


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Friday, 3 May 2013

दो दिवसीय उपवास ( अनशन ) ,धरनास्थल, दारुल सफा,लखनऊ

दो दिवसीय उपवास ( अनशन ) ,धरनास्थल, दारुल सफा,लखनऊ
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आज दिनांक एक मई को मज़दूर दिवस पर INDIA CHANGES (बदलता भारत ) तथा अर्जक साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय उपवास और धरना प्रदेश स्तर पर किया गया , जिसका नेतृत्व दोनो संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष ,प्रसिद्ध कवि , साहित्यकार , समाजसेवी एवं प्रखर वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने किया ।
चौदह सूत्री ज्ञापन धरना स्थल पर आकर अपर नगर मजिस्ट्रेट ने लिया ।इस अवसर पर भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया । मुख्य वक्ता श्री राज कुमार सचान "होरी" ने संचालन करते हुये कहा कि बुद्धिजीवी को राजनीति में आना ही होगा अन्यथा देश में परिवर्तन नहीं होगा । अब भारत बदल रहा है , उसमें मौलिक परिवर्तन के लिये सृजन करना होगा । कलम उठाना होगा , देश की पिछड़ी जातियाँ लेखन से दूर होने के कारण और पिछड़ गईं ।दलित जातियों ने भी कोई लेखक , कवि पैदा करनें में संगठित प्रयास नहीं किये । दोनो ने उच्च जातियों से वैमनस्य का पाठ ही पढ़ा । बुद्ध , अम्बेडकर , लोहिया , राम स्वरूप वर्मा के बौद्धिक कार्यों को इनके ही अनुयायियों नें नहीं माना ।
होरी ने सम्बोधन में कहा कि आइये अब चाणक्य बनिये , वशिष्ठ बनिये । रानीतिक के साथ साथ साहित्यिक , धार्मिक सत्ता प्राप्त करना आवश्यक है ।अन्य वक्ताओं में इंडिया चेंजेज़ के प्रदेश संयोजक श्री हरिपाल सिंह , राष्ट्रीय अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री अखिलेश कटियार , प्रदेश अध्यक्ष शोषित समाज दल श्री केदार सचान , श्री नत्थूलाल सचान कानपुर, श्री फूल चंद्र चौधरी , मीडिया प्रभारी बदलता भारत श्री रिज़वान चंचल , श्री जंग बहादुर पटेल बाराबंकी , सत्येंद्र पटेल फ़तेहपुर , जगदीश्वर पटेल लखनऊ ,श्री अशोक पटेल महाराजगंज , प्रियंका कटियार प्रदेश महिला अध्यक्ष शोषित समाज दल , राजेश सचान आदि मुख्य रहे ।
सम्पूर्ण देश में बदलता भारत के द्वारा लगातार अभियान चलाये जा रहे हैं । आप आयें ----
देश की माटी बुलाती है तुम्हें ,
आओ उठकर राष्ट्र ध्वज को थाम लो ।
धर्म और जातियों का भाव तज ,
प्यारों बेटो , भारत माँ का नाम लो । (होरी )


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Wednesday, 24 April 2013

अश्लील साहित्य और शराब

अश्लील साहित्य और शराब
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छोटी बच्चियों से लेकर समाज की हर स्त्री को उपभोग की वस्तु बनाया है हमारे अतिशय शराब और अश्लील साहित्य के मन माने उपयोग ने ।सरकारें अधिक से अधिक आय बढा़ने के लिये शराब की बिक्री बढ़ाती है । आज इंटरनेट के द्वारा घर घर पोर्न सामग्री देखी जा रही है। पोर्न स्टार कहने में झिझक नहीं ।
आइये अभियान चलायें ।


