Total Pageviews

Thursday, 28 January 2016

होरी कहिन

                      होरी कहिन 

             ------------------

--

धर्म निरपेक्षता अर्थ अब ,हिन्दू का अपमान

गाली   बकिये  बस इन्हें , औरों को सम्मान ।।

दूजे   को सम्मान    दीजिये, बुरा     नहीं   है

अपनों   का अपमान  मगर   हाँ सही  नहीं है ।।

धर्मनिरपेक्षता रोयेगी फिर एक समय आयेगा

भारत में जब हिन्दू ही ,अल्पसंख्यक हो जायेगा ।।

------------------------------------

-- 

हैं किसान   पीड़ित यहाँ , पीड़ित   यहाँ  जवान

बस जय जय के फेर में , फँस कर  दोउ सचान।।

फँस   कर  दोउ सचान , ज़िन्दगी   पूर्ण  खपाते

सीमा   रक्षा   साथ    साथ , सोना     उपजाते ।।

जय जवान हो,जय किसान हो,मात्र दिखावा करते

होरी   जूँ भी   नहीं   रेंगती , जब  वे पीड़ित मरते ।।

------------------------------------

--

लागत खेती में अधिक , आमदनी   कम हेय

खेती में पल पल गले , रात   दिवस वह रोय ।।

रात दिवस वह रोय , किसानी उसकी   फांसी 

उसकी आत्महत्या ,शिकन  हमें  ज़रा  सी ।।

आज अन्नदाता  को देखो,लिये  कटोरा मागत

होरीअभी समय खेती की,कम करियेकुछलागत ।।

-----------------------------------

--

ज्वार  बाजरा  या कि  हों ,चाहे  गेहूँ   धान

घाटे की  खेती  सभी ,करिये   बन्द  सचान ।।

करिये बन्द सचान , करें  औद्यानिक  खेती

टीक ,  बाँस , यूकीलिप्टस   ,भी पैसे  देतीं ।।

या खेतों को  बेच कर , क़स्बों  में रह  यार

होरी व्यर्थ  पुरानी  खेती , ये सब  हैं  बेकार ।।

--------------------_____________

--

नब्बे  प्रतिशत से अधिक , फ़ौजों  में ग्रामीण

होरी तब भी शहर सब , इनको  समझें  हीन ।।

इनको समझें  हीन , भले  यह  हों  बलिदानी

सीमा पर   वे लड़ें   और ,हम    भरते   पानी ।।

किसान  जवान सभी गाँवों से,करें  देश सेवा

होरी लेकिन सुविधा भोगी , शहरी खायें  मेवा ।।

-----------------------------------

राजकुमार सचान होरी 

१७६ अभयखण्ड - इंदिरापुरम , गाजियाबाद 

९९५८७८८६९९ व्हाट्स एप 

horirajkumar@gmail.com





Sent from my iPad

Wednesday, 27 January 2016

Rajkumar Sachan Hori left a message for you

Rajkumar Sachan Hori left a message for you
Twoo
Read this mail in: Français, Español, العربية‏, Português, Română, and 32 other languages.
You received this e-mail because Rajkumar Sachan Hori wants to connect with kurmikshatriyamahaasangh.kkms@blogger.com on Twoo. Unsubscribe
Rajkumar Sachan Hori
left a message for you!
Check out your message ➔
You can instantly reply using our chat.
Have fun!
Team Twoo
By clicking 'Check out your message ➔', you agree that an account will be created for you on Twoo. You accept our Terms & Conditions and our Privacy Policy, including our Cookie use, and you agree to receive e-mail notifications about your account, which you can unsubscribe from at any time.
Don't want to receive these e-mails anymore? Click here. Massive Media Match NV, Emile Braunplein 18, 9000 Ghent, Belgium BE0537240636. info-en@twoo.com

Sunday, 24 January 2016

अन्नदाता का सम्मान ??

