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Monday, 31 October 2011

सम्मानित सदस्यों , सुधी पाठकों , लेखकों,कवियों,रचनाकारों से निवेदन है कि अपने लेख , रचनाएँ , विचार प्रकाशन हेतु महा संघ के ई मेल पर भेजें ....... horisardarpatel @gmail.com तथा kurmikshatriyamahaasangh@gmail.com

सम्मानित सदस्यों , सुधी पाठकों , लेखकों,कवियों,रचनाकारों से निवेदन है कि अपने लेख , रचनाएँ , विचार प्रकाशन हेतु महा संघ के ई मेल पर भेजें .......
horisardarpatel @gmail.com  तथा kurmikshatriyamahaasangh@gmail.com  

patel jayanti par vishesh lekh


लौह पुरुष सरदार पटेल 
******************
३१ अक्तूबर को उस लौहपुरुष सरदार पटेल ,जो विश्व  पटल पर अपना कोई शानी नहीं रखता , की जयंती सम्पूर्ण राष्ट्र मनायेगा | विभिन्न कार्यक्रमों में उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जायेगा |
                  यहाँ मैं दो बिन्दुओं से चर्चा आरम्भ करना चाहूँगा .....एक उनपर कहूँगा जो सरदार पटेल के बाद उनपर चर्चा करना ही बंद कर चुके थे   १९४७ से आज तक , वे आज भी या तो चर्चा नहीं कर रहे हैं या फिर मजबूरी में ही अब उनका नाम लेने को विवश हैं ...क्योंकि अब उनकी तरकश में कोई तीर चलाने के लिए नहीं बचा है |
            दो ...उनपर जो चर्चा तो करते आ रहे हैं परन्तु केवल इतहास का रोना भर रो कर अपने वक्तव्यों,भाषणों की इतिश्री कर लेते रहे हैं |ये लोग भी राष्ट्र के मन मष्तिष्क को झकझोरने में नाकामयाब रहे हैं | इनके कार्यकलाप और संवाद कभी भी राष्ट्र की मुख्यधारा में नहीं आ पाए  और न ही ये सरदार पटेल को राष्ट्र के लिए अपरिहार्य की स्थिति में ही ला सके | फलतः ये स्वयं नेपथ्य में तो रहे ही ,सरदार को भी नेपथ्य से बाहर नहीं ला सके , राष्ट्र फलस्वरूप सरदार  की सेवाओं से ,उनके आदर्शों  से , उनकी नीतिओं से वंचित ही रहा |
                                                 सर्वप्रथम उन पर ही चर्चा कर लें जिन्होंने सरदार पर चर्चा ही नहीं की और न ही करने दी | सरदार पटेल के स्वर्ग्वाश के बाद उनकी समाधी के लिए दो गज जमीन राजधानी दिल्ली में न देने वाले भारत की सत्ता में काबिज हो गए | प्रधान मंत्री पद के लिए जिसे जनता ने चुना वह सरदार प्रधान मंत्री न बनसका और जोड़तोड़ वाले प्रधान मंत्री उनके जीते जी बन गए ,फिर उनके जाने के बाद तो गद्दी में उन्ही को बैठना ही था , जो उनका नाम भूल कर भी नहीं लेते थे |
                       सरदार पटेल अप्रासांगिक बना दिए गए ,सरदार की नीतियां , द्रह्ड़ता , राष्ट्रवाद एक किनारे और पंचशील ,भारीउद्योग, गुटनिरपेक्षता ,विश्वनेत्रत्व  अदि कथित आदर्शवाद देश में थोपे गए | आज भी यही सब कम ज्यादा हो रहा है | केंद्र में सरकारें जिन  नीतिओं पर ४७ से चल रही हैं उनसे ही राष्ट्र के क्षरण की नींव पड़ रही है | गंभीर चिंता और चिंतन का विषय है |
                                       दूसरे वे लोग और उनके विचार जो हलके फुल्के अंदाज़ में अपनी बात कह कर , जयंती मना कर  अपना फ़र्ज़ पूरा करते रहे |वे सत्ता और संसाधनों से दूरी के कारण भारत पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए | वे इतिहास का रोना रोते रहे , कुछ लोग रोने में उनका साथ देते रहे तो कुछ लोग उनकी ठिठोली करते रहे | ले दे कर सरदार  पटेल ३१ अक्टूबर की जयंती तक  या मूर्तियों तक सीमित हो कर रह गए |
