होरी कहिन
००००००००००००००००
१--
आज स्वतंत्रता व्यक्ति की , सिर पर हुई सवार ।
है कमज़ोर समाज अब ,छिन्नभिन्न परिवार ।।
छिन्न भिन्न परिवार , व्यर्थ अब नैतिकता है ।
संस्कार से हीन ,बढ़ी अब भौतिकता है ।।
फिर से जंगल वाला दर्शन ,बना कोढ़ में खाज़ ।
होरी जो जितना नंगा है ,वही सभ्य है आज ।।
००००००००००००००००००००००००००००००००००
२--
हिन्दू अपमानित करें ,और बढ़ायें अन्य ।
राष्ट्रवाद के हेतु तो , यह है पाप जघन्य ।।
यह है पाप जघन्य ,न करिये भेद कभी भी ।
रखिये इन्हें समान ,तुला पर समय अभी भी ।।
तुष्टीकरण किसी का भी, हो ठीक नहीं ।
होरी कहिये वही सदा , जो पूर्ण सही ।।
००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राजकुमार सचान होरी
www.horionline.blogspot.com
अध्यक्ष -- बदलता भारत
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आज स्वतंत्रता व्यक्ति की , सिर पर हुई सवार ।
है कमज़ोर समाज अब ,छिन्नभिन्न परिवार ।।
छिन्न भिन्न परिवार , व्यर्थ अब नैतिकता है ।
संस्कार से हीन ,बढ़ी अब भौतिकता है ।।
फिर से जंगल वाला दर्शन ,बना कोढ़ में खाज़ ।
होरी जो जितना नंगा है ,वही सभ्य है आज ।।
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२--
हिन्दू अपमानित करें ,और बढ़ायें अन्य ।
राष्ट्रवाद के हेतु तो , यह है पाप जघन्य ।।
यह है पाप जघन्य ,न करिये भेद कभी भी ।
रखिये इन्हें समान ,तुला पर समय अभी भी ।।
तुष्टीकरण किसी का भी, हो ठीक नहीं ।
होरी कहिये वही सदा , जो पूर्ण सही ।।
००००००००००००००००००००००००००००००००००००
राजकुमार सचान होरी
www.horionline.blogspot.com
अध्यक्ष -- बदलता भारत
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