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Tuesday, 23 April 2013

उत्थान , समानता का रास्ता -बौद्धिक सत्ता

उत्थान , समानता का रास्ता -बौद्धिक सत्ता
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हमारे देश में धर्मों के अनुपालन में जितना लचीलापन है उतना विश्व के किसी भी देश में नहीं है , परन्तु वहीं यह भी कटु सत्य है कि जातियों को लेकर जितनी कट्टरता और कठोरता अपने देश में है उतनी कहीं नहीं । हिन्दुओं में पूर्ण छूट है ------ईश्वर को साकार मानो चाहे निराकार , देवी मानो या देवता मानो , एक मानो चाहे अनेक । पूजा स्थल भी प्रथक ।धार्मिक पुस्तक भी प्रथक ।यहाँ तक अनीश्वरवादी , नास्तिक भी हिन्दू हो सकता है । हिन्दुओं की भाँति खुलापन दुनिया में अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं । मानव को इतनी स्वतन्त्रता वरेण्य है ।स्तुत्य है । तभी कदाचित भारत भूभाग ही ऐसा है जहाँ विश्व के सारे धर्म या तो जन्में हैं अथवा फूले फले हैं । इसका हमें गर्व है । यहाँ धर्मों पर शास्त्रार्थ करना परम्परा है । यही कारण रहा है कि इस भूभाग में धर्मों का विकास सर्वाधिक रहा है ।
धर्मों के क्षेत्र की स्वतन्त्रता और सरलता सामाजिक क्षेत्र में कहीं नहीं दिखती है । समाज में वर्ण और जातियों के अकाट्य बन्धन हैं , जिन्हें पहले कर्म से बनाया गया वे सब जन्म से होकर रूढ़ बन गयीं । जातियाँ व्यवसायों के आधार पर बनती रहीं और जितने व्यवसाय उतनी जातियों की स्थिति आ गयी । उदाहरण के लिये पान बेचने वाला तोली , बर्तन बनाने वाला कुम्हार , पानी भरने वाला कहार , लकड़ी का काम करने वाला बढ़यी, लोहे के काम वाला लोहार , कपड़े धोने वाला धानुक ,चमड़े के काम वाला चमार , नाव चलाने वाला केवट , भेड़ बकरी पालने वाला गड़रिया , गाय भैंस पालने वाला अहीर, सामान्य कृषक कुर्मी, सब्जी करने वाला काछी आदि आदि ।
व्यवसायों के अतिरिक्त अन्तरजातीय विवाहों से वर्ण संकर जातियाँ बनती रहीं । यहाँ तक कि धर्म परिवर्तन के बाद भी हिन्दू अपनी जातियों को वहांं भी ले गया । तभी मुस्लिम और ईसाइओं में भी जातियाँ मिलती हैं ।जातियों जातियों में जहाँ आरम्भ में कर्म का महत्व था धीरे धीरे जन्म महत्वपूर्ण होने लगा और इतिहास गवाह है कि जन्म आधारित जातीय हिंसा से यह देश लगातार पीड़ित रहा है ।
सामाजिक क्षेत्र में जितना रूढ़ हिन्दू समाज है उतना कोई भी नहीं । यहाँ जातियाँ जन्म से निर्धारित हो जाती हैं और कर्म से उनमें कोई भी बदलाव सम्भव नहीं । निम्न जाति कितना भी उच्च कार्य करे वह निम्न ही बनी रहती है , कभी भी उच्च जाति में प्रवेश नहीं कर पाती । इसी प्रकार उच्च जाति कितना भी निम्न और पतित काम करे वह बेधड़क , बेखौफ़ उच्च ही बनी रहती है , उसे किसी भी तरह निम्न जाति में जाने का ख़तरा नहीं रहता ।
वर्तमान जातिव्यवस्था में अच्छे और बुरे कर्मों का कोई स्थान नहीं । ब्राह्मण -ब्राह्मण रहेगा , वैश्य - वैश्य , क्षत्रिय -क्षत्रिय , शूद्र -शूद्र । यही नहीं इन चारों वर्णों के अन्तर्गत हज़ारों जातियाँ हैं जो भी वही की वही बनी रहती हैं। इस कठोर और आदिम व्यवस्था से हिन्दुस्तान का जहाँ सामाजिक विकास ठहर गया , वहीं सदियों से आपस में जातिगत दूरियाँ बनी रहीं । यहाँ तक हुआ है -- इतिहास गवाह है ,विदेशी आक्रमणों के समय भी हम जातीय दूरी के कारण एक होकर अपनी रक्षा न कर सके , भले ही बार बार गुलामी का कड़वा घूंट पीते रहे ।
जब बौद्ध धर्म आया तब कुछ काल के लिये ही सही मानववाद की स्थापना हुई , परन्तु भारत में उसकी स्थिति कुछ वर्षों के बाद कमज़ोर हो गई । जातियों और वर्णों के विरुद्ध समय समय पर आवाजें भी उठती रहीं और आन्दोलन भी होते रहे परन्तु निर्णायक युद्ध , आन्दोलन कभी लड़े ही नहीं जा सके । अम्बेडकर , लोहिया और दक्षिण भारत में रामास्वामी नायकर तो उत्तर भारत में राम स्वरूप वर्मा उल्लेखनीय नाम हैं ।
इन सबके बाद भी 21वीं सदी में भी स्थिति जस की तस है । जातिवाद कम नहीं हुआ है । जातीय दूरियाँ पहले की तरह बनी हुई हैं आरक्षणकी व्यवस्था से यद्यपि समानता बढ़ी है , परन्तु वैमनस्य भी बढ़ा है । आखिर इसका समाधान कहाँ है ?
आइये इस सामाजिक बीमारी का गहन परीक्षण करें । जहाँ उच्च जातियों में अपने से निम्न जातियों से समानता रखने में अरुचि है वहीं पिछड़ी और दलित जातियों में उच्च बनने की ललक तो है परन्तु रास्तों में भटकाव है । राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के प्रयत्नों में सफलता तो मिली , पर बात बनी नहीं । आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं । प्रगति के आंकड़े बहुत संतोषजनक नहीं कहे जा सकते । नौकरियों ,कुछ अन्य क्षेत्रों में प्रगति इतनी नाकाफी है कि समाज में पिछड़ों , दलितों को अभी भी सामाजिक दृष्टि से हेय समझा जाता है ।