                                    आज जब राष्ट्र लगातार आतंकवादियों से जूझते ,जूझते थक रहा है ,संसद का हमलावर मौज से छाती में मूंग दल रहा है , कसाब हम पर हंस रहा है , अफजल गुरु हमारा गुरु बन गया है ...देश के राज्य राष्ट्रीय अस्मिता पर हमला करने वालों ,प्रधानमंत्री की हत्या करने वालों को माफ़ी के प्रस्ताव पास कर रहे हों ....हम हरे हुए खिलाडी की तरह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं की अब सरदार पटेल से दूरी से काम न चलेगा ....अन्यथा वह दिन ही दूर नहीं जब राष्ट्र ही न बचे तब .....भयानक यक्ष प्रश्न ......
                           भ्रष्टाचार वह दूसरा मुद्दा है जिससे यह राष्ट्र न केवल आंदोलित है अपितु आकंठ  डूबा  हुआ  कराह रहा है | यहाँ भी सरदार पटेल ही उत्तर नज़र आते हैं ....पटेल के राश्ते चलने वाले नेता वह सब कर ही नहीं सकते थे जो ४७ से आज तक देश में ये करते आये हैं   |
                 राष्ट्रीय एकता और अखंडता आज तार तार हो रही है , आतंकवाद चरम पर है , भ्रष्टाचार शीर्ष पर.........तब पटेल याद ही नहीं आएंगे अपितु अब उनके अलावा  कोई रास्ता ही नहीं बचता 
प्रजातंत्र में कहने को तो जनता का शासन होता है पर वास्तव में उन्ही के निर्णय ,निर्देश चलते हैं जो सत्ता में विराजमान होते हैं ....इनमें भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधान मंत्री  और राज्यों के स्तर पर मुख्य मंत्री ही विशेष महत्वपूर्ण होते हैं | अब अगर इन पदों में बैठे लोग दृढ इच्छाशक्ति के होंगे , आदर्श चरित्र के होंगे तो देश, समाज का दूसरा रूप होगा और अगर कायर , डरपोक लिजलिजे होंगे तो देश का वातावरण दूसरा होगा , अगर गलती से जो आज बहुतायत में हो रहा है ...इन पदों में निष्ठां हीन , दलीय स्वार्थों में लिप्त , स्वार्थी , घमंडी, भ्रष्टाचार में आनंदित आएंगे तो वही द्रश्य होगा जो आज है |
                             देश में कितने ही आन्दोलन हो जाँय ,कितने ही जय प्रकाश और अन्ना आ जाँय जब तक चुनाव वैतरिणी   गंदी रहेगी , कुछ न होगा ....इसको तैर कर आने वाले नेता अच्छे हों यह संभव न होगा , इसी तरह के घोटालेबाज  आएंगे जो हमारे लोकतंत्र को इसी तरह का बना देंगे जैसा आज है |तब न गाँधी आएंगे  और न पटेल आएंगे    आएंगे तो बस ....
                          चुनाव प्रणाली को बदलने के लिए राजनैतिक दल भला क्यों तैयार होंगे ? उनके जैसों के लिए स्वर्ग तो इसी व्यवस्था  में है ... नरक में तो देश और  जनता होती है |
                         इसलिए अगर इस देश को सरदार पटेल का देश चाहिए तो हमें ऐसी चुनाव प्रणाली विकसित करनी पड़ेगी जो चुन कर सरदार पटेल भेजे , गाँधी भेजे  नहीं तो रावण ,सूर्पनखा भेजने  की प्रणालियों से तो देश ऊब चूका है बस अब घड़ा भरना बाकी है | 
                                 सरदार पटेल जयंती के अवसर पर आईये हम सब व्रत लें की चुनाव सुधार का आन्दोलन तब तक चलायें जब तक चुनाव सुधार लागू न हो जांए | तब हमें नेताओं के रूप में निश्चित ही सरदार मिलेंगे , सुभाष मिलेंगे , गाँधी , आंबेडकर मिलेंगे | 
                          राष्ट्र जिस  चौराहे पर वर्षों से खड़ा है    उससे बस सफलता का , राष्ट्र निर्माण का एक ही रास्ता जाता है  और वह है ....सरदार का रास्ता ...पटेल का रास्ता | राष्ट्र की सारी समस्याओं के तालों की एक ही चाभी है ...सरदार पटेल    | आईये हम उनकी जयंती पर प्रतिज्ञां करें   की देश के एक एक बच्चे को अब पटेल की नीतिओं पर चलाएंगे  एक एक बच्चे को सरदार पटेल बनांयेंगे|
                            जयहिंद , जय पटेल |
                                                                  पटेल राज कुमार सचान 'होरी'   

