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Friday, 28 March 2014

Raj Kumar Sachan Hori

भाजपा मुख्यालय उ.प्र. में प्रभारी के साथ राजकुमार सचान "होरी" दिनांक २७ मार्च ।

Wednesday, 26 March 2014

आम आदमी की कुंडलिया ---

आम आदमी की कुंडलिया ---
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आम आदमी नाम रख , फिरते हैं कुछ खास ।
उल्टी पुल्टी चाल से , तोड़ रहे विश्वास ।।
तोड़ रहे विश्वास , सदा परनिन्दा करते ,
संविधान से ऊपर खुद को सदा समझते ।।
लगातार ये बना रहे , माहौल मातमी ।
"होरी" बेहद शर्मिन्दा अब आम आदमी ।।
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राज कुमार सचान "होरी"
www.badaltabharat.com , horionline.blogspot.com





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Sunday, 23 March 2014

मैं भी झेलूं , तू भी झेल

मैं भी झेलूं , तू भी झेल
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१--लूले अन्धे सत्ताकामी , मैं भी झेलूं ,तू भी झेल ।
प्रजातन्त्र के ये आसामी, मैं भी झेलूं तू भी झेल ।।
२--जब शासन में दु:शासन ,गान्धारी आँखों में पट्टी,
तब तब शकुनी कौड़ी कानी, मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
३--गान्धी गान्धी मुख से बोलें सत्य अहिंसा खाकर,
बापू के सुन्दर अनुगामी ,मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
४-- जब सत्ता वेश्या बना दी गई होगा क्या ,
सत्ता की औलाद हरामी , मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
५--कहता था मत विष घोलो यूँ हृदयों में ,
अब खून बह रहा जैसे पानी ,मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
६-- कश्मीर जलेगा , राष्ट्र जलेगा इसी तरह ,
भ्राता हो जब पाकिस्तानी ,मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
७--तन मन तार तार होता है होरी का फिर "होरी"
गोदानों की यही कहानी ,मैं भी झेलूं तू भी झेल ।
८-- खण्ड राष्ट्र फिर खण्डित होने का भय "होरी"
दिल्ली जब जब बनी जनानी ,मैं भी झेलूं तू भी झेल ।

राज कुमार सचान "होरी"
www.badaltabharat.com ,horionline.blogspot.com
Email- rajkumarsachanhori@gmail.com


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Monday, 17 March 2014

चुनाव में किसान /एक भावी आन्दोलन

चुनाव में किसान /एक भावी आन्दोलन
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पूरे देश में चुनाव का माहौल है , देश की सरकार जो बननी है । सबसे ज्यादा मतदाता किसान हैं लगभग 70% परन्तु हर बार उनका वोट तो लिया जाता है पर उनकी फसलों का वाजिब मूल्य नहीं दिया जाता । लागत मूल्य फसलों का बढ़ते रहने से किसान को आमदनी न के बराबर होती है , खर्च चलाना दूभर । किसान पूरे देश में आत्म हत्या करते हैं जो मात्र एक ख़बर भी नहीं बन पाती है । मैं स्वयं किसान हूँ और उत्तर प्रदेश प्रशासन में 34 वर्षों की सेवा भी की है साथ ही पूरे देश में किसानों के मध्य गया हूँ , अच्छी तरह जानता हूँ कि किसानों को गेहूं, धान आदि पारम्परिक खेती बन्द करनी पड़ेगी अपने स्वयं और परिवार को बचाने के लिये । वानिकी , औद्यानिक और मछली पालन जैसे क्षेत्रों में जाना होगा भले ही देश में खाद्यान का उत्पादन अत्यन्त कम हो जाय । अगली सरकार क्या फसलों के मूल्य वास्तविक लागत से अधिक निश्चित करेगी ??? अभी से किसानों और किसान संगठनों को विभिन्न दलों से आश्वासन लेना होगा ।
मैं लगातार किसानों से अपील करता रहा हूँ कि वे अपनी कृषि भूमि का कम से कम 20% बेच कर अपने गाँव के पास के कस्बे में उससे एक प्लाट ले लें जो कुछ ही वर्षों में उसको बहुत बड़ी कीमत देगा जो उसकी कुल भूमि की कीमत से भी अधिक होगी । गाँव में रहने के बजाय पास के कस्बे में रह कर अपनी खेती भी देखे और बच्चों को शहर में पढ़ाये , लिखाये । शहर में उसे खेती के अलावा भी कोई धन्धा अवश्य मिल जायेगा जो उसकी ग़रीबी और भुखमरी दूर करेगा ।
इसके लिये यथाशीघ्र मेरे द्वारा एक राष्ट्र व्यापी आन्दोलन आरम्भ किया जायेगा , जिसकी कार्य योजना तैयार की जा रही है ।आप स्वयं किसान हैं या किसान परिवार से हैं तो आपका सक्रिय सहयोग चाहिये ।
आपका साथी---
राज कुमार सचान "होरी"
www.badaltabharat.com , horibadaltabharat.blogspot.com ,
Facebook.com/RajKumarSachanHori
horirajkumarsachan@gmail.com


