होरी कहिन
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१--
धर्म निरपेक्षता अर्थ अब ,हिन्दू का अपमान ।
गाली बकिये बस इन्हें , औरों को सम्मान ।।
दूजे को सम्मान दीजिये, बुरा नहीं है ।
अपनों का अपमान मगर हाँ सही नहीं है ।।
धर्मनिरपेक्षता रोयेगी फिर एक समय आयेगा ।
भारत में जब हिन्दू ही ,अल्पसंख्यक हो जायेगा ।।
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२--
हैं किसान पीड़ित यहाँ , पीड़ित यहाँ जवान ।
बस जय जय के फेर में , फँस कर दोउ सचान।।
फँस कर दोउ सचान , ज़िन्दगी पूर्ण खपाते ।
सीमा रक्षा साथ साथ , सोना उपजाते ।।
जय जवान हो,जय किसान हो,मात्र दिखावा करते ।
होरी जूँ भी नहीं रेंगती , जब वे पीड़ित मरते ।।
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३--
लागत खेती में अधिक , आमदनी कम हेय ।
खेती में पल पल गले , रात दिवस वह रोय ।।
रात दिवस वह रोय , किसानी उसकी फांसी
उसकी आत्महत्या ,शिकन न हमें ज़रा सी ।।
आज अन्नदाता को देखो,लिये कटोरा मागत ।
होरीअभी समय खेती की,कम करियेकुछलागत ।।
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४--
ज्वार बाजरा या कि हों ,चाहे गेहूँ धान ।
घाटे की खेती सभी ,करिये बन्द सचान ।।
करिये बन्द सचान , करें औद्यानिक खेती ।
टीक , बाँस , यूकीलिप्टस ,भी पैसे देतीं ।।
या खेतों को बेच कर , क़स्बों में रह यार ।
होरी व्यर्थ पुरानी खेती , ये सब हैं बेकार ।।
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५--
नब्बे प्रतिशत से अधिक , फ़ौजों में ग्रामीण ।
होरी तब भी शहर सब , इनको समझें हीन ।।
इनको समझें हीन , भले यह हों बलिदानी ।
सीमा पर वे लड़ें और ,हम भरते पानी ।।
किसान जवान सभी गाँवों से,करें देश सेवा ।
होरी लेकिन सुविधा भोगी , शहरी खायें मेवा ।।
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राजकुमार सचान होरी
१७६ अभयखण्ड -१ इंदिरापुरम , गाजियाबाद
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