Sunday, 30 October 2011

patel jayanti par vishesh lekh



लौह पुरुष सरदार पटेल 
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३१ अक्तूबर को उस लौहपुरुष सरदार पटेल ,जो विश्व  पटल पर अपना कोई शानी नहीं रखता , की जयंती सम्पूर्ण राष्ट्र मनायेगा | विभिन्न कार्यक्रमों में उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जायेगा |
                  यहाँ मैं दो बिन्दुओं से चर्चा आरम्भ करना चाहूँगा .....एक उनपर कहूँगा जो सरदार पटेल के बाद उनपर चर्चा करना ही बंद कर चुके थे   १९४७ से आज तक , वे आज भी या तो चर्चा नहीं कर रहे हैं या फिर मजबूरी में ही अब उनका नाम लेने को विवश हैं ...क्योंकि अब उनकी तरकश में कोई तीर चलाने के लिए नहीं बचा है |
            दो ...उनपर जो चर्चा तो करते आ रहे हैं परन्तु केवल इतहास का रोना भर रो कर अपने वक्तव्यों,भाषणों की इतिश्री कर लेते रहे हैं |ये लोग भी राष्ट्र के मन मष्तिष्क को झकझोरने में नाकामयाब रहे हैं | इनके कार्यकलाप और संवाद कभी भी राष्ट्र की मुख्यधारा में नहीं आ पाए  और न ही ये सरदार पटेल को राष्ट्र के लिए अपरिहार्य की स्थिति में ही ला सके | फलतः ये स्वयं नेपथ्य में तो रहे ही ,सरदार को भी नेपथ्य से बाहर नहीं ला सके , राष्ट्र फलस्वरूप सरदार  की सेवाओं से ,उनके आदर्शों  से , उनकी नीतिओं से वंचित ही रहा |
                                                 सर्वप्रथम उन पर ही चर्चा कर लें जिन्होंने सरदार पर चर्चा ही नहीं की और न ही करने दी | सरदार पटेल के स्वर्ग्वाश के बाद उनकी समाधी के लिए दो गज जमीन राजधानी दिल्ली में न देने वाले भारत की सत्ता में काबिज हो गए | प्रधान मंत्री पद के लिए जिसे जनता ने चुना वह सरदार प्रधान मंत्री न बनसका और जोड़तोड़ वाले प्रधान मंत्री उनके जीते जी बन गए ,फिर उनके जाने के बाद तो गद्दी में उन्ही को बैठना ही था , जो उनका नाम भूल कर भी नहीं लेते थे |
                       सरदार पटेल अप्रासांगिक बना दिए गए ,सरदार की नीतियां , द्रह्ड़ता , राष्ट्रवाद एक किनारे और पंचशील ,भारीउद्योग, गुटनिरपेक्षता ,विश्वनेत्रत्व  अदि कथित आदर्शवाद देश में थोपे गए | आज भी यही सब कम ज्यादा हो रहा है | केंद्र में सरकारें जिन  नीतिओं पर ४७ से चल रही हैं उनसे ही राष्ट्र के क्षरण की नींव पड़ रही है | गंभीर चिंता और चिंतन का विषय है |
                                       दूसरे वे लोग और उनके विचार जो हलके फुल्के अंदाज़ में अपनी बात कह कर , जयंती मना कर  अपना फ़र्ज़ पूरा करते रहे |वे सत्ता और संसाधनों से दूरी के कारण भारत पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए | वे इतिहास का रोना रोते रहे , कुछ लोग रोने में उनका साथ देते रहे तो कुछ लोग उनकी ठिठोली करते रहे | ले दे कर सरदार  पटेल ३१ अक्टूबर की जयंती तक  या मूर्तियों तक सीमित हो कर रह गए |
                                    आज जब राष्ट्र लगातार आतंकवादियों से जूझते ,जूझते थक रहा है ,संसद का हमलावर मौज से छाती में मूंग दल रहा है , कसाब हम पर हंस रहा है , अफजल गुरु हमारा गुरु बन गया है ...देश के राज्य राष्ट्रीय अस्मिता पर हमला करने वालों ,प्रधानमंत्री की हत्या करने वालों को माफ़ी के प्रस्ताव पास कर रहे हों ....हम हरे हुए खिलाडी की तरह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं की अब सरदार पटेल से दूरी से काम न चलेगा ....अन्यथा वह दिन ही दूर नहीं जब राष्ट्र ही न बचे तब .....भयानक यक्ष प्रश्न ......
                           भ्रष्टाचार वह दूसरा मुद्दा है जिससे यह राष्ट्र न केवल आंदोलित है अपितु आकंठ  डूबा  हुआ  कराह रहा है | यहाँ भी सरदार पटेल ही उत्तर नज़र आते हैं ....पटेल के राश्ते चलने वाले नेता वह सब कर ही नहीं सकते थे जो ४७ से आज तक देश में ये करते आये हैं   |
                 राष्ट्रीय एकता और अखंडता आज तार तार हो रही है , आतंकवाद चरम पर है , भ्रष्टाचार शीर्ष पर.........तब पटेल याद ही नहीं आएंगे अपितु अब उनके अलावा  कोई रास्ता ही नहीं बचता  |
                          राष्ट्र जिस  चौराहे पर वर्षों से खड़ा है    उससे बस सफलता का , राष्ट्र निर्माण का एक ही रास्ता जाता है  और वह है ....सरदार का रास्ता ...पटेल का रास्ता | राष्ट्र की सारी समस्याओं के तालों की एक ही चाभी है ...सरदार पटेल    | आईये हम उनकी जयंती पर प्रतिज्ञां करें   की देश के एक एक बच्चे को अब पटेल की नीतिओं पर चलाएंगे  एक एक बच्चे को सरदार पटेल बनांयेंगे|
                            जयहिंद , जय पटेल |
                                                                  पटेल राज कुमार सचान 'होरी'   