हमें इसके लिये वर्ण व्यवस्था के मूल में जाना होगा । कार्यों का विभाजन देखिये ------जो बौद्धिक कार्य करे वह ब्राह्मण और उसे सर्वोच्च , सर्वश्रेष्ठ माना गया । जो रक्षा , सुरक्षा ,युद्ध ,शासन इत्यादि कार्य करे और सत्ता को स्थापित रखे वह क्षत्रिय और इसे द्वितीय स्थान मिला । ग्राम , नगर में व्यवसाय करने और मूल रूप से लक्ष्मी साधना करने वाले वैश्य या वणिक और यह वर्ण तृतीय स्थान पर आया । अन्तिम स्थान मिला उसे जो सबकी सेवा कार्य करे और कहलाया शूद्र । अब इसका सूक्ष्म परीक्षण कीजिये । एक -जनसंख्या के हिसाब से ऊपर के तीन वर्णों में आने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का लगभग 20% है । सेवा कार्य करने वालों की संख्या 80% है । आज के पिछड़ों को किस वर्ण में रखेंगे -- शुद्ध क्षत्रिय वर्ण उन्हें अपने साथ नहीं रखता और शूद्रों से अपने को ऊपर मानते हैं । अनुसूचित और दलित तो हैं ही शूद्र वर्ण में । सामाजिक सम्मान की दृष्टि से देखें तो आज भी राजनैतिक सत्ता प्राप्त करने के बावजूद अहीर -अहीर कहा जाता है , कुर्मी -कुर्मी , चमार -चमार आदि आदि । ब्राह्मण , क्षत्रिय और वैश्य वर्ण वाला सम्मान इन्हें कभी नहीं मिल पाता है ।
स्वतन्त्र भारत में एक परिवर्तन और आया जिसका उल्लेख किया जाना आवश्यक होगा ।अब सामाजिक वर्गीकरण की अन्य तरह की चार श्रेणियाँ बन गई हैं । ये हैं ----(1) सामान्य जातियाँ
(2) पिछड़़ी जातियाँ
(3) अनुसूचित जातियाँ
(4) अनुसूचित जन जातियाँ
जनसंख्या का प्रतिशत महत्वपूर्ण है ।
सामान्य 20% , पिछड़ी 60% ,अनुसूचित 20%
इस जनसंख्या में 20% उच्च वर्णों के अन्दर और 80% निम्न वर्ण में हैं ।
पिछड़ों और दलितों में राजनैतिक चेतना के लिये समय समय पर जितना किया जाता रहा उसके मुकाबले बौद्धिक सत्ता प्राप्त करने के लिये न के बराबर काम हुये । राजनैतिक सत्ता को अगर ज्ञत्रियत्व माना जाय तो कहा जा सकता है कि क्षत्रिय बनने के लिये तो लगातार प्रयत्न हुये पर सर्वोच्च सत्ता --ब्राह्मणत्व को प्राप्त करने के लिये प्रयत्न लगभग किये ही नहीं गये । इन वर्गों में पढ़ाई -लिखाई , बौद्धिक कार्यों में अरुचि ही रही जिससे उच्च सम्मान के हकदार ये कभी न बन सके ।
समय समय पर इन समाजों में जागरूकता के कार्यक्रम तो चलाये गये पर सतही स्तर पर ही रहे । पिछड़ों , दलितों के विभिन्न संगठनों का ध्यान कभी भी बौद्धिक सत्ता प्राप्त करने पर टिका ही नहीं । मैं स्वयं जीवन भर इनके अनेक संगठनों में रहा परन्तु लाख प्रयत्न करने के बावजूद इनमें विशेष रुचि जाग्रत करने में असमर्थ रहा । वास्तव में ये सारे समाज अपने रूढ़िवादी ढांचे से ही त्रस्त हैं ।अपनी जड़ता से ग्रस्त ये समाज बौद्धिक कार्यों में रुचि ही नहीं लेते और अपनी मूढ़ता , पिछडे़पन का का सारा ठीकरा ब्राह्मणवादी व्यवस्था पर फोड़ देते हैं । यही कारण है कि आज भी ,2013 तक इन वर्गों में लेखक , कवि , रचनाकार , पत्रकार , कलमकार , कलाकार दीपक लेकर खोजने से भी नहीं मिलते ।
इन वर्गों में इस दुर्गति को अच्छी तरह समझना होगा ।वास्तविक बीमारी को समझ कर ही उसका निदान खोजना उचित होता है । पहले यह मान लेना पड़ेगा कि अतीत की स्थिति कुछ भी रही हो ,कम से कम अब स्वतन्त्रता के बाद ब्राह्मणवाद को दोष देना कदापि उचित नहीं । अब मानना ही पड़ेगा कि हम में पढ़े लिखे कम हैं , विद्वान नहीं हैं , लेखक , कवि , पत्रकार नहीं , हम पुस्तकें नहीं लिख रहे ---तो इन सबके लिये केवल हमारा वर्ग ही दोषी है और विशेषकर सामाजिक और राजनैतिक नेता । इनकी सोच और मानसिकता आज भी पिछड़ी है , दलित है । आज भी भारी संख्या में इन वर्गों में शराब और नशे का सेवन है , पढ़ाई लिखाई के प्रति समर्पण नहीं ।
इस पृष्ठभूमि में विचारोपरान्त मेरे द्वारा इन 80% लोगों के समाजों के लिये लेखन में रुचि जाग्रत करने , व्यापक लेखकीय कर्म करने , पत्रकारिता करने , पुस्तकें लिखने , कलमकार और कलाकार बनने ---आदि क्षेत्रों में कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं । मेरी कोशिश है कि ज्ञान और बौद्धिक क्षेत्र के सारे कार्यों को ये वर्ग करने लगें और समाज के उच्च कहे जाने वर्गों के साथ कंधे से कन्धा मिलाने लगें । जब ये वर्ग बौद्धिक सत्ता प्राप्त कर लेंगे तब स्वयं ही ब्राह्मणत्व को प्राप्त हो जायेंगे । धर्म , दर्शन , ज्ञान , विज्ञान के क्षेत्रों में इनका भारी दखल हो जाने से स्वयं सम्मान बढ़ जायेगा । इस सम्पूर्ण स्थिति से पूरे भारतवर्ष का समग्र विकास होगा । वर्णों और जातियों की दूरियाँ मिटेंगी । समानता बढ़ेगी , विषमता घटेगी । देश तभी और केवल तभी पुनः विश्व गुरू बनेगा ।
आइये हमारे साथ एक नये युग का सूत्रपात करें । अपने अपने समाजों के लेखन में रुचि रखनेवालों और लेखन तथा धर्म, दर्शन , कला के क्षेत्रों में काम करने वालों के विवरण हमें प्रेषित करने का कष्ट करें ।
आपका
राज कुमार सचान "होरी"
राष्ट्रीय संयोजक -- बदलता भारत ( INDIA CHANGES ) , राष्ट्रीय अध्यक्ष --- अर्जक साहित्य परिषद ।
www.indiachanges.com ,http/ horibadaltabharat.blogspot.com , http/ arjaksahityaparishad.blogspot.com
Email- horiindiachanges@gmail.com , indiachanges2013@gmail.com , horirajkumarsachan@gmail.com
Address -- Srs international school , 16 basant vihar , manas vihar road , Indira nagar , lucknow ( up) , India .
08938841199 , 08800228539