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Saturday, 15 March 2014

कुंडलियां

कुंडलियां
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१--उधर विदेशी हाथ है , इधर देश का हाथ ।
आम आदमी पार्टी , लिये दोउ का हाथ ।।
लिये दोउ का साथ , फिर रहा कजरू लाला ।
झूठ , झूठ फिर झूठ , बोलता मुफलर वाला ।।
घोर अराजक , पलटू , झूठा महा जुगाड़ू़ ।
कजरू लेकर फिरे हाथ में गंदा झाड़ू ।।
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२-- बात ,बात में बोले जो औरों को काला ।
थूक थूक कर चाटे फिर , वह कजरू लाला ।।
आम आदमी नाम रख लिया , अपने दल का ।
सदा सहारा लेते , कजरू पल पल छल का ।।
चोर चोर सब चोर आप चिल्लाते रहते ।









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Friday, 14 March 2014

Fwd: [Patel India Mission] एक समय हिन्दू समाज में इस धरती के ब्राम्हण देवता...



---------- Forwarded message ----------
From: Ved Prakash Patel <notification+zrdpivdzdrrf@facebookmail.com>
Date: Sunday, March 9, 2014
Subject: [Patel India Mission] एक समय हिन्दू समाज में इस धरती के ब्राम्हण देवता...
To: Patel India Mission <215646698642438@groups.facebook.com>


Ved Prakash Patel
Ved Prakash Patel 10:54pm Mar 9
एक समय हिन्दू समाज में इस धरती के ब्राम्हण देवता एवं मंदिरों में विराजमान कई तरह के देवी-देवताओं की चमत्कारी शक्तियों का बहुत बड़ा आतंक व्याप्त था। ब्राम्हण बात-बात पर श्राप देकर सर्वनाश कर देने की धमकी देते थे। अखाड़ों के तथाकथित साधू-महात्मा हाथी पर चढ़कर आते थे, घरों में घुसकर आँगन में अपना चमीटा गाड़कर कहते थे कि इतना लाओ तभी बाबा लोगों का चमीटा उखड़ेगा। ना देने पर श्राप देने की धमकी देते थे। उनके आतंक के खिलाफ राजा के यहाँ भी सुनवाई नहीं होती थी क्योंकि वह राजा भी उनसे डरे हुए होते थे।

लेकिन जब मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिरों को यहाँ तक कि अयोध्या के मंदिरों को भी तोड़कर मूर्तियों को रौंदना और पण्डे-पुजारियों को क़त्ल कर हवन-कुंडों में डालना शुरू किया, वही समय था जब हिन्दू समाज हिन्दू धर्म के खोखले आडम्बर को समझ जाता और अपनी धार्मिक सोंच को पुनर्परिभाषित कर लेता। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि बहुसंख्यक हिन्दू समाज दबा-कुचला और विवेकशून्य था। तथाकथित सवर्णों के लिए मौजूदा धार्मिक सोंच ही फायदेमंद था, उसी की वजह से उन्होंने समाज को अपना गुलाम बना रखा था।