लौह पुरुष सरदार पटेल

लौह पुरुष सरदार पटेल 
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३१ अक्तूबर को उस लौहपुरुष सरदार पटेल ,जो विश्व  पटल पर अपना कोई शानी नहीं रखता , की जयंती सम्पूर्ण राष्ट्र मनायेगा | विभिन्न कार्यक्रमों में उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जायेगा |
                  यहाँ मैं दो बिन्दुओं से चर्चा आरम्भ करना चाहूँगा .....एक उनपर कहूँगा जो सरदार पटेल के बाद उनपर चर्चा करना ही बंद कर चुके थे   १९४७ से आज तक , वे आज भी या तो चर्चा नहीं कर रहे हैं या फिर मजबूरी में ही अब उनका नाम लेने को विवश हैं ...क्योंकि अब उनकी तरकश में कोई तीर चलाने के लिए नहीं बचा है |
            दो ...उनपर जो चर्चा तो करते आ रहे हैं परन्तु केवल इतहास का रोना भर रो कर अपने वक्तव्यों,भाषणों की इतिश्री कर लेते रहे हैं |ये लोग भी राष्ट्र के मन मष्तिष्क को झकझोरने में नाकामयाब रहे हैं | इनके कार्यकलाप और संवाद कभी भी राष्ट्र की मुख्यधारा में नहीं आ पाए  और न ही ये सरदार पटेल को राष्ट्र के लिए अपरिहार्य की स्थिति में ही ला सके | फलतः ये स्वयं नेपथ्य में तो रहे ही ,सरदार को भी नेपथ्य से बाहर नहीं ला सके , राष्ट्र फलस्वरूप सरदार  की सेवाओं से ,उनके आदर्शों  से , उनकी नीतिओं से वंचित ही रहा |
                                                 सर्वप्रथम उन पर ही चर्चा कर लें जिन्होंने सरदार पर चर्चा ही नहीं की और न ही करने दी | सरदार पटेल के स्वर्ग्वाश के बाद उनकी समाधी के लिए दो गज जमीन राजधानी दिल्ली में न देने वाले भारत की सत्ता में काबिज हो गए | प्रधान मंत्री पद के लिए जिसे जनता ने चुना वह सरदार प्रधान मंत्री न बनसका और जोड़तोड़ वाले प्रधान मंत्री उनके जीते जी बन गए ,फिर उनके जाने के बाद तो गद्दी में उन्ही को बैठना ही था , जो उनका नाम भूल कर भी नहीं लेते थे |
                       सरदार पटेल अप्रासांगिक बना दिए गए ,सरदार की नीतियां , द्रह्ड़ता , राष्ट्रवाद एक किनारे और पंचशील ,भारीउद्योग, गुटनिरपेक्षता ,विश्वनेत्रत्व  अदि कथित आदर्शवाद देश में थोपे गए | आज भी यही सब कम ज्यादा हो रहा है | केंद्र में सरकारें जिन  नीतिओं पर ४७ से चल रही हैं उनसे ही राष्ट्र के क्षरण की नींव पड़ रही है | गंभीर चिंता और चिंतन का विषय है |
                                       दूसरे वे लोग और उनके विचार जो हलके फुल्के अंदाज़ में अपनी बात कह कर , जयंती मना कर  अपना फ़र्ज़ पूरा करते रहे |वे सत्ता और संसाधनों से दूरी के कारण भारत पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए | वे इतिहास का रोना रोते रहे , कुछ लोग रोने में उनका साथ देते रहे तो कुछ लोग उनकी ठिठोली करते रहे | ले दे कर सरदार  पटेल ३१ अक्टूबर की जयंती तक  या मूर्तियों तक सीमित हो कर रह गए |
                                    आज जब राष्ट्र लगातार आतंकवादियों से जूझते ,जूझते थक रहा है ,संसद का हमलावर मौज से छाती में मूंग दल रहा है , कसाब हम पर हंस रहा है , अफजल गुरु हमारा गुरु बन गया है ...देश के राज्य राष्ट्रीय अस्मिता पर हमला करने वालों ,प्रधानमंत्री की हत्या करने वालों को माफ़ी के प्रस्ताव पास कर रहे हों ....हम हरे हुए खिलाडी की तरह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं की अब सरदार पटेल से दूरी से काम न चलेगा ....अन्यथा वह दिन ही दूर नहीं जब राष्ट्र ही न बचे तब .....भयानक यक्ष प्रश्न ......
                           भ्रष्टाचार वह दूसरा मुद्दा है जिससे यह राष्ट्र न केवल आंदोलित है अपितु आकंठ  डूबा  हुआ  कराह रहा है | यहाँ भी सरदार पटेल ही उत्तर नज़र आते हैं ....पटेल के राश्ते चलने वाले नेता वह सब कर ही नहीं सकते थे जो ४७ से आज तक देश में ये करते आये हैं   |
                 राष्ट्रीय एकता और अखंडता आज तार तार हो रही है , आतंकवाद चरम पर है , भ्रष्टाचार शीर्ष पर.........तब पटेल याद ही नहीं आएंगे अपितु अब उनके अलावा  कोई रास्ता ही नहीं बचता 
प्रजातंत्र में कहने को तो जनता का शासन होता है पर वास्तव में उन्ही के निर्णय ,निर्देश चलते हैं जो सत्ता में विराजमान होते हैं ....इनमें भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधान मंत्री  और राज्यों के स्तर पर मुख्य मंत्री ही विशेष महत्वपूर्ण होते हैं | अब अगर इन पदों में बैठे लोग दृढ इच्छाशक्ति के होंगे , आदर्श चरित्र के होंगे तो देश, समाज का दूसरा रूप होगा और अगर कायर , डरपोक लिजलिजे होंगे तो देश का वातावरण दूसरा होगा , अगर गलती से जो आज बहुतायत में हो रहा है ...इन पदों में निष्ठां हीन , दलीय स्वार्थों में लिप्त , स्वार्थी , घमंडी, भ्रष्टाचार में आनंदित आएंगे तो वही द्रश्य होगा जो आज है |
                             देश में कितने ही आन्दोलन हो जाँय ,कितने ही जय प्रकाश और अन्ना आ जाँय जब तक चुनाव वैतरिणी   गंदी रहेगी , कुछ न होगा ....इसको तैर कर आने वाले नेता अच्छे हों यह संभव न होगा , इसी तरह के घोटालेबाज  आएंगे जो हमारे लोकतंत्र को इसी तरह का बना देंगे जैसा आज है |तब न गाँधी आएंगे  और न पटेल आएंगे    आएंगे तो बस ....
                          चुनाव प्रणाली को बदलने के लिए राजनैतिक दल भला क्यों तैयार होंगे ? उनके जैसों के लिए स्वर्ग तो इसी व्यवस्था  में है ... नरक में तो देश और  जनता होती है |
                         इसलिए अगर इस देश को सरदार पटेल का देश चाहिए तो हमें ऐसी चुनाव प्रणाली विकसित करनी पड़ेगी जो चुन कर सरदार पटेल भेजे , गाँधी भेजे  नहीं तो रावण ,सूर्पनखा भेजने  की प्रणालियों से तो देश ऊब चूका है बस अब घड़ा भरना बाकी है | 
                                 सरदार पटेल जयंती के अवसर पर आईये हम सब व्रत लें की चुनाव सुधार का आन्दोलन तब तक चलायें जब तक चुनाव सुधार लागू न हो जांए | तब हमें नेताओं के रूप में निश्चित ही सरदार मिलेंगे , सुभाष मिलेंगे , गाँधी , आंबेडकर मिलेंगे | 
                          राष्ट्र जिस  चौराहे पर वर्षों से खड़ा है    उससे बस सफलता का , राष्ट्र निर्माण का एक ही रास्ता जाता है  और वह है ....सरदार का रास्ता ...पटेल का रास्ता | राष्ट्र की सारी समस्याओं के तालों की एक ही चाभी है ...सरदार पटेल    | आईये हम उनकी जयंती पर प्रतिज्ञां करें   की देश के एक एक बच्चे को अब पटेल की नीतिओं पर चलाएंगे  एक एक बच्चे को सरदार पटेल बनांयेंगे|
                            जयहिंद , जय पटेल |
                                                                  पटेल राज कुमार सचान 'होरी'   