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Saturday, 20 April 2013

समानता का समर्थन विषमता का विरोध

समानता का समर्थन विषमता का विरोध
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सभी मनुष्य जन्म से समान हैं । वर्णों , जातियों , धर्मों , भाषाओं आदि के आधार पर विभेद स्वयं मनुष्यों ने पैदा किये हैं । जन्मदाता नें तो केवल मनुष्य के रूप में ही हमें जन्म दिया है । इस लिये जहाँ भी ,जब भी ,जैसे भी विषमता का वर्णन होगा हम उसका खंडन और विरोध करेंगे । परन्तु उसी अंश तक । जैसे रामचरितमानस और मनुष्मृति में विषमता वाले अंशों का विरोध और खंडन , न कि सम्पूर्ण ग्रन्थों का ।
हमें यदि बहुदेववाद पर आस्था नहीं है तो हम उसको न माने और अपनी आस्था के अनुसार धर्म का पालन करें । यहाँ तक हम नया पन्थ चला सकते हैं या पुराने पन्थों , रीतिरिवाजों में संसोधन कर सकते हैं । हर व्यक्ति अपने अनुसार धर्म मानने के लिये पूर्ण स्वतन्त्र है । लेकिन कोई रास्ता खोजना होगा , जैसे स्वामी दयानन्द जी ने आर्य समाज की स्थापना कर के दिया था । बहुत पहले यही कार्य महात्मा बुद्ध और जैन मुनियों ने किया था ।
पर यह ध्यान रहे कि हम ज्ञान के ही विरोधी न हो जायें । क्या कारण है कि देश में 80%आबादी ( पिछड़ी,अनुसूचित ) में लेखकों , कवियों , पत्रकारों , कलाकारों , कलमकारों की संख्या नगण्य है । इन समाजों के लोगों ने स्वयं ही इन विद्या के क्षेत्रों में कभी ध्यान नहीं दिया और दोष सनातन व्यवस्था और ब्राह्मण समाज पर मढ़ते रहे । 1200 सौ वर्षों के मुस्लिम और अन्ग्रेजों के शासन में समाज के इन पिछड़े , दलित समाजों पर उच्च वर्णों की कोई पाबन्दी नहीं थी बल्कि इन समाजों ने स्वयं अपना सुधार नहीं किया । स्वयं विद्वान , पंडित बनने में कोई रुचि नहीं ली बस दूसरों को दोष देकर खानापूर्ति कर ली । विभिन्न विषयों पर किताबें इन वर्गों द्वारा न के बराबर लिखी गयीं । खेती , मज़दूरी में लगे रहे ,पढ़ने लिखने पर ध्यान नहीं दिया ।
1947 के पश्चात संविधान लागू है पर स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं । आज भी इन दलित , पिछड़ों द्वारा कितनी किताबें लिखी जा रही हैं ? कितने लेखक , पत्रकार , कवि हैं ? नहीं हैं तो दोष आज भी हम उच्च वर्णों को देते हैं । हम अपनी मूर्खताओं के लिये भी दोषी ब्राह्मणों और उच्च वर्गों को ठहराते हैं । आज भी ज्ञान सृजन पर कोई ध्यान नहीं । अधिक से अधिक राजनैतिक सत्ता पर ध्यान तो गया पर ज्ञान , सृजन उपेक्षित ही रहा ।
आइये हम सूरज पर थूकनें के बजाय उससे सीखें । ज्ञान अर्जित करें । समानता प्राप्त करें । दलित और पिछडे़ ,उच्च वर्गों , वर्णों के समकक्ष पहुँचे ।
राज कुमार सचान होरी
कवि,लेखक, साहित्यकार , वक्ता
राष्ट्रीय संयोजक ---India Changes .राष्ट्रीय अध्यक्ष ---अर्जक साहित्य परिषद
Mob.07599155999
Eid horiindiachanges@gmail.com , arjaksangh.s.p@gmail.com
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INDIA FIGHTS CASTEISM:casteism is a sin

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Blog: INDIA FIGHTS CASTEISM
Post: casteism is a sin
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Thursday, 18 April 2013

अपना भारत-अपना भारत - अपना भारत:Ramnawmi

Raj Kumar Sachan Hori has sent you a link to a blog:

राम नवमी शुभ हो

Blog: अपना भारत-अपना भारत - अपना भारत
Post: Ramnawmi
Link: http://horiapnabharat.blogspot.com/2013/04/ramnawmi.html

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Wednesday, 17 April 2013

अपना भारत-अपना भारत - अपना भारत:Ramnawmi

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Blog: अपना भारत-अपना भारत - अपना भारत
Post: Ramnawmi
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Fwd: HORI POET



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Begin forwarded message:

From: HORI    POET <noreply@blogger.com>
Date: 17 June 2011 8:28:38 PM GMT+05:30
To: horirajkumar@gmail.com
Subject: HORI POET

HORI POET

HORI POET


doha9

Posted: 17 Jun 2011 05:11 AM PDT

होरी   तब  भी  दीन  था ,  होरी  अब  भी  दीन  |
ग्राम    वही , धनिया वही  , पानी  वही  , ज़मीन ||
%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%
                            राज कुमार सचान 'होरी'