शुरू- शुरू में हिंदुओं को जबर्दस्ती मुसलमान बनाया गया लेकिन बाद में खासकर अकबर एवं उसके बाद ज्यादातर धर्मांतरण हिंदुओं के हिन्दू धर्म से मोह भंग एवं मुस्लिम शासकों द्वारा धर्मांतरण को प्रोत्साहित करने के कारण हुए। इसी समय तुलसीदास, सूरदास आदि भक्तिकालीन कवियों ने हिन्दू मानसिकता को ईश्वर की भक्ति की तरफ यह कहकर मोड़ने का प्रयास किया कि जब-जब धर्म की हानि होती है और पाप अपनी चरम सीमा में पहुँचने लगता है, तब-तब ईश्वर अवतार लेकर दुष्टों का संहार करते हैं और अपने भक्तों का उद्धार करते हैं। खासकर तुलसीदास रचित रामचरित मानस की लेखन एवं शब्द शैली इतनी अच्छी है कि बस लोगों को भा गयी। इन सब ने मिलकर हिंदुओं में एक आशा का संचार किया। लेकिन फिर भी हिंदुओं की बर्बादी का असल कारण वर्ण-जाति भेद, उंच-नीच, छुआ-छूत, अंध-भक्ति, अंध-विश्वास आदि को न सिर्फ बनाये रखा गया बल्कि उन्हें भरपूर पोषित किया गया।

बीमारी का सही इलाज न होने के कारण बीमारी बढ़ती चली गयी। अब ईसाई धर्म के आगमन से लोग मुस्लिम धर्म के साथ-साथ ईसाई धर्म में भी धर्मान्तरित होने लगे। ऐसा कैसे सम्भव हो सकता है कि हिन्दू समाज के अभिजात्य वर्ग ( वह अभिजात्य वर्ग जिसे बहुसंख्यक हिन्दू समाज ने अपना माई-बाप समझा,स्वयं भूखे-नंगे रहकर उन्हें अपना सर्वश्व अर्पित किया ) को बीमारी की असली वजह एवं उसका इलाज मालुम न रहा हो ? लेकिन सुविधाभोगी इस वर्ग नें सिर्फ अपने स्वार्थ/ सुविधा को बनाये रखने के लिए हिन्दू समाज को खोखले आडम्बरों से, भेद-भाव से मुक्त कर उसकी सोंच को समता मूलक और सामयिक बनाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं किया।

आज जबकि सारी दुनिया ईश्वर को निराकार समझती है। प्राचीन हिन्दू मत भी यही है कि " एको अहम द्वितीयो नास्ति " , फिर भी हिन्दू धर्म के ठेकेदार सैकड़ों तरह के देवी-देवताओं को नचा-कुदाकार लोगों को भरमाने और अपना पेट पालने में लगे हुए हैं। वह हिन्दू धर्म के वास्तविक स्वरुप को जिससे कि दुनिया के अन्य धर्म-मतों ने शिक्षा ग्रहण किया ; समाज में स्थापित नहीं होने देना चाहते हैं भले ही यह विलुप्त ही क्यों न हो जाय।

यदि आप हिंदुत्व को बचाते हुए अन्यों को इसकी तरफ आकर्षित करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए निम्न कदम उठाने होंगे -
१- सैकड़ों देवी-देवताओं को नकार कर निराकार, निर्गुण, सर्व-व्यापी परम ब्रम्ह परमात्मा की उपस्थिति को अपने अंदर और बाहर सम्पूर्ण चराचर जगत में महसूस करते हुए पूजा-पाठ के स्थान पर सिर्फ समाज सेवा को ही एकमात्र धर्म समझना होगा।
२- अंतरजातीय विवाह के माध्यम से जितनी जल्दी हो सके जन्म आधारित जाति-व्यवस्था को त्यागकर प्राचीन कर्म-आधारित जाति-व्यवस्था अपनानी होगी।
३- अपना निजी स्वार्थ छोड़कर सामाजिक सौहार्द्र एवं सहयोग का ऐसा वातावरण तैयार करना होगा कि अपनों को जाने से रोका जा सके एवं औरों को आकर्षित किया जा सके।

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Thursday, 6 March 2014

Fwd: Pik



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From: Kapil Sharma <kapilzsharma09@gmail.com>
Date: 6 March 2014 2:16:02 PM GMT+05:30
To: "horirajkumar@gmail.com" <horirajkumar@gmail.com>
Subject: Pik






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Sunday, 2 March 2014

सत्ता परिवर्तन के लिये ।

उन्हें सौंपे जो साकार करें सपना सरदार पटेल का , सशक्त भारत का । ऐसा एक ही है ....... मोदी