Thursday, 27 October 2011

भैया दूज मुबारक ***************** भाई की उन्नति , प्रगति के लिए , उसके स्वास्थ्य की कामना लिए , बहन करती है रोचना ,लगाती है टीका ..भाई के माथ | ताकि वह रहे हर पल भाई के साथ , सुख में , दुःख में .....पल पल ,हर पल साथ साथ जीवन भर | राज कुमार सचान 'होरी'


भैया दूज मुबारक 
*****************
भाई की उन्नति , प्रगति के लिए ,
उसके स्वास्थ्य की कामना लिए ,
बहन करती है रोचना ,लगाती है टीका ..भाई के माथ |
ताकि वह रहे हर पल भाई के साथ ,
सुख में , दुःख में .....पल पल ,हर पल साथ साथ 
जीवन भर |
                                      राज कुमार सचान 'होरी'

भैया दूज मुबारक ***************** भाई की उन्नति , प्रगति के लिए , उसके स्वास्थ्य की कामना लिए , बहन करती है रोचना ,लगाती है टीका ..भाई के माथ | ताकि वह रहे हर पल भाई के साथ , सुख में , दुःख में .....पल पल ,हर पल साथ साथ जीवन भर | राज कुमार सचान 'होरी'


भैया दूज मुबारक 
*****************
भाई की उन्नति , प्रगति के लिए ,
उसके स्वास्थ्य की कामना लिए ,
बहन करती है रोचना ,लगाती है टीका ..भाई के माथ |
ताकि वह रहे हर पल भाई के साथ ,
सुख में , दुःख में .....पल पल ,हर पल साथ साथ 
जीवन भर |
                                      राज कुमार सचान 'होरी'