Sunday, 14 April 2013

सामाजिक समानता हेतु -- दो दिवसीय उपवास

सामाजिक समानता हेतु -- दो दिवसीय उपवास
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
स्थान --दारुल सफा, लखनऊ दिनांक -- 1 व 2 मई 2013
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महोदय ,
मज़दूर दिवस 1 मई को समर्पित--- विश्व भर में मानववाद , समानता की स्थापना के लिये ,ऊँच -नीच भावना,अस्प्रश्यता को समूल मिटाने के लिये तथा मानववाद की घोर विरोधी व्यवस्था --वर्ण और जाति को मिटाते हुये समरस समाज की स्थापना के लिये और सामाजिक शुद्धीकरण के लिये दो दिवसीय उपवास का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है ।
महात्मा गौतम बुद्ध , डाक्टर भीमराव अम्बेडकर , डाक्टर राम मनोहर लोहिया और महामना राम स्वरूप वर्मा आदि द्वारा पोषित सामाजिक निर्माण की आज और अधिक आवश्यकता है ।आपसे अनुरोध है कि इस कार्यक्रम में भाग लेते हुये मानववाद की स्थापना में अपना अमूल्य योगदान देने का कष्ट करें ।
दो दिवसीय उपवास कार्यक्रम का नेतृत्व श्री राज कुमार सचान "होरी" प्रसिद्ध कवि,लेखक, साहित्यकार ,समाजसेवी और प्रखर वक्ता , राष्ट्रीय संयोजक 'बदलता भारत' ( India Changes ) , राष्ट्रीय अध्यक्ष ' अर्जक साहित्य परिषद ' द्वारा किया जायेगा ।
सामूहिक उपवास कार्यक्रम में समान विचारधारा वाले व्यक्तियों और संगठनों द्वारा भाग लिया जायेगा । 1 मई की प्रात: 9 बजे से लगातार क्रमिक उपवास 2 मई की सायं 4 बजे तक किया जायेगा । दो दिन प्रथक प्रथक उपवास जत्थे बैठेंगे । कुछ व्यक्ति दो दिन का उपवास करेंगे।
यह उपवास व्यक्तिगत और सामाजिक शुद्धीकरण के लिये है । क्रपया अधिक से अधिक भाग ले कर सामाजिक जागरूकता को बढ़ायें और समरस समाज के रास्ते सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने का कष्ट करें ।
निवेदकगण ---------
हरिपाल सिंह ,प्रदेश संयोजक ,
विश्राम चौधरी सह संयोजक
रिज़वान 'चंचल' सह संयोजक
INDIA CHANGES ( बदलता भारत )
तथा
अर्जक साहित्य परिषद,लखनऊ
प्रतिष्ठा में ------ समान विचारधर्मी संगठन ।


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Friday, 12 April 2013

Fw: [KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH] 99% villagers...[kurmis]



---------- Forwarded message ----------
From: Rajkumar Hori
Date: Thursday, October 27, 2011
Subject: Fw: [KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH] 99% villagers...[kurmis]
To: Raj Sachan `HORI` <rajkumarsachanhori@gmail.com>
Cc: Kusum Sachan <kusumsachan@ymail.com>



----- Forwarded Message -----
Froam: AKHIL BHARTIYA KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH <kurmikshatriyamahaasangh@gmail.com>
To: rhori@ymail.com
Sent: Friday, 21 October 2011 11:55 AM
Subject: [KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH] 99% villagers...[kurmis]

भारत के कुर्मी 
*************
 आज २०११ में भी देश में कुर्मी ,कुर्मिक्षत्रिय , पटेल आदि आदि लगभग १४०० उपजातियों में बटी यह जाति पूर्ण रूप से ग्रामीण है | ९९% जनसँख्या ग्रामों में रहती है , इसका शहरीकरण न होने के कारण इसमें अन्य जातियों की तुलना में बेरोजगारी और गरीबी अधिक है |
               अचल संपत्ति से सदियों से जुड़े होने के कारण इसका चरित्र भी अचल है , आपस में लड़ना , एक दुसरे की बुराई करना ,कभी भी अपने लोगों की प्रशंसा न करना ....इसके जातीय लक्षण हैं |
               ग्रामों में बसे होने के कारण यह जाति बौद्धिक क्रियाकलापों से भी दूर रही |साहित्य ,लेखन तथा अन्य कलाओं में इसका योगदान शून्य है |
धर्म ,दर्शन, इतिहास तथा अन्य विषयों में इस जाति के द्वारा पुस्तकें न के बराबर लिखी गयीं | साहित्य में भागीदारी लगभघ  शून्य |
                  आईये महासंघ के शहरीकरण के अभियान को सब मिल कर सफल बनाएं |अपने अपने परिचितों को शहरों में तो बसायें ही ,अन्य लोगों को भी जागरूक करें |
           "सत्ता और साहित्य में भागीदारी " महासंघ का आन्दोलन है ,आईये आगे बढ़ें इक्कीसवीं सदी को पटेलों की सदी बनायें |
                        पटेल राज कुमार सचान 'होरी' 


--
Posted By AKHIL BHARTIYA KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH to KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH on 10/20/2011 11:25:00 PM



Tuesday, 9 April 2013

राम तेरे नाम

राम तेरे नाम
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
(१)
राम एक आराध्य थाम गतिमय होना ।
रोम रोम में राम बीज प्रतिपल बोना ।।
जीवन स्वर्णिम होगा रे मन धीरज रख ,
राम नाम जप ,मनवा प्रातः शाम ।
००००००००००००००००००००००००००००००
(२)
आश और विश्वास स्वयं में राम सिखाता ।
अन्धकार में पथ प्रकाश का राम दिखाता ।।
चलता रह बस ,चलता रह रे मन अविचल,
निष्काम भाव मन करता रह तू काम ।
००००००००००००००००००००००००००००००००
(३)
कितने आये गये नाम ले तेरा बस ।
अपना भी तो कुछ पल का है डेरा बस ।।
बस तुम जाना नाम अमर कर इस उस जग,
निश्चिंत भाव से जाना फिर उस धाम ।
००००००००००००००००००००००००००००००००००
(४)
आना जाना नाट्य मन्च के दृश्य मनोहर ।
अपने अपने पाठ पूर्ण कर जाते उस घर ।।
बिना मोह भ्रम रे मन ,जीवन यापन कर ,
"होरी" जाना कह कह कह हे राम !
००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान "होरी"
कवि, साहित्यकार ,वक्ता
राष्ट्रीय संयोजक ----India changes( बदलता भारत )
email - rajkumarsachanhori@gmail.com , horiindiachanges@gmail.com , www.indiachanges.com ,http// horibadaltabharat.blogspot.com ,http//pateltimes.blogspot.com