अन्नदाता का सम्मान 

-----------------

'अन्नदाता'  कह ,किसान का ,हम सम्मान  बढ़ाते हैं

जय किसान का नारा भी तो ,शास्त्री जी गढ़ जाते हैं ।।

---------------------------------------

चलो एक किसान होरी संग ,एक कचेहरी साथ चलें

वही पुरानी  धोती कुर्ता ,चप्पल अब भी   साथ मिलें ।।

-------------------------------------

उसके   खेतों मे दबंग ने ,क़ब्ज़ा   किया हुआ था

एसडीएम ,डीएम  से कहने ,होरी वहाँ  गया था।।

डोल रहा  था इधर  उधर , बाबू  अर्दलियों  तक

कोर्ट कचेहरी सड़कों तक,बंगलों से गलियों तक ।।

-------------------------------------

छोटे से  बडके  नेता तक ,चप्पल  घिस  डाली थी

दान  दक्षिणा  देते  देते   ,जेब  हुई    ख़ाली   थी ।।

दौड़ लगाता   वह किसान ,अंदर से पूर्ण हिला  था

पर उसकी ख़ुद की ज़मीन का,क़ब्ज़ा नहीं मिला था ।।

----------------------------------------

होरी का परिवार दुखी ,पीड़ित जर्जर ,तो था ही था

रोटी सँग बोटी नुचने का ,ग़म ही ग़म तो था ही था ।।

गया जहाँ था मिला वहीं,अपमान किसान सरीखा

उसको तो  हर  सख्स, ग़ैर सा ,मुँह  फैलाये दीखा ।।

----------------------------------------

जय किसान कहने वाले सब ,उसकी  हँसी उड़ाते

नहीं मान सम्मान ,अँगूठा  मिल सब  उसे दिखाते ।।

क़र्ज़ भुखमरी  से पहले ही ,वह अधमरा  हुआ था

लेकिन  ज़्यादा अपमानों से ,अंतस्  पूर्ण मरा था ।।

-----------------------------------

एक दिवस वह गया खेत में , लौटा नहीं कभी भी

होरी की यह कथा गाँव में ,कहते  सभी  अभी भी ।।

होरी किसान  की अंत कथा ,दूजा होरी  बतलाये

फिर से   आँधी तूफ़ानों सँग , काले  बादल छाये ।।

-------------------------------------

          राज कुमार सचान होरी 

       १७६ अभयखण्ड - इंदिरापुरम , गाजियाबाद 

9958788699








Sent from my iPad

Tuesday, 12 January 2016

होरी कहिन

होरी कहिन
------------
१--
ममता का तुष्टीकरण ,या नीतीश का राग ।
कलियाचक या पूर्णियाँ ,लगा रहे हैं आग ।।
लगा रहे हैं आग , जलाया थाना और दुकानें ।
किये भीड़ ने काम ,भयानक औ' मनमाने ।।
त्रस्त और भयभीत ,वहाँ पर हिन्दू जनता ।
वोट बैंक की ख़ातिर लालू या फिर ममता ।।
----------------------------------
२--
पठानकोट या मुम्बई , सब में एक समान ।
साक्ष्य कोई माने नहीं , वाह रे पाकिस्तान ।।
वाह रे पाकिस्तान , करे पूरी मनमानी ।
आतंकी में नहीं , कहीं भी उसका सानी ।।
बार बार आक्रमण , कर रहे पाकिस्तानी ।
होरी लगता बचा नहीं है , हम में पानी ।।
---------------------------------
३--
जाति जाति में बँट गया ,पूरा हिन्द समाज ।
राष्ट्र क्षरण होता रहा , मगर न चेतें आज ।।
मगर न चेतें आज , जातियों के फन्दे हैं ।
ऊँच नीच में बँटे , अभी सारे बन्दे हैं ।।
जातिवाद में बँटे राष्ट्र की ,हार सुनिश्चित ।
होरी क्षरण राष्ट्र होता ,मुझको परिलक्षित ।।
------------------------------
४--
चलो मिटायें जातियाँ , राष्ट्रवाद के हेतु ।
जाति जाति में बाँध दें, चलो प्यार के सेतु ।।
चलो प्यार के सेतु , जातियों में बनवा दें ।
ऊँच नीच के भेद जातियों ,के मिटवा दें ।।
अगर जातियाँ मिटी नहीं ,तो हाथ मलो ।
होरी इन्हें मिटाने , अब तो साथ चलो ।।
--------------------------------
राज कुमार सचान होरी




Sent from my iPad

Friday, 8 January 2016

होरी कहिन

होरी कहिन
@@@@@@
१--
र् वावत कहै मरौ सरऊ । चौबीस घंटे सीना जोरी
ऊटपटाँग करौ सरऊ ।। मौत से कुछौ डरौ सरऊ ।

आगी अइस रोज मूतत त्यौ, उइ तौ आसमान छुइ ल्याहैं,
बोयो जइस भरौ सरऊ । तुम बस परे जरौ सरऊ ।

जूता बजिहैं दोउ ओर ते , भस्मासुर सा तुमहू होरी ,
बीच मा अउर परौ सरऊ । अपने हाथ बरौ सरऊ ।
----------------------------------------------
२---
पत्रकार पर व्यंग्य करूँ क्यों ?
चौथे खंभे दबूँ मरूँ क्यों ??

दहशतगर्द शरीर संहारें ,
मैं हूँ रूह अरे डरूँ क्यों ?

क़र्ज़ लिया था तुमने तुमने ,
मैं ही सबका क़र्ज़ भरूँ क्यों ?

आग लगाई थी तो जलिये,
होरी मैं ही आग जरूं क्यों ?

गंगा तो सबका तारे है,
तुम भी तरौ मैं ही तरूं क्यों?

होरी माँ की बलिवेदी पर,
प्राण न्योछावर करूं डरूँ क्यों ?
------------------------
३--
चल अंगारों पर मत डोल,
हल्ला बोल, हल्ला बोल ।

समझा धरा गगन को मोल,
हल्ला बोल , हल्ला बोल ।

दिखे हंस है काला कौआ ,
लगता है नेता है ।
उसकी दे तू धोती खोल ,
हल्ला बोल , हल्ला बोल ।।

प्रजातंत्र का नाम और,
शासन परिवारों का ?
ढोल के भीतर भारी पोल ,
हल्ला बोल , हल्ला बोल ।।
------------------
राज कुमार सचान होरी






Sent from my iPad