कुर्मी समाज में उत्साह

कुर्मी समाज में उत्साह 
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
कुर्मिक्षत्रिय महा संघ के सामाजिक सुधारों , आर्थिक सुधारों , राजनैतिक जागरूकता  और साहित्यिक जागरूकता के आंदोलनों से समाज में जबरदस्त जागरूकता और उत्साह है | देश के विभिन्न प्रान्तों में लोग महा संघ से जुड़ रहे हैं | उत्तर प्रदेश में तो संघ की आंधी सी आई हुयी है , ग्रामों से लेकर शहरों तक |
                                 अब लगता है कि समाज जग गया है , आने वाले चुनाव में कुर्मी समाज अधिक से अधिक अपने प्रतिनिधि अवश्य भेजेगा | जहां से कुर्मी समाज का प्रतिनिधि नहीं है वहाँ भी उसको अपना मत देगा जो समाज के लिए ५ वर्षों तक काम करे | ऐसे दलों को जो समाज का वोट बांटने का काम करते आ रहे हैं , को इस बार सबक सिखाएगा | करोड़ों  रूपये इन छोटे छोटे  दलों ने समाज को बेच कर कमाए हैं उनसे समाज को हिसाब किताब पूरा करना है | उनके समाज के ठेकेदारों से कह दो कि वे अब हमारा वोट न बेचें , अब समाज को सत्ता चाहिए .......सिर्फ सत्ता |
                            महासंघ के सत्ता और साहित्य के नारे से हम जाग चुके हैं , हम उन दलों में जायेंगे जो हमें सत्ता में भागीदारी दें , इससे कम कुछ भी स्वीकार नहीं |
                            महा संघ से २५ से अधिक देशों के समाज के बंधू जुड़े हैं जो लगातार ब्लाग और वेब साईट से सम्बद्ध हैं , उनका सहयोग और सझाव प्राप्त है |
                         महा संघ उत्तर प्रदेश में एक विशाल रैली आयोजित करेगा जिसमें मुख्य अतिथि के रूप क्षत्रपति शिवाजी के वंशज भाग लेंगे | इस रैली के संयोजन का कार्य उत्तर प्रदेश इकाई जोर शोर से कररही है | सभी को तिथि  निश्चित होते ही सूचना दी जाएगी |
                         जय पटेल |

KURMI SAMAJ ME UTTSAH


कुर्मी समाज में उत्साह ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ कुर्मिक्षत्रिय महा संघ के सामाजिक सुधारों , आर्थिक सुधारों , राजनैतिक जागरूकता और साहित्यिक जागरूकता के आंदोलनों से समाज में जबरदस्त जागरूकता और उत्साह है | देश के विभिन्न प्रान्तों में लोग महा संघ से जुड़ रहे हैं | उत्तर प्रदेश में तो संघ की आंधी सी आई हुयी है , ग्रामों से लेकर शहरों तक | अब लगता है कि समाज जग गया है , आने वाले चुनाव में कुर्मी समाज अधिक से अधिक अपने प्रतिनिधि अवश्य भेजेगा | जहां से कुर्मी समाज का प्रतिनिधि नहीं है वहाँ भी उसको अपना मत देगा जो समाज के लिए ५ वर्षों तक काम करे | ऐसे दलों को जो समाज का वोट बांटने का काम करते आ रहे हैं , को इस बार सबक सिखाएगा | करोड़ों रूपये इन छोटे छोटे दलों ने समाज को बेच कर कमाए हैं उनसे समाज को हिसाब किताब पूरा करना है | उनके समाज के ठेकेदारों से कह दो कि वे अब हमारा वोट न बेचें , अब समाज को सत्ता चाहिए .......सिर्फ सत्ता | महासंघ के सत्ता और साहित्य के नारे से हम जाग चुके हैं , हम उन दलों में जायेंगे जो हमें सत्ता में भागीदारी दें , इससे कम कुछ भी स्वीकार नहीं | महा संघ से २५ से अधिक देशों के समाज के बंधू जुड़े हैं जो लगातार ब्लाग और वेब साईट से सम्बद्ध हैं , उनका सहयोग और सझाव प्राप्त है | महा संघ उत्तर प्रदेश में एक विशाल रैली आयोजित करेगा जिसमें मुख्य अतिथि के रूप क्षत्रपति शिवाजी के वंशज भाग लेंगे | इस रैली के संयोजन का कार्य उत्तर प्रदेश इकाई जोर शोर से कररही है | सभी को तिथि निश्चित होते ही सूचना दी जाएगी | जय पटेल |


कुर्मी समाज में उत्साह 
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
कुर्मिक्षत्रिय महा संघ के सामाजिक सुधारों , आर्थिक सुधारों , राजनैतिक जागरूकता  और साहित्यिक जागरूकता के आंदोलनों से समाज में जबरदस्त जागरूकता और उत्साह है | देश के विभिन्न प्रान्तों में लोग महा संघ से जुड़ रहे हैं | उत्तर प्रदेश में तो संघ की आंधी सी आई हुयी है , ग्रामों से लेकर शहरों तक |
                                 अब लगता है कि समाज जग गया है , आने वाले चुनाव में कुर्मी समाज अधिक से अधिक अपने प्रतिनिधि अवश्य भेजेगा | जहां से कुर्मी समाज का प्रतिनिधि नहीं है वहाँ भी उसको अपना मत देगा जो समाज के लिए ५ वर्षों तक काम करे | ऐसे दलों को जो समाज का वोट बांटने का काम करते आ रहे हैं , को इस बार सबक सिखाएगा | करोड़ों  रूपये इन छोटे छोटे  दलों ने समाज को बेच कर कमाए हैं उनसे समाज को हिसाब किताब पूरा करना है | उनके समाज के ठेकेदारों से कह दो कि वे अब हमारा वोट न बेचें , अब समाज को सत्ता चाहिए .......सिर्फ सत्ता |
                            महासंघ के सत्ता और साहित्य के नारे से हम जाग चुके हैं , हम उन दलों में जायेंगे जो हमें सत्ता में भागीदारी दें , इससे कम कुछ भी स्वीकार नहीं |
                            महा संघ से २५ से अधिक देशों के समाज के बंधू जुड़े हैं जो लगातार ब्लाग और वेब साईट से सम्बद्ध हैं , उनका सहयोग और सझाव प्राप्त है |
                         महा संघ उत्तर प्रदेश में एक विशाल रैली आयोजित करेगा जिसमें मुख्य अतिथि के रूप क्षत्रपति शिवाजी के वंशज भाग लेंगे | इस रैली के संयोजन का कार्य उत्तर प्रदेश इकाई जोर शोर से कररही है | सभी को तिथि  निश्चित होते ही सूचना दी जाएगी |
                         जय पटेल |