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Monday, 1 April 2013

गीत -"रूपसि ,रूप तुम्हारा००००००"

गीत -"रूपसि ,रूप तुम्हारा००००००"
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००

------ राज कुमार सचान "होरी"
-----------------------------------------------------------------------------
रूपसि, रूप तुम्हारा कोई नहीं निहारेगा ।
पीछे से कोई , हौले से नहीं पुकारेगा ।।
(1)
नव विधान के व्यूहपाश में , यौवन बिलखेगा ,
नारी का सौन्दर्य प्रशंसा के हित तरसेगा ।
कारागारों के कल्पित भय से भयभीत हुआ ,
चातक कोई कभी चाँद को नहीं निहारेगा ।
पीछे से कोई हौले से ०००००००००
--------------------------------------------------------------------------------
(2)
अब मजनू के लिये सदा ही लैला तरसेगी ,
बिना मेघ केबिजली भी अब किस पर तड़पेगी ?
पपिहा पिउ पिउ बोलेगा भी कैसे नये विधान में,
कोई फ़रहाद कभी सीरी को नहीं पुकारेगा ।
रूपसि, रूप तुम्हारा००००००००००००००
(3)
नैनों सैनों से न प्रेम संदेश लिखेंगे हम ,
प्यार मोहब्बत की दुनियाँ में कहाँ दिखेंगे हम ।
आदम -हौव्वा , मनु-सतरूपा डरे डरे होंगे ,
गीतकार कम्पायमान श्रंगार बिसारेगा ।
रूपसि, रूप तुम्हारा ००००००००००००००००००
(4)
अलंकार श्रंगार और रस रोयेंगे घर घर ,
अब बसंत पतझड़ सा होगा झर झर ग्राम नगर ।
सूरदास पुरुषों के आगे मन मारे सौन्दर्य ,
बुझा-बुझा सा प्यासा -प्यासा केश सवांरेगा ।
रूपसि, रूप तुम्हारा ००००००००००००००००००
(5)
व्यर्थ -व्यर्थ श्रंगार प्रसाधन ,सजना और संवरना ,
अलंकार नख शिख कपोल कटि भृकुटी और सिहरना ।
रूप निरर्थक , नहीं अगर , दीदार करे कोई ,
कामदेव के बिना तुम्हें रति ! कौन निखारेगा ?
रूपसि ,रूप तुम्हारा०००००००००००००००००००००
(6)
नव विधान में नव समाज अनजाना सा होगा ,
तापहीन निस्तेज़ प्रेम बचकाना सा होगा ।
प्रेम मोहब्बत शब्दकोश में ही रह जायेंगे ,
अब न प्रेम के तड़के से कोइ दाल बघारेगा ।
रूपसि , रूप तुम्हारा ०००००००००००००००००००००
(7)
ब्वायफ्रेंड तो होंगे लेकिन सहमें डरे हुये ,
"श्रंगार" नहीं, अब "शांत" और "करुणा"से भरे हुये ।
वैलेंटाइन डे अब होंगे अन्धे मूक बधिर ,
अब न ज्योतिषी जन्म कुंडली प्रेम विचारेगा ।
रूपसि , रूप तुम्हारा ०००००००००००००००००००
(8)
युवती देखेगी ,घूरेगी ,छेड़ेगी निश दिन ,
युवक नज़र नीची रख कर छिड़ छिड़ जाये दिन दिन ।
युवती बन दूल्हा छेडे़गी युवक बना दूल्हन ,
अब सुहाग की रात युवक ही सेज बुहारेगा ।
रूपसि , रूप तुम्हारा ०००००००००००००००००००००
(9)

नव विधान में वृद्ध नहीं अब आंखें सेंकेंगे ,
यूँ ही बैठे ढोर सदृश अब घर घर रेकेंगे ।
षोडषियां तो भूल जांयगे बुढ़ियों से भी डर डर,
बुडढा अपनी "बूढ़ जवानी" स्वयं सम्हारेगा ।
रूपसि , रूप तुम्हारा ०००००००००००००००००००
(10)
बिन देखे, घूरे,बोले ,बिन पीछा किये हुये ,
बिना सैन के प्रेम नैन के प्याले पिये हुये।
प्रेमांकुर कैसे फूटेंगे , प्रेमी हिये जिये ?
प्रेम बीज अब खेत खेत में कौन बिखारेगा ?
रूपसि , रूप तुम्हारा ००००००००००००००००००
(11)
पुलिस और नारी विमर्श से पुरुष रम्हायेगा,
स्वर्णिम पल कारागारों या कोर्ट बितायेगा ।
जीवन भर नारी से पीड़ित कुंठित लुटा पिटा,
नव विधान से क्षत विक्षत हो स्वर्ग सिधारेगा ।
रूपसि ,रूप तुम्हारा००००००००००००००००००००००००
(12)
नव विधान हे रूपसि ! तेरा , भस्मासुर होगा ,
जीवन में नव छन्द , ताल, लय और न सुर होगा ।
एक दिवस नारी वैरागी सी बन बिहरेगी ,
कोई पुरुष , नहीं नारी के निकट गुज़ारेगा ।
रूपसि , रूप तुम्हारा ००००००००००००००००००००००
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176 अभय खंड प्रथम ,इंदिरापुरम ,ग़ाज़ियाबाद
rajkumarsachanhori@gmail.com
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टिप्पणी -- नारी शसक्तीकरण अधिनियम के लागू होने के पश्चात उससे पड़ने वाले प्रभावों पर वर्तमान और भविष्य के समाज का कटु , यथार्थ चित्रण करता हिन्दी का प्रथम गीत । इसके गायन ,प्रकाशन करने की स्वीकृति देता हूं । यह गीत भावी पीढिय़ों का झंडा गीत बनेगा ,ऐसा मेरा विश्वास है।
राज कुमार सचान "होरी"
दिनांक -25/03/2013




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Wednesday, 27 March 2013

Fwd: (2) ग्राम सरकार और नगर सरकार ़़़़ 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संशोधन लागू कराना ।



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From: indiachanges2013 <indiachanges2013@gmail.com>
Date: 19 February 2013 9:28:26 PM GMT+05:30
To: Rajkumar sachan <horirajkumar@gmail.com>
Cc: "horiindiachanges@gmail.com" <horiindiachanges@gmail.com>, "indiachanges2012@gmail.com" <indiachanges2012@gmail.com>
Subject: Re: (2) ग्राम सरकार और नगर सरकार ़़़़ 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संशोधन लागू कराना ।

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On Monday, December 31, 2012, Rajkumar sachan wrote:
(2) ग्राम सरकार और नगर सरकार ़़़़  73 वाँ और 74 वाँ संविधान संशोधन  लागू कराना ।
       भारत के जनमानस को ध्यान में रख अपनी जनता के सशक्तीकरण के लिये कभी देश की संसद ने बड़े उत्साह और राष्ट्र के प्रति पूर्ण निष्ठा की पवित्र भावना से गाँवों और नगरों को अपनी सरकार बनाने के लिये 73 वाँ और 74 वाँ संविधान संसोधन करते हुये देश कीजनता को  है अधिकार दिया। था ।
                                 आज स्थिति यह हैै इतने महत्वपूर्ण संविधान संसोधन हम अभी तक सम्पूर्ण देश में लागू नहीं कर पाये हैं । जिन प्रदेशोंने इन्हें लागू किया है वहाँ के परिणाम बड़े अच्छे  , उत्साहवर्धक रहे हैं । परन्तु कुछ प्रदेश इन्हें अपने अधिकारों में हनन समझकर लागू नहीं कर रहे हैं । जिन प्रदेशों में इन्हें लागू नहीं किया गया उनकी स्थिति विकास की दृष्टि से असन्तोषजनक बनी हुयी है ।
                    देश की आधी जनता ग़रीबी रेखा के नीचे है ,विकास की दौड़ में अत्यन्त पीछे ।जनता की नियम क़ानून बनानें और संसाधनों के विकास में कोई भागीदारी नहीं है ।जबकि उक्त संसोधनों के पीछे जनता जनार्दन को सशक्त बनाने की भावना थी ।
         इंडिया चेंजेज़ ( INDIA CHANGES ) ने इस प्रकरण में देश की नब्ज जानने की कोशिश की हैै़़़़ ़़़देश। के समस्त प्रधान , पंचायतों के प्रतिनिधि , ग्रामीण जनता 73 वाँ संसोधन लागू कराना चाहती है । इसके लिये समय समय पर आंदोलन भी होते रहते हैं । इसी तरह 74 वाँ संसोधन नगर निकायों के जनता के प्रतिनिधि - पार्षद और महापौर तथा नगरीय जनता लागू कराना चाहती है ।
                          आइए जनभावनाओं के अनुरूप देश की समस्त जनता की भलाई के लिये बिना किसी और विलम्ब के उक्त दोनों संसोधनों को पूर्ण निष्ठा से लागू करें। हम यह भी माँग करते हैं कि संसद एक संसोधन के द्वारा इन्हें स्वैच्छिक के स्थान पर अनिवार्य कर दे। जनता के इतने महत्वपूर्ण अधिकार राज्य सरकारों के भरोसे न छोड़े जाँय ।
          जनता के द्वारा जनता की सरकार के लिये भले ही देशव्यापी आंदोलन क्यों न छेड़ना पड़े ।
                इंडिया चेंजेज़ ( INDIA CHANGES )


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Fwd: 3/ जनसंख्या नियंत्रण



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From: indiachanges2013 <indiachanges2013@gmail.com>
Date: 19 February 2013 9:29:25 PM GMT+05:30
To: Rajkumar sachan <horirajkumar@gmail.com>
Cc: "indiachanges2012@gmail.com" <indiachanges2012@gmail.com>
Subject: Re: 3/ जनसंख्या नियंत्रण