Wednesday, 26 October 2011

आयिये अब राष्ट्र में, दीप ऐसा हम जलाएं| मन के आँगन में बसे , हर घोर तम को हम भगाएं || रोलियां हर द्वार पर , आयिये हम मिल सजा दें , दीप के इस पर्व को हम, दीप उत्सव फिर मनाएं || राज कुमार सचान 'होरी'

आयिये   अब  राष्ट्र   में, दीप  ऐसा   हम     जलाएं|
मन  के आँगन में बसे , हर घोर तम को हम भगाएं ||
रोलियां  हर   द्वार पर , आयिये  हम  मिल  सजा दें ,
दीप  के  इस पर्व  को हम, दीप  उत्सव   फिर  मनाएं  ||
                     राज कुमार सचान 'होरी'   

Tuesday, 25 October 2011

for nationalism


जातियां कैसे मिटें ? लम्बवत संरचना से या क्षैतिज संरचना से ....वास्तव में देश में जातियों का ढांचा सदा ही उर्ध्वाधर रहा है , इसी कारण आपस में बराबरी न होने के कारण जातियों में आपसी तालमेल और रोटी बेटी  के संबंधों का घोर अभाव है |
                                बुद्ध , महावीर , स्वामी दयानंद ,आदि आदि आये गए पर जातियां  नहीं मिटीं | यदि क्षैतिज ढांचा रहा होता तो आपसी बराबरी होती , शादी व्याह होते और रोटी बेटी के सम्बन्ध होते | निश्चित ही जातियां मिटतीं और जाती व्यवस्था मिट गयी   होती |
                     इस सबके लिए हमें छोटी जातियों, पिछड़ी जातियों को ऊपर उठाना होगा ,उनको बराबरी पर लाना होगा |इन जातियों में सुधार और उत्थान के कार्यक्रम चलाने होंगे |
                राज कुमार सचान 'होरी'

Monday, 24 October 2011

HAPPY DEEWALI

दीवाली शुभ हो ............
 महा संघ के सदस्य और पाठक अनेक देशों में हैं | उनका सहयोग लगातार संघ को मिल रहा है | अपने समस्त पाठकों , सदस्यों और उनके परिवारों को दीपावली ,भैयादूज और छठ की बहुत बहुत शुभकामनाएं |
                  महासंघ के ईमेल पर सदस्यों, PATHKON से अनुरोध है की अपने विचार , समस्याएं , लेख कवितायेँ भेजते रहें , उन्हें प्रकाशित किया जायेगा |

Sunday, 23 October 2011

deewali ke dohe

दीवाली में सीखिए ,दीप दीप से स्नेह |
'होरी' अन्दर बाहरी , सजें सभी के गेह ||
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लक्ष्मी जी को पूजिए , कर गणेश का ध्यान |
'होरी' दीपक पर्व में , खुशियाँ मिलें सचान ||
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दीपमालिका में सजें , लक्ष्मी और  गणेश |
'होरी' हर कर तम सभी , हरें विघ्न औ क्लेश ||
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        राज कुमार सचान 'होरी'

Saturday, 22 October 2011

KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH: LAKSHMI POOJA KE SAATH LEKHANI POOJA BHI

KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH: LAKSHMI POOJA KE SAATH LEKHANI POOJA BHI: लक्ष्मी पूजा के साथ साथ लेखनी पूजा भी .... ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ कुर्मी किसान भाईओं जिनकी संख्या ९९% है ,का गरीबी से चोली दामन ...

LAKSHMI POOJA KE SAATH LEKHANI POOJA BHI

लक्ष्मी पूजा के साथ साथ  लेखनी पूजा भी ....
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कुर्मी किसान भाईओं जिनकी संख्या ९९% है ,का गरीबी से चोली दामन का साथ है | दीपावली में आप लक्ष्मी पूजन के साथ साथ लेखनी पूजन भी अवश्य करें |
                 लक्ष्मी आपको धन धान्य से संपन्न करेंगी ,लेखनी पूजने से सरस्वती प्रसन्न होकर आपको लेखन तथा विभिन्न कलाओं में आगे बढ़ाएंगी |
                             लेखक ,पत्रकार , साहित्यकार न होने  से समाज का सम्मान नहीं है , ब्राह्मण समाज की भाँती इन क्षेत्रों में समाज को आगे जाना होगा |
                       दीपावली की शुभकामना 

Thursday, 20 October 2011

KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH: 99% villagers...[kurmis]

KURMI KSHATRIYA MAHAA SANGH: 99% villagers...[kurmis]: भारत के कुर्मी ************* आज २०११ में भी देश में कुर्मी ,कुर्मिक्षत्रिय , पटेल आदि आदि लगभग १४०० उपजातियों में बटी यह जाति पूर्ण रूप से...

99% villagers...[kurmis]

भारत के कुर्मी 
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 आज २०११ में भी देश में कुर्मी ,कुर्मिक्षत्रिय , पटेल आदि आदि लगभग १४०० उपजातियों में बटी यह जाति पूर्ण रूप से ग्रामीण है | ९९% जनसँख्या ग्रामों में रहती है , इसका शहरीकरण न होने के कारण इसमें अन्य जातियों की तुलना में बेरोजगारी और गरीबी अधिक है |
               अचल संपत्ति से सदियों से जुड़े होने के कारण इसका चरित्र भी अचल है , आपस में लड़ना , एक दुसरे की बुराई करना ,कभी भी अपने लोगों की प्रशंसा न करना ....इसके जातीय लक्षण हैं |
               ग्रामों में बसे होने के कारण यह जाति बौद्धिक क्रियाकलापों से भी दूर रही |साहित्य ,लेखन तथा अन्य कलाओं में इसका योगदान शून्य है |
धर्म ,दर्शन, इतिहास तथा अन्य विषयों में इस जाति के द्वारा पुस्तकें न के बराबर लिखी गयीं | साहित्य में भागीदारी लगभघ  शून्य |
                  आईये महासंघ के शहरीकरण के अभियान को सब मिल कर सफल बनाएं |अपने अपने परिचितों को शहरों में तो बसायें ही ,अन्य लोगों को भी जागरूक करें |
           "सत्ता और साहित्य में भागीदारी " महासंघ का आन्दोलन है ,आईये आगे बढ़ें इक्कीसवीं सदी को पटेलों की सदी बनायें |
                        पटेल राज कुमार सचान 'होरी' 

Tuesday, 18 October 2011

KURMI, KISAN KA VIKAS

कुर्मी और अन्य कृषक समाजों की आर्थिक उन्नति ....
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आज भी कुर्मी समाज  की ९९% जनसँख्या ग्रामों  में रहती है और खेती करती है |खेती में किसानों  से पूछिए लागत अधिक आय कम |गेहूं और धान उत्पादक की हालत तो अत्यधिक बेहाल है | गांवों का तो विकास हुआ है पर किसानों का नहीं , किसान दिन प्रतिदिन और गरीब होता जा रहा है |आज गेहूं की लागत प्रति  कुंतल १८०० रूपये आती है और सरकारी मूल्य ११२०+५० मात्र प्रति कुंतल | इसी प्रकार धान की स्थिति है |दोनों मुख्या फसलों में जबरदस्त घाटा| किसान ...मुख्यतः कुर्मी गरीब तो होगा ही |
                                      महा संघ किसानों .कुर्मियों और राष्ट्र की उन्नति के लिए शासन के अनुसार लाभदायक खेती के लिए आन्दोलन चला रहा है | किसानों को चाहिए की वे मात्र परिवार की आवश्यकताओं  के लिए ही गेहूं और धान बोयें  ,शेष में सब्जियों , फूलों ,औषधीय पौधों ,आदि लाभदायक खेती करें |अपनी मेड़ों में सागौन और उकिलिप्तास के पेड़ लगायें | सागौन का एक पेड़ आज की कीमतों  में २० वर्षों में ३० से ४० हजार रूपये तक हो जाता है | यानि १०० पेड़ लगभग ३० से ४० लाख तक ....और १००० पेड़ ३ से ४ करोड़ रूपये तक |इस आय की कल्पना किसान की कई पीढियां मिलकर भी नहीं कर सकतीं | उकिलिप्तास का भी एक पेड़ ५ से ६ साल में २ से ३ हजार तक हो जाता है | मेड़ों में इन दोनों पेड़ों को मिक्स कर लगाना चाहिए |
                                    खेती में लाभदायी उत्पादन के साथ किसानों को पास के कस्बों में व्यापारों की ओर भी ध्यान देना चाहिए , परिवार के कम से कम एक सदस्य को नगरीय रोजगार जो विशेष कर कृषि से सम्बंधित हो करना चाहिए | इन सबसे आर्थिक विकास होगा और जब ८०% आबादी खुशहाल होगी तो देश खुशहाल होगा |
                                   कुर्मियों की आबादी आज भी गांवों में है , १% से भी कम नगरों में है | शहरीकरण न होने से भी यह समाज पिछड़ा है ....आर्थिक और राजनीतिक दोनों रूप से |
                                                                                             महा संघ का नारा है ........." सत्ता और साहित्य में भागीदारी "  इसके लिए भी शहरीकरण जरूरी है , राजनीतिकरण जरूरी है |समाज में जो युवक आगे नहीं बढ़ पाते और नौकरी नहीं पाते वे ही अच्छे नेता बन सकते हैं ,समाज के काम आ सकते हैं | हमें उन्हें आगे बढ़ाना होगा , भर्त्सना करने की आदत छोडनी होगी |वे ही शिवा जी और सरदार पटेल के रास्तों में चल सकते हैं | महा संघ उन सबको सपोर्ट करता है|
                साहित्य में भागीदारी से सदियों से ब्राह्मन समाज सबसे आगे रहा है ...आईये अधिक से अधिक पत्रकार साहित्यकार ...कवि और लेखक बनें |
                                                    सर्वांगीन विकास के लिए हम आप के साथ हैं  | 

kurmi, kisan ka vikas



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