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On Wednesday, January 2, 2013, Rajkumar sachan wrote:
3/ जनसंख्या नियंत्रण
              हमारे देश की जनसंख्या 1901 की जनगणना के अनुसार लगभग 23 करोड़ 80 लाख  थी जिसमें वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश के भूभाग भी सम्मिलित थे । 2011 की जनगणना के आधार पर भारत वर्ष की जनसंख्या ही एक सौ पच्चीस करोड़ से अधिक है जो पाँच गुना से अधिक है जिसमें वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश की जन संख्या सम्मिलित नहीं है । भारत के वर्तमान भूभाग की तुलनात्मक जनसंख्या वृद्धि तो 7 गुना से भी अधिक होगी ।
                      भारतवर्ष ने स्वतंत्रता के बाद बहुत प्रगति की परन्तु सम्पूर्ण प्रगति जनसंख्या रूपी सुरसा के मुँह में समा गई । जहाँ सकल आय बढ़ी वहीं प्रति व्यक्ति आय में हम पूरे विश्व में पायदान पर हैं । ऐसा क्यों ?  उत्तर एकदम स्पष्ट है भारी जनसंख्या वृद्धि । जनसंख्या वृद्ध विकास की नंबर एक शत्रु है ।
                     जनसंख्या वृद्धि जहाँ विकास की परम दुश्मन है वहीं यह अपराधों की जननी है । एक ऐसा वर्ग विकसित हो जाता है जिसको कोई काम न मिलने पर अपराध की ओर मुड़ जाता है ।उस वर्ग की शिक्षा दीक्षा कम रहती है, अभाव में बचपन बीतता है और वे दूसरों को सुखी संपन्न देखते हैं तभी उनके मन में बदले की भावना , ईर्श्या, विद्वेष तथा भांतिभांति के अपराध पनपने लगते हैं । आज पूरे देश में यही भयानक स्थिति हो रही है बलात्कार , हत्याओं आदि जघन्य अपराधों में दुनियाँ में सर्व श्रेष्ठ । जनसंख्या अधिक होने के कारण अपराधियों की भारी संख्या के सामने पुलिस बल अत्यन्त कम पड़ जाता है और असहाय नज़र आता है ।
                    माँग और पूर्ति में भारी अंतर से अभाव जन्म लेता है तो अभावों को दूर करने के लिये भी एक बहुत बड़ा वर्ग रिश्वत देने के लिये तैयार रहता है तो दूसरा वर्ग इसका लाभ उठा कर भ्रष्टाचार शुरू कर देता है । भारी जनसंख्या के कारण ही एक ऐसा वर्ग तैयार हो जाता है जो क़ानूनों से ऊपर उठ कर सारे संसाधनों पर कब्जा करने लगता है।


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Wednesday, 30 January 2013

इंडिया चेंज़ेज़ (INDIA CHANGES )

इंडिया चेंज़ेज़ (INDIA CHANGES )
( एक राष्ट्रीय आंदोलन ़़़़़़आम जन को समर्पित )
हमारे मुख्य बिन्दु ़़़़़़़़़़
(1) मनरेगा ( महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना)को मज़दूर और किसान के हित तथा क्रषि और राष्ट्र हित में पूर्ण सम्बद्ध कराना ।
(2) जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिये देश के विकास के हित में क़ानून की माँग ।
(3) 73 वें और 74 वें संविधान संसोधन को जनता की सरकार जनता के द्वार के लिये लागू कराना । जनता के सशक्तीकरण के लिये आंदोलन ।
(4) क्ृषि को उद्योग का दर्जा दिलाना ।
(5) अस्पृश्यता निवारण और सामाजिक समरसता स्थापित करने हेतु जातिविहीन समाज की स्थापना ।
(6) चुनाव सुधार ।
(7) शहरीकरण को बढ़ावा देना ।
(8) सेना को सुविधायें और सम्मान वृद्धि की माँग ।
(9) भारतीय भाषाओं और राजभाषा हिन्दी का उत्थान ।
(10) समस्त अनुदानों को लाभार्थियों के खातों में सीधे भेजने की माँग ।
(11) राष्ट्रीय एकीकरण व राष्ट्र वाद का पोषण ।
(12) बेरोजगारी दूर करने हेतु आंदोलन और उपाय सुझाना ।
(13) समस्त देश में सफाई कर्मचारियों और उनके परिवारों का उन्नयन तथा 2011 की जनसंख्या के आधार पर भर्ती हेतु आंदोलन ।
(14) नारी और कमज़ोर वर्गों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा की सतत माँग ।
इन बिंदुओं के लिये आंदोलन चलाना और समान विचारधारा वाले संगठनों तथा प्रदेश और देश की सरकारों से इस हेतु सहयोग प्राप्त करना ।
राज कुमार सचान ' होरी'
राष्ट्रीय संयोजक
63 , NK 3rd INDIRAPURAM , GHAZIABAD (UP)
Delhi office ...182/3 महरौली , नई दिल्ली -30
Lko office ..redfile ,near Islamia college ,Lal Bag ,Lucknow
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Thursday, 10 January 2013

इंडिया चेंज़ेज़ (INDIA CHANGES )

इंडिया चेंज़ेज़ (INDIA CHANGES )
( एक राष्ट्रीय आंदोलन ़़़़़़आम जन को समर्पित )
हमारे मुख्य बिन्दु ़़़़़़़़़़
1 / मनरेगा को मज़दूर और किसान के हित तथा क्रषि और राष्ट्र हित में पूर्ण सम्बद्ध कराना ।
2 / जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिये देश के विकास के हित में क़ानून की माँग ।
3 / 73 वें और 74 वें संविधान संसोधन को जनता की सरकार जनता के द्वार के लिये लागू कराना ।
4 /क्रषि को उद्योग का दर्जा दिलाना ।
5 / अस्प्रश्यता निवारण और सामाजिक समरसता ।
6 / चुनाव सुधार ।
7 / शहरीकरण को बढ़ावा देना ।
8 / सेना को सुविधायें और सम्मान ।
9 / भारतीय भाषाओं का उत्थान ।
10 / समस्त अनुदानों को लाभार्थियों के खातों में भेजने की माँग ।
11 / राष्ट्रीय एकीकरण व राष्ट्र वाद का पोषण ।
इन बिंदुओं के लिये आंदोलन चलाना और समान विचारधारा वाले संगठनों तथा प्रदेश और देश की सरकारों से इस हेतु सहयोग प्राप्त करना ।
राज कुमार सचान ' होरी'
राष्ट्रीय संयोजक


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Thursday, 3 January 2013

rapes and gang rapes

हमारे देश की सामाजिक स्थितियां पश्चिम से भिन्न हैं . अब उनका खुलापन हमें अनेक समस्याएं दे रहा है। सामाजिक ,नैतिक मूल्यों और कानूनों पर एक साथ काम करना जरूरी है . इंडिया चेंजेज की पहल का स्वागत करना चाहिए .